थारु राष्ट्रिय दैनिक
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[ 27 Apr 2025, Sunday ]
‘ सम्पादकीय ’

अदालतमे अन्योलता कबसम

पहुरा | २ मंसिर २०७८, बिहीबार
अदालतमे अन्योलता कबसम

नेपाली जनताके विकास, समृद्धि तथा मानव अधिकारमैत्री एवम् जवाफदेही शासनके अपेक्षामे हाल सर्वोच्च अदालतमे डेखल अन्योलतासे संस्थागत अराजकतासे गम्भीर आघात पुग्टी बा ।

न्यायिक सम्पादनमे हुइटी रहल ढिलाइसे आम नागरिकके अधिकार कुण्ठित हुइटी बा कलेसे न्यायपालिकासे कैना न्याय सम्पादनके कार्य नियमित रुपमे सञ्चालन नइहुइल ओरसे जनताके समयमे न्याय प्राप्त कैना आधारभूत अधिकार उल्लंघन हुइल अब्बेक सर्वोच्चमे चलल घटनाक्रम डेखल बा ।

न्यायपालिकाके स्वतन्त्रताके सैद्धान्तिक मूल्यविरुद्ध राज्यके और अङ्ग ओ संस्थाके शासन प्रणालीमे सहभागिता खोज्न जैसिन जघन्य खेलमे मुलुकके सर्वोच्च अदालतके न्यायमूर्तिउप्पर प्रश्न उठ्न करके करल न्याय सम्पादनसे अदालतके विश्वसनियताउप्पर संकट पैदा हुइल डेखजाइठ । जनमतके समेत अवमुल्यन कैना करके कतिपय फैसलामे करल ढिलाइ, सन्देहास्पद गतिविधिके निराकरण करेक लाग संरचनागत सुधार ओ जनशक्तिके पर्याप्तता सुनिश्चित करे परल ।

‘२०७७ साउन २९ गते सर्वोच्च अदालतके न्यायाधीश हरिकृष्ण कार्कीके संयोजकत्वमे गठित अध्ययन समितिसे बुझाइल प्रतिवेदनमे कतिपय न्यायाधीश ओ कानुन व्यवसायी स्वयम्फे विचौलिया बटै । अदालतमे हुइना यी मेरिक प्रकृतिके गलत अभ्यासके अन्त्यके लाग कठोर पहलकदमी आवश्यक रहल ओरसे अदालतके सुधारके लाग प्राप्त प्रतिवेदनके तत्काल कार्यान्वयन करे परल ।

न्यायलयसे कैना ढिला न्यायसे पीडितके न्याय प्राप्त कैना अधिकारउप्पर गम्भीर कुठाराघात हुइल बा । महोत्तरीके मनरासिस्वा नगरपालिका–१० के निर्वाचन परिणामसम्बन्धी फैसला, गोङ्गबुस्थित अस्थायी प्रहरी चौकीमे कार्यरत जवान मदननारायण श्रेष्ठ १३ वर्ष ६ महिनापाछे निर्दोष सावित करल फैसला, द्वन्द्वके समयमे काभ्रेके अर्जुन लामाहे तत्कालीन नेकपा (माओवादी) के कार्यकर्तासे अपहरण करके हत्या करल १६ वर्ष नाघल मुद्दा, पूर्वमन्त्री तथा कांग्रेस नेता मोहम्मद अफताब आलम विरुद्धके मुद्दाके पेशी बारबार सरना जैसिन प्रतिनिधिमूलक घटनासे न्यायपालिकासे ढिलासुस्ती हुइटी बा ।

लोकतन्त्रके रक्षार्थ शक्ति पृथकीकारणके अभ्यास सुदृढ कैना ओर न्यायपालिका, कार्यपालिका ओ व्यवास्थिपकाके गम्भीर ध्यानाकर्षण करैटी लोकतन्त्र, सामाजिक न्याय, मानव अधिकार ओ विधिके शासन स्थापित कैना एकीकृत पहलकदमी कैना जरूरी डेखल बा ।

टबमारे अदालतमे देखल अन्योलताहे हटाइक लाग न्यायाधीशके नियुक्तिसंग सम्बन्धित प्रणालीमे आवश्यक सुधार करके न्यायालयके जवाफदेहिता सुनिश्चत कैना काममे सक्कु न्यायाधीसहे गम्भिरतापूर्वक संलग्न हुइना आग्रह जरुरी बा ।

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