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वेपत्ता परिवार कठै हमार मनै खै ?

पहुरा | १५ पुष २०७८, बिहीबार
वेपत्ता परिवार कठै हमार मनै खै ?

अभिनसम ना सास हो ना लाश

पहुरा समाचारदाता
धनगढी,१५ पुस ।
१८ बरस पहिले धनगढी उपमहानगरपालिका–५ जाई निवासी पदमा वमके गोसियाहे तत्कालिन माओवादी अपनसंग लैगिल । २०६० जेठ ५ गते माओवादीसे करकाँप करके निगालीस्थित घरसे गोसियाहे लैैगिल मने अभिनसम अटोपटो नइरहल पदमा बटैठी ।
सशस्त्र द्वन्दकालमे विद्रोही माओवादी पाटी अपनेहुकनसंग जाई परल कहटी पटक–पटक जहाँ भेटैना उहे टरचार डेटी रहे,’ उहाँ कहली ‘एक चो लैजाके सुगरखाल ओर चाउर बोकाके यातानासमेट डेगिल रहे । मने उहाँ लौटके आगिल रहिट, दुसरा चो घरसे लैगिलै, टबसे अभिन अटोपटो नइहो ।’

घरसे गोसियाहे लैगिल बेला छाई सात बरसके ओ छावा पाँच बरसके रहे, अभिन बच्चाहुकन विद्यालयमे भर्ना समेट करे नइसेकल रहुँ उहाँ कहली । घरेक आर्थिक स्थिति कम्जोर रहे । वेपत्ता पारलपाछे गोसिया आज अइही, काल्ह अइही कहटी रोजाना डगर हेरटी महिना बरस विटगैल, वेपत्ता पारल १८ बरस पुग्गैल अभिनसम ना सास हो ना लाश पत्ता लागल हो,पदमा कठी ।

उहाँ कहली, ‘गोसियाहे वेपत्ता पारल बरसौदिन हुगैल रहे, उजुरी डेनासमेट पत्ता नइरहे । गाउँमे सरसल्लाह करलपाछे वडा कार्यालयसे मुचुल्का बनैवैनु, धनगढीमे उजुरी डेना ठाउँफे पत्ता नइरहे । अदालत ओर एक ठाउँमे निवेदन लिख मग्नु दुई अक्षर लिखैलेक ६ सय रुप्या टिर्नु ।’ एक जनहनमे नास्ता खर्च डेना कहटी मानव अधिकार संघ संस्थामे समेट निदेदन डेहल पदमा बटैठी । जिल्ला प्रशासनमे तथ्याङक खोजडेहे मागेबेर सुब्बा साहव फाइल विन हेरल तथ्याङकमे नाउँ नइहो कहलपाछे अपनही नाउँ खोजके डेहेबेर सुब्बा माफी मागल उहाँ बटैली ।

गोसिया नइरहलपाछे ऋण निकारके छाई छावाहे पह्रैनु । अभिन पह्रटी बटै, मुरी भर ऋण बा । न जग्गा हो ना सम्पति हो । जाईमे ६ धुर जग्गा बा, ओम्ने घर बनाके बैठल बटु, व्यावसाय करु कलेसे आर्थिक कुछ नइहो बुधके रोज धनगढीमे आयोजित एक कार्यक्रममे उहाँ अपन दुःख पोख्ली ।

अब्बे होटल साथीके गार्डेनमे फुलवगैचाके काम कैठु, उहीसे छावा छाई पह्रैटी बटु, सरकारसे किस्ताबन्दीमे एक लाख, दुई लाख कैके डेहल, १० लाखसम डेहल पैसासे घर खर्च चलैना, लर्क पहैनामे सब खर्च हुगिल,’ पदमा कठी,–‘ सरकारके डेहल पैसा आँखी नइलागल, एकमुष्ठ डेलेसे काम लागट । ऋण लेके लर्क पह्रैनु, छाई मास्टर कैसेकल मने कहु अवसर नइपाइल, मुरी भर ऋण बा । द्वन्दपीडितहे सरकार काहे नइहेरठ उहाँ कहली ।’

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ओस्टेक सरस्वती रिजालके गोसिया वेदप्रसाद उपाध्याय रिजालहे २०६१ साल अगहन ६ गते महेन्द्रनगर परिक्षा डेके लौटेबेर तत्कालिन माओवादीके कार्याकर्तासे निर्घात कुटपिट करल । मरन्सन्ना हुइना कैके कुटपिटपाछे वेदप्रसाद अभिन मानसिक समस्या भोगे परल बटै । उहाँक गोसिनीय सरस्वती कहठी, बरोमास डवाई चल्टा ।
कबु कबु नाङगे हुके चल्डेठै । लर्का पर्का हेर्ना होकी गोसिया हेर्ना हो । रहल पैसा गोसिक उपचार खर्चमे लग्ना करल ओरसे लर्का पह्रैनासमेट समस्या परल उहाँ बटैठी ।

द्वन्दपीडित दिपक मल्ल शसस्त्र द्वन्दकालमे तत्कालिन माओवादीसे २०५६ सालमे कैलालीके किर्तिपुरमे रहल अपनेहुकनके जग्गा कब्जा मने सरकारसे क्षतिपूर्तिसमेट नइपाइल बटैलै । उहाँ कहलै, जग्गा हुइलपाछे बैंकसे लेहल लोनके व्याज समेट टिरेक पाछे जग्गा बेचे उहाँ बटैलै ।
अधिवक्ता इन्द्रप्रसाद लेखक व्यक्ति वेपत्ता पारल कारण ओइनके सन्तानहुकनहे समस्या भोगे परल बटैलै । उहाँ कहलै, वेपत्ताहुकनके नाउँमे घरजग्गा रहे, मृत्यु दर्ता नइबनाइटसम लर्कनमे जग्गा पास नइहुइठ । यहाँ कानूनी जटिलता बा ।

सशस्त्र द्वन्दकालमे ढेर मनै राज्य ओ विद्रोही पक्षसे वेपत्ता बनागिल, बहुट अभिन घाहिल बटै, मने सरकार ओइनहे परिचयपत्र समेट व्यवस्था करे नइसेकल बटैलै । उहाँ द्वन्दपीडितके पहिलेक तथ्याङक अनुसार बर्गिकरण करे पर्ना जरुरी रहल बटैलै ।

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द्वन्दपीडित साझा चौतरीके अध्यक्ष गणेश मल्लके अध्यक्षतामे हुइल कार्यक्रममे उहाँ विस्तृत शान्ति हुइल १५ बरस विटलेसेफे द्वन्दपीडितके समस्या समाधन नइहुइल बटैलै । कैलारी गाउँपालिकासे द्वन्दपीडितके सम्मानके टमान कार्यक्रम करल बटैलै । कार्यक्रममे महिला कानून र विकास मञ्चके कार्यक्रम संयोजक दिपेश श्रेष्ठ कार्यक्रमके उदेश्यबारे जानकारी डेहल रहिट ।

कार्यक्रमके संचालन कार्यक्रममे महिला कानून र विकास मञ्चके जिल्ला कार्यक्रम संयोजक रेनु प्रधान श्रेष्ठ ओ धन्यवाद मञ्चके अधिवक्ता अमिशा रायमाझी करले रही । इन्टरनेशनल अर्लट आर्थिक सहयोगमे महिला कानून र विकास मञ्चके आयोजनामे संचारकर्मीनसे अन्तरक्रिया कार्यक्रम हुइल रहे ।

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