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निन्हा ओ सइकोमे धान जामल

पहुरा | ६ कार्तिक २०७८, शनिबार
निन्हा ओ सइकोमे धान जामल

किसान कहठै- “काटल धान पुहगिल, बँचल धान जेउर बनटा”

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, ६ कार्तिक ।
घरेम भित्रैना तयार रहल धानवाली नष्ट हुइलपाछे यी बरस खाद्य संकट परे सेक्ना कहटी किसान चिन्तित हुइल बटै ।

यिहे कुवाँर ३१ से ३ गतेसम बरस बेमौसमी पानीके कारण काटलके निन्हा, पुली ओ सइको बाढसे पुहाके लैगिलपाछे यी बरसके खाद्य संकट परेसेक्ना कहटी चिन्तित बनल हुइट ।

धनगढी उपमहानगरपालिका–१४ एच गाउँके स्वदेशु चौधरी यिहे कार्तिक २ गते अँटवारके आइल बाढसे डेड विघाके काटल धान मोहना लडियासे पुगल लैगिल बटैलै ।

‘कार्तिक १ गतेसे रातभर पानी बरसल, काटल धान सोचके निन्दे नइपरल,’ उहाँ कहलै, ‘सकारे उठके खेतुवा गैनु, खेतुवा टे लडियक ढार बनल पैनु । एक बालफे नइबच्के सक्कु धान लडियामे पुहल भेटैनु ।’

साढे तीन विघामे धानखेती करले रही, पाकल ओसारेक मारे मजासे डशियाफे नइमनागिल उहाँ कहलै, दुसर खेतुवाके साढे २ विघामे लगाइल धान रिप्परसे कटले रही उ फे पुरा भिजके जेउरा बनल बा ।

धनगढी उपमहानगरपालिका–१९ के दशरथ चौधरीफे तीन विघामे लगाइल धानवाली बाढसे डुबाके काम नइलग्ना बटैठै । ‘मेहनत करके बरस भरिक लाग लगाइल धान दुई दिनके पानीसे पुरा सखाप पारलपाछे अशौ भुखही हुइसेकी,’ उहाँ कहलै,‘खेतुवामे अभिनफे पानी जमल बा, निकारके कहाँ ढरना हो, निन्हामे धान फेरसे जामे लागल बा ।’

कैलारी गाउँपालिका–५ पवेराके विष्णुबाबु कठरिया चार विघामे लगाइल धान भिजके काम नइलग्ना हुइल बटैलै । उहाँ कहलै, कार्तिक २ गते रातके ३ बजेसे धान ओसर्नामे व्यस्त रहनु, अभिन पानीमे रहल ओसरे नइसेकल हुँ । पानीसे भिजल धान खेतुवामे जामे लागलपाछे यी बरसके मेहनत ओ लगानी सारा डुबल उहाँ बटैलै ।

कञ्चनपुरके बेलौरी नगरपालिकाके किसान असारेराम बडायतके काटल दुई बिघाके धान खेतुवामे डुबल बा, मने उहाँ अभिन आश मरले नइहुइट । अविरल वर्षाके कारण डुबल धान टुस्याईल लग्लेसेफे उहाँ उहीहे कैसिक भित्रैना कना प्रयासमे लागल बटै ।

धानहे डुबाइल खेतुवासे पम्पसेटके सहायतासे पानी निकास करैटी धान निकर्ना प्रयासमे लागल बडायत कहलै, ‘सरकार क्षतिके विवरण संकलनमे व्यस्त बा मने किसानके धान अभिन पानीमे डुब्टी रहल बा ।, उहीहे बाहेर निकर्नाफे सहयोग नइहो ।’ खेतुवामे डुबल धानमे टुसा आसेकल उहाँ बटैलै । उहाँ कहलै, ‘तबफे उहीहे बचाई सेक्जाई की कहिके हम्रे प्रयास करटी बटी, बाहेर निकारके सेकलपाछे कुछ धान त काम लागी की आशा बा । हेरी, का हुई ।

बडायत जस्टे ढेर किसानके हालत ओस्टे बा । खेतुवामे काटके धारल धान डुबानमे परेबेरे अब्बे धानके दानामे टुसा आसेकल बा, टबफे कुछ धान जोगि की कना आशमे किसान धान निकर्ना प्रयासमे बटै ।

टुसा लागल धानहे कैसिक जोगना ?

धान विज्ञके अनुसार टुसा लागसेकल धानहेफे जोगाई सेक्जाई । नेपाल कृषि अनुसन्धान परिषद् (नार्क) के धान वैज्ञानिक डा.रामवरण यादव कैलाली, कञ्चनपुरओर पानीमे डुबल धानके बालामे टुसा आसेकल हुइलेसेफे ओम्ने अट्टाई नपर्ना बटैलै । उहाँ कहलै, ‘उ धान नइविगरी, उहीहे उसल चाउर, च्युरा ओ भुजा बनाई सेक्जाई ।’

उहाँक अनुसार भिजल धान (परालसहित) पैडल प्रेसर प्रविधिसे झारे सेक्जाई । ‘ओकर लाग नइसुखैलेसेफे हुई, उ धानहे सिधा स्टीम करके चाउर बनाई सेक्जाई वा च्युरा बनाई सेक्जाई,’ उहाँ कहलै, ‘टुसा अइलसेफे उ नइसरटसम काम लागी, काहेकी ओम्ने पटिया नइआइ, जरा केल आइ, जर अइलेसेफे उस्नल चाउरके रुपमे प्रयोग करे सेक्जाइ ।’

नेपालमे वार्षिक पाँच अर्बके उस्नल चामल आयात हुइठ । सरकार चहलेसे भर भिजल धानहे निकारके उस्नल चाउर बनाई सेक्ना उहाँ बटैलै । च्युरा ओ भुजा बनाकेफे ओसिन धान प्रयोग करे सेक्ना उहाँक कहाई बा । उहाँ कहलै, ‘मने सरकारसे ओकर लाग तत्परता डेखाई परल ।’

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