थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत १७ सावन २६४९, शुक्कर ]
[ वि.सं १६ श्रावण २०८२, शुक्रबार ]
[ 01 Aug 2025, Friday ]

शीतलहरसे जनजीवन कष्टकर

पहुरा | २१ पुष २०७८, बुधबार
शीतलहरसे जनजीवन कष्टकर

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, २१ पुस ।
कुछ दिन यहोर बह्रल अत्यधिक जुरार ओ शीतलहरके कारण सुदूरपश्चिमके तराई क्षेत्रके जनजीवन कष्टकर बन्टी गैल बा । विगतमे जस्टे इ बरस फेन इ बेला कैलाली, कञ्चनपुरलगायतके जिल्लामे कुहिरासंगे चले लागल शीतलहरसे इ क्षेत्रके जनजीवन कष्टकर बनल बा । हुस्सु ओ कुहिरोके कारण घाम लागे नैसेकलपाछे बह्रल जारसे जनजीवन कष्टकर बनल हो ।

शीतलहरसँगे बह्रल ठन्ठनैया जाडसे सर्वसाधारणके दैनिकीमे प्रतिकूल प्रभाव परल बा । जुरारसे वृद्धवृद्धा, बालबालिका ओ दैनिक मजदूरी कैके जीविका चलुइया ढिउर प्रभावित हुइटी रहल बाटै । पहाडके जिल्लामे घाम लग्लेसे तराइके कैैलाली, कञ्चनपुर जिल्ला कुहिरासे ढाकल बावै । घाम लागे नैपाके सर्वासाधारणहे धान सुकैना ओ धोइल लुग्गा सुकैना समेत समस्या हुइना डेखगैल बा । कुछ दिन आघे धनगढी विमानस्थलसे हुइना हवाई सेवा फेन प्रभावित हुइटी रहल बा ।

‘हुस्सु ओ कुहिराके कारण भिजिविलिटी नैहोके काठमाडौँ–धनगढीके हवाई सेवा प्रभावित हुइटी रहल बा,’ विमानस्थल कार्यालयके प्रमुख रामकृष्ण भट्ट कहलै, ‘विमानस्थलसे सुदूरपश्चिमके पहाडी क्षेत्रमे हुइना हवाईसेवा फेन हुुइ सेकल नैहौ ।’ लम्मा अवधिसम हुइना शीतलहरके कारण डेखजैना डढुवा रोगके प्रकोपसे आलु, गोलभेँडा, लाहीलगायतके बाली नष्ट हुइना समस्या फेन किसान झेल्टी आइल बाटै । पाछेक दशकमे आलु, गोलभेँडालगायत टीना खेती व्यावसायिक रुपमे हुइटी रलेसे फेन बर्सेनि डेखजैना डढुवा रोगके प्रकोपसे इ बाली जोगैना मुस्किल हुइना करल किसानके अनुभव रहल बा । इ रोगसे बचाइक लाग कतिपय किसान ‘टनेल’ (पारदर्शी प्लाष्टिके छानासहितके टहरा) बनाके गोलभेँडालगायतके तरकारी खेती कैना करल बाटै ।

टनेलके व्यवस्थापन करे नैसेकुइइाहे विषादी छिटे परल बा । मने प्रत्येक सात÷आठ दिनके फरकमे विषादी छिटलेसे किल बाली बचाइ सेकजैना हुइलपाछे आलु गोलभेँडालगायत बालीमे किसानके खर्च बह्रना करल बा । ढुसीनाशक विषादी छिटके बाली बचाइ सेकजैना सल्लाह प्राविधिक डेना करल बाटै ।

अक्के बालीमे घरी घरी विषादी किनके छिटक लाग कमजोर आर्थिक अवस्था रहल किसानहे आपन बाली बचैना मुस्किल बा । घरी घरी विषादी छिट्ले लागत खर्च ढिउर पर्ना ओइनके गुनासो रहल बा । रातकृे तापक्रम तीन डिग्री सेल्सियससे टरे जैना ओ आद्रता बह्रके शीत पर्ना ओ जाड मौसमके सुषुुप्त अवस्थामे रहना ढुसी सक्रिय होके बोटमे डढुवा रोगके संक्रमणके समस्या डेखजैना करल कृषि प्रविधिक बटैठै ।

लम्मा समयसम हुस्सु ओ कुहिरो लागके ढिउर जुरार मौसम होके ओसिलो जग्गामे करल आलु गोलभेँडा लगायतके बालीमे डढुवा संक्रमणके समस्या हुइना करल कृषि ज्ञान केन्द्र कैलालीके प्रमुख खगेन्द्रप्रसाद शर्मा बटैलै । यकर लाग क्रिनोसिल गोल्ड, मेटाल्याक्जेल, एक्रोप्याट वा सेन्टिन नाउँके ढुसी नाशक विषादी प्रतिलिटर पानीमे डेढ ग्राम मिलाके बनाइल झोल एक हप्ताके फरकमे छिटलेसे इ रोगसे बाली बचाइ सेकजैना ओहकान कहाइ बा । रोग लग्ना सम्भावने डेखगैलमे भर बोटमे तोकल मात्रामे मेन्कोजे पाउडर पानीमे घोलके छिट्लेसे डढुवाके सङ्क्रणसे बाली बचाइ सेकजैना उहाँ बटैलै ।

डढुवा रोगके समस्या बह्रटी जाके कैलाली ओ कञ्चनपुर जिल्लाक क्षेत्रफलमे करजैना लाही बालीके क्षेत्रफल पाछेक दशकमे घटटी गैल बा । ढुसीके संक्रमण लाहीबालीमे ढिउर असर पुगैना करल बटाइल बा । धनगढी उपमहानगरपालिका—१३ के किसान गुलाब रानाथारु बर्सेनि हुइना डढुवा रोगके समस्याके कारण अपने लाही करे छोरल बटैलै । ‘पहिले आपन पूरे खेट्वामे लागही बोउँ’, उहाँ कहलै, ओकरपाछे डढुवा रोगके प्रकोप डेखलपाछे इ बाली लगाइ छोरे परल ।’

‘पहिले गाउँमे इ बेला लाही फुलके हडियारे वातावरणसे गाउँमे एक खालके रमाइलो हुइना करे’, ६५ वर्षीय रानाथारु कहलै, ‘अपने उमेरमे मौसममे आइल परिवर्तन डेखके अनौंठो समय आइल अनुभव हुइल बा ।’ ढुसी रोगके समस्या बह्रके लाही बालीके विकल्पमे अधिकांश किसान धान ओ गहुँखेती कैके चित्त बुझैटी रहल बाटै । मने छाडा छोरल पशु चौपायासे बाली नष्ट कैके इ बाली बचैना फेन किसानहे हैरानी खेपे परल बा ।

जनाअवजको टिप्पणीहरू