सार्वजनिक स्थलमे हुइना हिंसा न्यूनीकरण करी

महिलाहुकनके लाग सार्वजनिक स्थलफे सुरक्षित नइरहल ओ टमान मेरिक हिंसाके सामना करे एक अध्ययनसे पुष्टि करले बा । ओरेकसे ३२१ जनहनहे समेटके करल एक अध्ययनमे ४० प्रतिशत (१२७ जाने) सार्वजनिक यातायातमे अपनेहुकन उप्पर हिंसा हुइल प्रतिक्रिया डेले रहिट । ओस्टेक करके १० प्रतिशत (३१ जाने) डगरमे, नौ प्रतिशत (३० जाने) शैक्षिक संस्थामे, सात प्रतिशत (२१ जाने) भीडभाडमे, छ प्रतिशत (२० जाने) एकान्त ठाउँमे अपनेहुकन उप्पर दुव्र्यवहार हुइल बटैलै । साथे पाँच प्रतिशत (१५ जाने) बजार वा और सार्वजनिक स्थलमे, चार प्रतिशत (१२ जाने) स्वास्थ्य संस्थामे, तीन÷तीन प्रतिशत (१० ओ ९ जाने) वित्तीय संस्था ओ होटेल, पब, डान्सबारमे, दुई प्रतिशत (५ जाने) कार्यस्थलमे साथे ११ प्रतिशत (३६ जाने) खेलमैदान, पार्क, पसलमे हिंसामे परल बटैले बटै । मने कम घटना केल बाहेर अइना ओ उ मन्सेफे बहुट कम कानुनी प्रकृयामे जैना करल अध्ययनसे डेखाइठ । सार्वजनिक स्थलमे महिला तथा किशोरीउप्पर हुइना हिंसाहे तुलनात्मक रूपमे कम प्राथमिकता डेहल विल्गठ ।
युएन वुमनकोसेफ सिटिज एण्ड सेफ पब्लिक स्पेसके ग्लोबल रिपोर्टसे महिला ओ किशाोरीहुक्रे सडकमे नेंगेबेर, अपन सामान बेच्न वा बजारमे किनमेल करेबेर, सामुदायिक शौचालय प्रयोग करेबेर, सार्वजनिक यातायातमे यात्रा करेबेर सुरक्षित नइहुइना विल्गठ । जिहीसे ओइने धम्की ओ हिंसाके अनुभव करे परठ बा ।
महिला तथा किशोरीहुक्रे सुरक्षित सार्वजनिक स्थलके उपभोग करे नइपाके यिहीसे ओइनहे और ढेर मौलिक अधिकार जस्टे आवतजावतके स्वतन्त्रता, शिक्षाके अधिकार, श्रम ओ रोजगारीके अधिकार, सेवामे पहुँच ओ सांस्कृतिक अधिकारके उपभोग कैना ओ नेतृत्वके अवसरसे वञ्चित कैजैटी बा । मने सार्वजनिक स्थानमे महिला उप्पर हुइना हिंसाके दृष्टिकोणसे नीतिके मूल्याङकन ओ अध्ययन खासे हुइल नइविल्गठ । घटल घटनाफे कानुनी प्रकृयामे नइअइना करल, अइलेसेफे सार्वजनिक स्थलसंग सम्बन्धित हुके प्रकृया आघे नइबढल अबस्था विल्गठ ।
टबमारे, सार्वजनिक स्थलमे हुइना हिंसाहे सम्बोधन कैना विद्यामान नीतिके प्रभावकारीता, ओसिन नीतिगत व्यवस्थामे रहल कमजोर पक्षके पहिचान ओ लैङिक न्याय, मानव अधिकारमे आधारित दृष्टिकोणसे सवाल सम्बोधनके लाग सम्भावित डगर पहिचान कैना जरुरी बा ।
