द्वन्द्वपीडित कठै– ‘ना सास पैली ना लास’

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, ६ अगहन । कञ्चपुर कृष्णपुर नगरपालिका–३, कटानके लक्ष्मी चौधरीके छाई परमलौटी कुमारी चौधरी वेपत्ता हुइल दुई दशक हुइल ।
तत्कालिन अवस्थामे कक्षा ७ कक्षामे पढटी करल १५ वर्षीया छाई विद्यालय गैल रहिट । उहाँक छाई अभिन घर नइलौटली । डगरेम नेपाली सेनासे वेपत्ता पारल लक्ष्मी बटैली । ‘विद्यालयसे अइटी रहल बेला स्थानीय खुशीराम बडायकके घरसे वेपत्ता बनैलै,’ उहाँ कहली । ‘सेना व्यारेकमे लैगिलैं । ओकरपाछे कहाँ, छाई कहाँ गैल कुछ अटापटा नइहो ।’ अभिनफे छाई अइना आस रहल बटैटी उहाँ कहली, ‘छाई जिट्टी बा कना लागठ । एक दिन आई ।’ अभिनफे डगर हेरटी रहल उहाँ बटैली । ‘छाईहे खोजीके लाग देउता पुज्नसे प्रहरी प्रशासन सक्कु ठाउँमे पुग्लेसेफे कुछ नइहुइल,’ उहाँ कहली, ‘राज्यसे और बाट नइडेलेसेफे अवस्था केल सार्वजनिक करेलेसे चित्त बुझ्न रहे ।’
२०५८ सालके पुष १७ गते हिरादेवीके गोसिया रंगनाथ भण्डारी लगायत ५ जाने वेपत्ता हुइलै । शिक्षक समेत रहल हिराके गोसिया लगायत उहाँक घर वरपर रहल ५ जाने व्यक्तिहे तत्कालिन अवस्थामे नेपाली सेनासे घर बाहेर बोलाइल । ‘सेना ओइनहे गालिगलौज करटी पिट्टी घरसे दुर लैगिल । दुसर दिन सकारे घरसे ५ सय मिटर दुर रगत बहल, केक्रो चप्पल टे केक्रो जकेट भेटैनु,’ हिरा आँस पोच्छटी कहली, ‘उहीसे ढेर हम्रे कुछ नैपैली । ओकरपाछे हम्रे नटे लास पैले हुई । नटे सास ।’ राज्यसे मारल नइकहटसम अपन संस्कार अनुसार कैना कार्य समेत कुछ नइकरल हिरा बटैली ।
हिराके गोसिया रंगनाथ संगे भतिज्वा दीर्घराज भण्डारी, उहाँक छिमेकी टेकबहादुर रावल, सिद्धराज पाण्डे ओ हर्क सार्की वेपत्ता हुइल हुइट । ‘माओवादी हो कहटी पिटटी रातके समयमे लैगिलै । अब्बे कहाँ लैजिबो कहेबेर उल्टे बन्दुकसे डाँडले मरलै । उ बेलाके घाउसे अब्बेफे मजासे नेंगे नइसेकल हुँ ।’ राज्यसे डेहल राहतके नाममे १० लाख केल सक्कु चिज नइहुइल उहाँ दुखेसो पोख्ली ।
‘द्वन्द्व पीडित परिवारहे किस्ता–किस्तामे १० लाख डेहल,’ उहाँ कहली, ‘उ हम्रहिनहे न्याय नइहुइल । मोर दुई छावा एक छाई बटै । ओइनके भविष्यके फे बाट बा । दुसर बाट राज्यसे अभिनफे वेपत्ताहुकनके अवस्था सार्वजनिक नइकैनाफे अपराध हो । अवस्था सार्वजनिक नइकरटसम मै जैसिन एकल महिलाहुकनहे काम करेबेर ढेर गाह्रो हुइल बा ।’
विस्तृत शान्ति सम्झौता हुइल १५ वर्ष पुगेबेर समेत राज्यसे वेपत्ताहुकनके अवस्था नइबटैना कमजोर हुइल उहाँ उल्लेख करली । ‘आज शान्ति सम्झौता हुइल १५ बर्ष पुगल बा,’ हिरा कहली, ‘शान्ति सम्झौता हुइल ६० दिनभिटर वेपत्ताहुकनके खोजी करके सत्य तथ्य सार्वजनिक कैना कहल बा । कहाँ गैल उ ६० दिन ?’
कञ्चनपुरके बेलौरी नगरपालिका–१० भुराके ४६ वर्षीय बलिराम चौधरीके फोक्सोमे दाग बा । मेडिकलमे बैठल वेला २०५९ सावन १० गते नेपाली सेनासे पिटटी गारी करटी लैगिलै । ‘अपहरण करके लैजाके थाक्नामे डारके मर्नासम करके पिटलै,’ उहाँ कहलै, ‘१० दिनसम प्रहरी हिरासतमे लेलै । शरीरमे कबु निक नइहुइना करके चोट डेलै । यिहीसे मै जीवन भर दुख पाइटु ।’ कम्मर ओ फोक्सोके उपचार कैनामे लाखौँ रुप्या खर्च करके फे ठिक नइहुइल उहाँ दुखेसो पोख्लै ।
‘फोक्सोके चोटसे खोखेबेर रगत आइठ,’ उहाँ कहलै, ‘अब्बेफे नियमित औषधी खैटी रहल बटु । चिकित्सकसेफे आव निक नइहुइना बटाइलपाछे घर बैठल बटु । राज्यसे मै जैसिन घाहिलहुकनहे कौनो क्षतिपूर्ति समेत नइडेहल ।’ राज्यसे रोजगारी ओ छाईछावाके शिक्षा समेत निःशुल्क नइडेके उहाँ ढेर दुखी बटै ।
शान्ति सम्झौता हुइल १५ वर्ष वित्लेसेफे द्वन्द्व कालमे राज्य ओ विद्राही पक्ष से हुइल वेपत्ता ओ अगंभग हुइल परिवार राजनीति रुपमे लग्गे रहल व्यक्तिहुक्रे केल फाइदा लेहल बटैठै कञ्चनपुर गुलरिया नगरपालिकाके लालबहादुर डंगौरा कहठै, ‘२०५७ साल ओर हुई । घरे अपने लगायत गोसिनीया, छावा–छाई सुटल रही, सेना ओ प्रहरीके टोली आके पिटटी लैगिलै । मर्नासम पिटलै ।’
द्वन्द्वकालके समयमे नइजैम कलेसे झन समस्या हुइना करल बटैटी लालबहादुर कहठै । ‘उ फे सम्झलेसे टे अब्बेफे शरीर ठरठराइठ,’ उहाँ उपचारके लाग काठमाडौंसे भारतके बरेलीसम पुग्लै । मने, उहाँहे सञ्चो हुइल नइहो । शरीरके उपचार कैना १० कठ्ठा ढेर जमिन बेचे परल उहाँ अपन दुख सुनैलै ।
कञ्चनपुर बेलडाँडी नगरपालिका–३ के शारदा देवी डगौराके ८ महिनाके छावा रहेबेर गोसिया रुपसिंह डगौरा वेपत्ता हुइलै । २०५८ सालमे वेपत्ता हुइल उहाँक गोसियाक अभिनसम न उहाँ सास पैली न नटे लास । ‘छावा ८ महिनाके रहेबेर गोसिया वेपत्ता हुइलै । राज्यसे १० लाख रुप्या किस्ता–किस्तामे राहत डेहल,’ उहाँ कहली, ‘उ १० लाख आइल ओराइल ।
कम्तीमेफे वेपत्ता परिवारहे कौनो रोजगार या आर्यआर्जनके काम डेलेसेफे ढेर राहत हुइना रहे ।’ राज्यसे वेपत्ता परिवारहे टमान क्षेत्रमे अवसर डेना करल बटैलेसेफे अभिनसम कौनो ओसिन अवसर नइपाइल उहाँ गुनासो करली ।
द्वन्द्वपीडित साझा चौतारी समाजके संयोजक गणेश मल्ल द्वन्द पीडितहुकनके मुद्धामे राज्य गम्भीर नइबन्के समस्या हुइटी रहल बटैठै । ‘शान्ति सम्झौतामे ६० दिनभिटर वेपत्ताहुकनके अवस्था सत्यतथ्य सार्वजनिक कैना कहल बा,’ उहाँ कहलै, ‘मने, राज्य गम्भीर नइहुके ६० दिन नही १५ वर्षसमफे वेपत्ताहुकनके अवस्था ओस्टे रहल बा ।’
राष्ट्रिय मानव अधिकार आयोगके सुदूरपश्चिम संयोजक मोहनदेव जोशी राजनीति इच्छाशक्ति नइहुके द्वन्द्व पीडितके समस्या सल्टाई नइसेकल बटैठै ।
