थारु राष्ट्रिय दैनिक
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किनारीकृत समुदायमे जनगणनाके अवसर तथा चुनौती

पहुरा | ११ आश्विन २०७८, सोमबार
किनारीकृत समुदायमे जनगणनाके अवसर तथा चुनौती

हरेक १० वर्षमे हुइना जनगणना यी वर्ष २०७८ मे फेन ‘मेरो गणना, मेरो सहभागिता’ नाराके साथ यिह भदौ ३० से असोज १८ गतेसम तथ्यांक संकलन हुइटि बा । राष्ट्रिय जनगणनाके लाग केन्द्रीय तथ्यांक विभागसे पूर्वतयारीके साथ लगलेसे फेन कोरोनाके महामारीके कारण जनगणना पूर्वनिर्धारित समयसे ढिल हुइटा ।

विगत वर्षके सिकाइहे कार्यान्वयन करटि जनगणनाहे सहभागितामूलक बनैना सरकारसे यी वर्ष लगभग ५० हजारके हाराहारीमे जनस्रोत परिचालन करटा । जोनमध्ये आठ हजार जत्रा सुपरीवेक्षक ओ ३९ हजारसे ढेर गणक परिचालन करटा । अब्बेक जनगणनामे लगभग ५५ ठो प्रश्नावली समेटल बा ।

युग ओ प्रविधिके विकाससँगे यी वर्ष कुछ ठाउँमे पाइलेटिङके रूपमे ट्याबलेट मोबाइल, गणना सफ्टवेयरके प्रयोग करना हुइल बा कलेसे अधिकांश ग्रामीण भेगमे फारममे भरना व्यवस्था करल बा ।

विगतमे हुइल जनगणनाके तथ्यांकहे तुलानात्मक अध्ययन करलेसे जात, धर्म, भेगमे बोलना भाषालगायत क्षेत्रमे फरक हुइटि आइल बा । २०७८ सालमे हुइना जनगणनामे पक्के फेन कुछ नयाँ विषय थपल बा । सायद सामाजिक जागरुकता, समावेशी नीति, जनसशक्तीकरणके कारणसे राष्ट्रके भाषिक, सांस्कृतिक, जातीय, धार्मिक, आर्थिक समृद्धि फेन बह्रटि गैल बा ।

विगतके जनगणनाके इतिहास हेरलेसे सन् १९११ से १९४१ सम चार चो गणना हुइल रहे । मने उबेला हुइल गणनामे बलगर हृष्टपुष्ट मनैन्के किल गणना हुइल डेखाइठ । बालबालिका, महिला, वृद्धवृद्धाहुकनके तथ्यांक भर नैपाजाए । ब्रिटिस सरकारसे फौजमे भर्ना करेक लाग नेपालसे मानवस्रोत निर्यात करना ओइसिन करल पाजाइठ ।

भारत राज्य ब्रिटिसके उपनिवेशसे छुटकारा पासेकलपाछे नेपालमे फेन सन् १९५१ मे हुइल जनगणनामे धेर परिवर्तन आइल डेखाइठ । टमान कालखण्डमे देशमे हुइल राजनीतिक, आर्थिक सामाजिक, सांस्कृतिक परिवर्तनसँगे मनै अप्ने निर्धक्क हुके बोले पाइल, अपन पहिचान लिखैना सचेत हुइल । टबेमारे सन् १९९० के दशकपाछे हुइल जनगणनाके तथ्यांकहे अध्ययन करेबेर जातीय, भाषिक, धार्मिक विषयहे प्रष्ट बुझे सेकजाइठ ।

जनगणना करेबेर प्रश्नकर्तामे फेन भर परठ । प्रश्नकर्तासे करे खोजल संवाद उत्तरदाता बुझे नैसेक्लेसे ओकर उत्तर फेन फरक अइना हुइल । टबेमारे अइसिक रकल तथ्यांक संकलनसे सत्य–तथ्य आइ नैसेकठ । विगत वर्षके सिकाइ, चुनौतीहे ध्यान डेके यी वर्ष भर फरक मेरिक तयारी करल पाजाइठ ।

मानवीय स्रोत परिचालनमे फेन समावेशिताके सिद्धान्तके आधारमे पर्यवेक्षक, गणकहुकनहे छनोट करके अभिमुखीकरण, तालिम प्रदान करके दक्ष जनशक्ति परिचालनके नीति राज्य लेले बा ।
राज्यके टमान पूर्वतयारीके बाबजुद कुछ अल्पसंख्यक, सीमान्तकृत, मुसलमान, जनजाति, राना थारु, दलित, मधेसी लगायतके समुदाय भर विगतके अपन तथ्यांकबारे असन्तुष्ट बा । यी वर्षके जनगणनाप्रतिके बुझाइ फेन साझा बने सेकल नैहो ।

जनगणनाके विषयमे हुइल नागरिक अगुवाहुकनके भेलामे नेपालगन्ज उपमहानगरपालिका अन्तर्गत एक मदरसाके मौलाना २०६८ के जनगणना तथ्यांकप्रति असन्तुष्ट व्यक्त करटि कलैं, ‘मुसलमानके जनसंख्या जम्मा ४.४ प्रतिशतकिल डेखाइल बा, जोन विगतके तथ्यांकसे कुछ फरक नैडेखाइठ । जबकि– मुसलमान समुदायमे स्थायी परिवार नियोजन, बन्ध्याकरण, अस्थायी साधन जैसिन बाट बर्जित करल बा ।’

जे जहाँ बा, ओहैंसे गणना हुइना अवधारणा अबलम्बन करना हुइल ओरसे कुछ जनसंख्या दोहरिना सम्भावना रहल जनगणना विज्ञहुकनके कहाइ बा । कोरोनोके महामारीके कारण धेरजैसिन रोजगार गुमाइलहुक्रे अन्यत्र स्थानमे विस्थापित हुइल बटैं । महामारीके बेलामे गणकहुक्रे घरधुरीमे गैलेसे दुवार नखोल्ने, अपरिचितसँग उत्तर दिन नैखोल्ना जैसिन चुनौती थपल बटैठैं ।

अस्टेक वैदेशिक रोजगारमे गैलहुक्रे खासकरके महिलाहुकनके तथ्यांक सामाजिक हेयभावसे हुबहु नैआइ सेकठ, धेरजैसिन खाडी मुलुकमे गैल महिलाहुकनहे घरपरिवार डाटा लुकाइ खोज्ठैं । अस्टेक नेपाल ओ भारत सिमाना लग्गे रहल गाउँबस्तीके जग्गा दुनु देशओर हुइल ओरसे उ समुदाय तथ्यांकमे प्रभाव पारे सेक्ना फेन देखाइठ ।

अस्टेक यौनिक तथा लैंगिक अल्पसंख्यक समुदाय फेन यी वर्षके जनगणनाहे अवसरके रुपमे लेले बटैं । खासकरके विगतके जनगणनाके तथ्यांकमे यी समुदाय विल्कुले शून्य डेखाइठ । जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन अपन अनुसन्धान पत्रमे यी समुदाय कुल जनसंख्याके १० प्रतिशत करल उल्लेख करले बा । आझकल भर यी समुदाय टमान सचेतना गोष्ठी, छलफल करके अपन पहिचानसहितके सहभागितामे जोर डेहल डेखाइठ ।

मोर गणना, मोर सहभागिता नाराहे सार्थक बनैना अनेक समुदाय, खासकरके अल्पसंख्यक, सीमान्तकृत, मधेसी, मुस्लिम, दलित, थारु, राना थारु, यौनिक तथा लैंगिक अल्पसंख्यक समुदाय यी जनगणनाहे अवसरके रुपमे लेलेसे फेन चुनौती फेन ओत्रे डेखाइठ ।

थारु अगुवाहुक्रे फेन यी जनगणनाहे एकदम महत्वके साथ लेहल पाजाइठ । विगतके थारु जनसंख्यामे असन्तुष्ट व्यक्त करटि, धनगढी उपमहानगरपालिकाके भलमन्सा गोठु थारु कलैं, ‘कैलालीमे सबसे ढेर थारु जाति रलेसे फेन २०६८ के जनगणनासे थारुहे चौठा स्थानमे ढरल बा । अइसिक थारुहुकनके जनसंख्यामे राज्य खेलबाड करटि आइल बा । थारुके पहिचान झल्कना, भाषा, जाति, धर्म, कला, सीपलगायत सब समेटना प्रश्नावली फेन नैरहठ । मोर धर्म प्रकृतिपूजक हो कलेसे गणक अप्नेन्के हिन्दु हो कहिके अप्नही लिख्डेठैं । पहिचान मेटना मेरिक तथ्यांक लेके का अर्थ ? टबेमारे राज्यसे गणकहुकनहे अभिमुखीकरण करेबेर अइसिन संवेदनशील विषयमे ध्यान डेना जरुरी बा ।’

देशभरमे दुई जिल्ला कैलाली ओ कञ्चनपुरमे किल बसोबास रहल राना थारुहुकनके गुनासो फेन ओत्रे सुनजाइठ । यी समुदाय फेन अपन जनसंख्या साढे तीन लाख रहल दाबी करठ । मने यी समुदायके यकिन तथ्यांक भर जनगणनामे समेटल नैडेखाइठ ।

‘नागरिकतामे फेन राना थर किल लिखैले रठैं । टबेमारे यी समुदाय अन्य समुदायबीच नैछुट्ठ । मगर राना हो कि ? क्षेत्री राना हो कि थारु राना ?,’ राना समुदायके अगुवा नन्दलाल राना कठैं ।
अइसिक राज्यसँग अपन नागरिकके वास्तविक तथ्यांक नैहुके समानुपातिक समावेशी, आरक्षण, राज्यके सेवा सुविधासे वञ्चित हुइना हुइल ओरसे राना थारुहुक्रे अपनहे छुट्टे जाति कहिके सूचीकृत करना बारम्बार दबाब डेटि आइल बा ।

राज्यसे विभेदमे पारल बटि आवाज उठैटि दलित समुदायके पीडा फेन ओस्टे बा । यी समुदाय फेन अपन जनसंख्या २० प्रतिशतसे उप्पर रहल दाबी करठ । मने २०६८ के जनगणनासे जम्मा १३.६ प्रतिशत किल डेखाइठ । अपन थर गैह्रदलितसँग मिल्ना हुइल ओरसे दलितहुकनके जनसंख्यामे कमी डेखाइल गुनासो दलित अगुवाहुकनके बा ।

मोर गणना, मोर सहभागिता नाराहे सार्थक बनैना अनेक समुदाय, खासकरके अल्पसंख्यक, सीमान्तकृत, मधेसी, मुस्लिम, दलित, थारु, राना थारु, यौनिक तथा लैंगिक अल्पसंख्यक समुदाय यी जनगणनाहे अवसरके रुपमे लेलेसे फेन चुनौती फेन ओत्रे डेखाइठ ।

थारु आयोग, थारु कल्याणकारिणी सभा लगायतसे जनगणनामे सब थारुहुकनहे अपन थारु थर जा रलेसे फेन थरके पाछे थारु लिखैना आह्वान करले बा । मने अपन नामके पाछे जात जस्टे कुसम्या, दहित फेन थारुके पहिचान डेना कना एकमेरिक थारु अगुवाहुकनके बुझाइ बा ।

अस्टेक राना थारु समाज फेन अपन समुदायमे सचेतना छलफल करले बा । यौनिक तथा लैंगिक अल्पसंख्यक, दलित अगुवा, संघसंस्था फेन अपन जनसंख्याके विषयमे चिन्तित बा । टमान माध्यमसे अपन थरके बारेमे सचेत करटि आइल बा । समुदायहे जनगणनाके महत्वके बारेमे सचेत बनैना राज्यके दायित्व हुके फेन यी विषयमे कौनोमेरिक सचेतना कार्यक्रम नैहुइल गुनासो बा ।

राज्यके सेवासुविधा उपभोग करनासे वञ्चित, किनारीकृत समुदाय अपन तथ्यांक राज्यहे काहे डेना कना तर्क फेन करठ । अब्बे कोरोनाके महामारीके बेला स्थानीय सरकारसे राहत वितरण करेबेर, राहत नैपैना समुदाय सरकारसँग रुष्ट डेखाइठ । अस्टेक, स्थानीय सरकारके चुनावी माहोलसे फेन जनगणनाहे कम महत्व डेठैं कि कना फेन डेखाइल बा ।

जनगणनाके तथ्यांकमे डेखाइ सेक्ना अविश्वास, असन्तुष्टि कम करना तथ्यांक प्रकाशन करनापूर्व टमान समुदायके अगुवाहुक्रे जस्टे थारु समुदायके भलमन्सा, बरघर, टमान आयोग, धार्मिक अगुवा, दलित अगुवा, मधेसी नागरिक, राना थारु, मुस्लिम समुदायके अगुवा, यौनिक तथा लैंगिक अल्पसंख्यक समुदाय लगायतके समुदायहे परामर्श बैठक, गोष्ठीमे सहभागि करैना जरुरी बा, जिहिनसे जनगणनाके तथ्यांकहे उ समुदायसे अपनत्व, स्वीकार्यता, विश्वास करे सेके ।

जनगणना जनसांख्यिक, देशके आर्थिक कामकारबाही, अपन नागरिकके शिक्षा ओ साक्षरता, आवास, घरेलु सुविधा, सहरीकरण, प्रजनन स्वास्थ्य, मातृ तथा बाल मृत्युदर, सीमान्तकृत समुदायके अनुसूचित जातजाति, भाषा, धर्म, शारीरिक अशक्त, अपांग, विधवा, एकल महिला, वृद्धवृद्धा, यौनिक तथा लैंगिक अल्पसंख्यकके तथ्यपरक जानकारीके लाग करजाइठ ।
जनगणनाके सहायतासे संघीय, प्रादेशिक, स्थानीय सरकारसे बनैना विकासके योजना,(बाँकी ३ पेजमे) राजनीतिक, समाजिक, आर्थिक विकास करना मद्दत पुगठ । साथे राष्ट्रिय तथा अन्तर्राष्ट्रिय स्तरमे फेन देशके अवस्थाहे बुझैना करठ ।

अस्टेक जनगणनाके आधारमे निर्वाचन क्षेत्र, संसदीय, विधानसभा, प्रदेशसभा, स्थानीय निकाय लगायत आरक्षणके लाग, समानुपातिक समावेशिता निर्धारण करना हुइल ओरसे किनारीकृत समुदाय, अल्पसंख्यक समुदायसे यिहिनहे अवसरके रुपमे लेहेपरठ ।

ओत्रे किल नैहुके जनगणनासे १० वर्षके समीक्षा तथा मूल्यांकन करना, चालु योजना तथा अनुगमन करना, भविष्यमे करना विकास निर्माणके योजना बनैना, जातीय उत्थानके लाग रणनीति बनैना मद्दत करना हुइल ओरसे यिहिनहे विशेष महत्वके रुपमे असन्तुष्ट, अल्पसंख्यक समुदायहे सूचित करना जरुरी बा ।

राज्य शासन सत्ता सञ्चालनके रणनीति, विकास योजना, आर्थिक स्रोत परिचालन करना जनगणना नैहुके नैहुइना हुइल ओरसे अपन पहिचानसहितके सहभागिता जनैना जरुरी बा । टबेमारे अपन सहभागिता ओ पहिचानके लाग भाषा, धर्म, रीतिरिवाज, कला संस्कृति लिखाइ नैछुटाइ । जातीय पहिचानके लाग यिहिनसे भारी अवसर औरे हुइ नैसेकि ।

साभारः कोसी अनलाइन डटकम

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