थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत १७ सावन २६४९, शुक्कर ]
[ वि.सं १६ श्रावण २०८२, शुक्रबार ]
[ 01 Aug 2025, Friday ]
‘ साहित्य ’

दुई मुक्तक

पहुरा | २४ पुष २०७८, शनिबार

१.

भरल माघेम घर फोरम सोचल आटो की का।।
एक्के परिवारमे तीन चार डल आटो की का।।

बसल घर उखर्ना सहजे बा उखरल बसैना कर्रा ।
डाडा भैयान बिलल्वाके छोरल आटो की का।।

२.

असौं माघेम मेला घुमे लैजैम प्यारी।।
जत्रा पेटेम अटाई सब खवैम प्यारी।।

यी सपना टो सपनैम रैहगील मोर।
डुर डेश आटु कैसिक घुमैम प्यारी।।

जोशीपुर-५, सिमराना (हाल: गुजरात, भारत)

जनाअवजको टिप्पणीहरू