थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत २० असार २६४९, शुक्कर ]
[ वि.सं २० असार २०८२, शुक्रबार ]
[ 04 Jul 2025, Friday ]

घाँस खेतीमे फस्टैलै यूवा व्यवसायी

पहुरा | २४ आश्विन २०७८, आईतवार
घाँस खेतीमे फस्टैलै यूवा व्यवसायी

ओइनके वार्षिक कमाई २० से ३० लाखसम

प्रेम चौधरी

कैलाली, २४ कुवाँर । “कौनो व्यावसाय कैना चुनौती बा, अाँट करलेसे असम्भव भर कुछ नइहो, नेपाली यूवासे दुई/चार लाख रुप्या कमाइक लाग विदेश जाई नइपरी” कैलालीके टिकापुरमे आठ वर्षसे व्यावसायिक रुपमे घाँसखेती करके लाखौ आम्दानी कैना सफल हुइल गौरक्ष एकीकृत कृषि तथा पशुपन्क्षी फार्मके संचालक युवराराज शर्मा कहठै ।

कोरोना महामारीके कारण व्यापार, व्यवसाय, यातायात, पर्यटन, शिक्षा सक्कुओर प्रभाव परल बा । कोरोनाके दुई वर्षमे ढेरजे रोजगारी गुमैले बटै । कतिपयके पेसा व्यवसाय ठप्प हुइल बा । स्वदेशमे रोजगारी नइपाइल कहटी हरेक वर्ष लाखौ नेपालीहुक्रे भारत ओ टिसरा मुलुक ढइटी रहल बटै । मने, कुछ करे परठ कना आँट ओ अठोट रहल युवाहुक्रे भर स्वदेशमे नमुनायोग्य काम करटी रहल बटै ।

“कुछ संघरीयाहुक्रे मिलके कृषि सम्बन्धी कुछ नयाँ करे परल कना सोचमे रही । टीकापुर बहुमुखी क्याम्पसके जग्गा लिजमे लेनाबारेके सूचना डेख्ली । उहाँ प्रतिविघा प्रतिवर्ष ३५ हजार रुप्यामे जग्गा लिजमे लेहल बटैलै । पाँच बर्षके सम्झौता सेकलपाछे फेर पाँच वर्ष थपल बा ।

युवराज कहलै– हम्रे ६ विघा जमिनमे घाँसखेती सुरु करेबेर कुछ जोखिम रहे, मने ठिके उत्पादन हुइल । ओर ठोरिक ढेर करे परठ कना साहस जुटल ।

उहाँक अनुसार २०७० सालमे घाँसखेती शुरु करेबेर ६ जानेक टिम रहे । “बाँकी पाँच जाने संघरीयाहुक्रे कृषि कार्य नइकैना कहिके और पेसा व्यवसायमे लल्गलै । कोई जागिरओर लग्लै । मै आँट करके २०७१ सालसे व्यवसायिक रुपमे घाँसखेती करटी रहल बटु” उहाँ कहलै ।

उहाँ टीकापुर बहुमुखी क्याम्पसके १८ विघा ओ जानकी गाउँपालिकाके पाँच विघा करके २३ विघामे घाँसखेती करटी रहल बटै । उहाँ कहलै– दुई जातके घाँसके वीऊफे उत्पादन करटी रहल बटु ।

उहाँ कहलै– वर्षे घाँसे उत्पादनके सालाखाला हिसाब करेबेर प्रतिबिघा १० क्वीन्टल फरठ । नोक्सान नइहुइल कलेसे बर्खामे अढाई सय क्वीन्टल ओ हिउँदमे प्रतिविघा १७/१८ क्वीन्टल फरठ । मौसम परिस्थितिअनुसार अढाई सयसे साढे तीन सय क्वीन्टलसमफे घाँसके वीऊ उत्पादन हुइठ ।

उहाँक अनुसार बजारमे घाँसके वीऊ प्रतिकिलो १५० रुप्याके दरसे बिक्री हुइटी रहल बा । “नेपाल सरकारसे १२ हजार रुप्या प्रतिक्विन्टल तोक्ले बा, हम्रे प्रतिक्विन्टल १० हजार रुप्याके दरसे बिक्री करले बटी ।

उहाँक अनुसार एक मौसमे दुई/अढाई सय क्वीन्टल विउ उत्पादन हुइलपाछे २५ से ३० लाख रुप्या आम्दानी हुइना करठ । कटाई, जोताई, सिचाई, विउ, थ्रेसिङलगायतके खर्च कटाके प्रतिविघा सवा एक लाख रुप्या बचत हुइना करल बा । 

“मै उत्पादन करल टिओ सेन्टी मकै चरी ओ जै (ओटस जात) करके दुई जातके घाँसके विउ नेपाल भर आपूर्ति ओ बिक्री हुइटी रहल बा । बजारीकरणके कौनो समस्या नइहो” युवराज कहलै– चितवनमे केल यी बरस एक सय ५० क्वीन्टल घाँसके विउ पठैले बटु । सुदरपश्चिम प्रदेशके सक्कु ठाउँमे पठैना करल बटु । लुम्बिनी प्रदेश तथा जनकपुरसमफे विउ पठैले बटी ।

उहाँक एकीकृत कृषि तथा पशुपन्छी फार्ममे दुई जाने हेरालु तथा चौकीदार प्रत्यक्ष रोजगारी पैले बटै । एक सिजनमे ७०/७५ जाने दुई महिना काम करठै । टिओ सेन्टी मकै चरी अगहन महिनामे तयारमे हुइटी बा, संग्गे ढेर कामदार लगैलेसे कोरोना महामारीहे ढेर ध्यान देहे परी ।

कैलारी गाउँपालिका–५ के शंकरसिंह बिष्ट ओ गोदावरी नगरपालिका–२, अत्तरियाके मीनराज जोशीफे व्यावसायिक घाँसखेती ओ पशुपालनमे लग्लेसेफे कोरोना महामारीके कारण प्रभावित हुइल बटै ।

No description available.

मीनराजसे सुदूरपश्चिम कृषि तथा पशु विकास फार्ममार्फत दुई सय छेगरी, १३ ठो गैया, १३ ठो भैसी पल्ले रहिट । कोरोना महमारीके कारण कामदार नइपैना हुइलपाछे पशुपालन ओ घाँसखेती घटैना बाध्य हुइल उहाँ बटैलै ।

दुर्गा बहुमुखी क्याम्पसके चार विघा, और ठाउँमे ८ विघा करके ११ विघामे प्रतिविघा २५ से ३० हजार प्रतिबर्ष लिजमे लेके व्यावसायिक घाँस खेती करटी रहल बटु’ मीनराज कहलै ।,

२०७२ सालसे घाँसखेती सुरु करल उहाँ चार विघामे बहुवर्षीय घाँस नेपियार, मुलाटो, बदामे, पास पालङ, शम्भु सटेरिया, गठेमालो, ओ डाले घाँस लगाइल ओ सिजनल घाँस खेती आठ विघामे करटी रहल बटै ।

No description available.

सुरुमे २० विघामे घाँस खेती करले रहु, उहाँ कहलै– छाडा गैयाके कारण संरक्षण करे नइसेक्के, कोरोनाके कारण चाहल जटरा कामदार नइपाके घटाइल बा । उहाँ कहलै, ‘घाँस खेतीमे सन्तुष्ट बटु । बार्षिक १५ से २० लाख रुप्याके घाँस विक्री हुइटी रहठ । घाँस बजारीकरणमे कुछफे समस्या नइहो । पहिले बर्दियासम घाँसके विउ जाए अब्बे सुदूरपश्चिमके नौ जिल्लाके नगरपालिका, गाउँपालिकाहुक्रे लेना करल बटै ।’

घाँस खेतीके आम्दानीसे मीनराज अब्बे अत्तरियामे दुध डेरी तथा होटल व्यावसायफे सुरु करले बटै । अपने फर्ममे व्यावसायिक रुपमे पालल गैया भैसीनीयाके ६० से ७० लिटर शुद्ध दुध डेरीसे विक्री करटी रहल सुदूरपश्चिम कृषि तथा पशु विकास फर्म प्रालिके संचालक जोशी बटैठै । उहाँ कहलै, पहिले २ सय लिटर दुध उत्पादन हुए । अब्बे दुध घटल बा । कोरोनाके कारण कबु लेवर पैना कबु नइपैना हुइलपाछे पशुपालनके संख्या घटाईबेर दुधफे घटल हो ।’

ओस्टेक दार्चुला जिल्लाके लेकम गाउँपालिका–१ सरमोली स्थायी वासिन्दा हाल कैलालीके कैलारी गाउँपालिका–५ पवेरा बैठना ३३ वर्षीय शंकरसिंह बिष्ट छोट अवधिमे कृषि व्यवसायसे मिलल सफलतासे उत्साहित हुइल बटै ।

No description available.

एकीकृत कृषि व्यवसायसे वर्षमे २८ लाख रुप्या ढेरके कारोबार हुई लागलपाछे उहाँ ओ उहाँक परिवार हाल सुरु करल व्यवसायसे बहुट उत्साहित बटै । बन्डोली एकीकृत कृषि फर्ममार्फत व्यावसायिक कृषि व्यवसाय सुरु करल उहाँ चालू वर्षमे घाँस खेतीसे केल २० लाख रुप्या ढेरके कारोबार करल बटैठै ।

‘व्यावसायिक रूपमे ६ विघामे लगाइल घाँससे यी वर्ष करीब २० लाख रुप्याके कारोबार हुइल बा,’ फर्मके व्यवस्थापक बिष्ट कहलै,– ‘सक्कु खर्च कटाके १५ लाख रुप्या आम्दानी हुइल । विष्ट ६ विघामे खेती करेबेर हुकान परिवारके सक्कु जे रोजगार पैले बा । 

वैदेशिक रोजगारीसे हन्डर खाइलपाछे बिष्ट पहिलेसे सोचल व्यवसाय कैलालीके कैलारी गाउँपालिका–५, पवेरामे शुरू करलै । बिष्ट २०७५ भदौसे व्यावसायिक घाँस खेती शुरूआत करल हुइट ।

बन्डोली एकीकृत कृषि फर्म दर्ता करके शुरूमे जमिन भाडामे लेके उहाँ व्यावसायिक घाँस खेती शुरू करलै । १०/१० वर्षके लाग २ स्थानमे साढे ३ लाख रुप्यामे जग्गा भाडामे लेहल उहाँ बटैठै ।

‘पहिलेसे कृषि करम कहिके लागल रहु । पहाडमे टिना खेती करु । दार्चुलाके गोकुलेश्वरमे २ वर्ष होटल चलैनु । बारीमे लगाइल टिनासे नइभ्याइलपाछे तराई झरके व्यावसायिक घाँस खेतीके शुरूआत करनु,’ उहाँ कहलै ।

‘चितवनसे सुपर नेपियर जातके घाँसके बिउ खरिद करके ५ कटठासे शुरूआत करल घाँस खेतीके विस्तार करटी १ विघा ५ कटठा पुगैनु,’ उहाँ कहलै, ‘हाल ६ विघामे सुपरनेपियर, सुम्बा सेटेरिया, पासपालम, किम्बु, भटमासे, गोदामे, जै, बरसीन, बाह्रै महिना, हिउँदे, वर्षीय, बहुवर्षीयलगायत घाँसके बेर्ना ओ बिउ उत्पादन करटी आइल बटु ।’ फर्मसे उत्पादित घाँसके विउ सुदूरपश्चिम प्रदेशके ९ जिल्लामे आपूर्ति करटी आइल बिष्ट सुनैठै ।

खास करके घाँसके बिउ उत्पादन करटी आइल उहाँ घाँसके डाँठफे बिक्री करटी आइल बटै । जिहीसे दोहोरो फाइदा हुइना सञ्चालक सुशिला बिष्ट बटैठै । उहाँ आघे थप्ली, ‘व्यावसायिक रूपमे गैया, भैंसीनीय, छेगरी, मुरगी, मच्छरीपालन कैना कृषकहुक्रे घाँस खरीद करठै कलेसे घाउँके बिउ भर  सुदूरपश्चिम प्रदेशके अधिकांश स्थानीय तहसे खरिद करटी बटै ।’

कृषिमे पैना अनुदानके गलत नजिर

किसानहे अनुदान एकदम जरुरी बा । मने नेपालमे अनुदानके प्रक्रिया एकदम जटिल बा । ओम्ने घाँस खेती करुइयाहे स्थानीय, प्रदेश वा केन्द्र सरकार प्रथामिकतामे नइधारल व्यावसायिक घाँस खेती करुइयाहुक्रे । ‘गौरक्ष एकीकृत कृषि तथा पशु पन्क्षी फार्मके संचालक युवराराज शर्मा कहठै,–‘कृषि अनुदानके लाग केल व्यावसाय करे नइपरठ । मनै अनुदान पैना कहिके गलत धारणसे कृषिमे लग्ठै, ओम्ने दिगोपन नइहुइठ, ओइनके व्यावसाय कबु नइफस्टाइठ ।’

आठ बर्षसे व्यावसायिक रुपमे घाँस खेती करटी रहल उहाँ कौनो साल रानीजमरा सिचाई आयोजनासे  एक डेढ लाख कौनो बर्ष प्रदेश सरकारसे १ लाख सहयोग कैना बाहेक अपन फर्मसे भारी अनुदान नइपाइल बटैठै । उहाँ कहठै, कृषि कहल देश समाजके ढाड हो । यम्ने सरकारसे लगानी करे परठ । अनुदानके नाममे दुरुपयोग हुई डेहे नइपरल ।

सुदूरपश्चिम कृषि तथा पशु विकास फर्म प्रालिके प्रमुख मीनराज जोशी पहुँच ओ राजनितिक रुपमे नइहेरके सरकारसे डेना काम, अनुदान व्यावसायी करटी रहल जाँगर हुइल यूवाहे बराबर रुपमे डेल्ेसे नेपालमे कृषि क्रान्ति नाने सेक्ना बटैठै ।

जनाअवजको टिप्पणीहरू