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शुक्लाफाँटासे बरघर प्रथाहे कानूनी मान्यता

पहुरा | २७ पुष २०७८, मंगलवार
शुक्लाफाँटासे बरघर प्रथाहे कानूनी मान्यता

पहुरा समाचारदाता
कञ्चनपुर, २७ पुस ।
थारु समुदायसे परम्परागतकालसे मन्टी आइल बरघर तथा भलमन्सा प्रथाहे कञ्चनपुरके शुक्लाफाँटा नगरपालिका कानूनी मान्यता प्रदान करले बा । नगरपालिकाके अँट्वारके सम्पन्न दशौँ नगरसभासे बरघर संस्था परिचालन ऐन २०७८ पारित करलपाछे इ प्रथा कानूनी हैसियत प्राप्त करल हो ।

थारु समुदाय लम्मा समयसे बरघर प्रथाहे कानूनी मान्यता डेना माग कैटी आइल रहे । उ समुदायके मौलिक परम्परागत प्रथाहे कानूनी मान्यता डेके संस्थागत कैना नेपालके टिसर ओ सुदूरपश्चिमके पहिल स्थानीय तह शुक्लाफाँटा रहल बा । इहीसे आघे पहिलचो बर्दियाके बारबर्दिया नगरपालिका बरघर प्रथाहे कानूनी मान्यता डेहल रहे ।

स्थानीय तहलगायतके सरकारी कार्यालयमे बरघर प्रथाहे साक्षीके रुपमे स्वीकरलेसे फेन संस्थागतरुपमे कानूनी मान्यता नैडेहल रहे । नगरसभासे पारित करल ऐनमे बरघर ओ भलमन्साके चयन, कार्यक्षेत्र, काम कर्तव्य अधिकार क्षेत्र, मर्यादालगायतके प्रावधान समेटजैनाके साथे कार्यक्षेत्रमे नेपाल सरकारके प्रचलित ऐन नियमविपरीत नै रहना मेरके काम करे सेकजैना उल्लेख करल बा ।

पारित करल ऐनमे नगरपालिकाके जनप्रतिनिधिसँग समन्वय कैना, गाउँमे रहल छोट छोट झैझगडा समाधान कैना, गाउँ टोलमे अइना जुनसुके काममे सक्रिय सहभागिता जनैना लगायत समुदायमे सामाजिक, सांस्कृति ओ आर्थिक सदभाव कायम रख्ना कार्य बरघर ओ भलमन्साके काम कर्तव्य अधिकारभिट्टर रहल उल्लेख करल बा । बरघर प्रथामे कायम रहना सहायक बरघर ओ चौकीदार समेतके काम कर्तव्य अधिकारके बारेम फेन उल्लेख करल बा ।

सहायक बरघरके कार्य बरघरके अनुपस्थितिमे गाउँके नेतृत्व कैना हो कलेसे चौकीदारके कार्य गाउँमे आवश्यक सूचना प्रवाह करे पर्र्ना उल्लेख करल बा ।‘नगरपालिकामे थारु समुदायके बाहुल्यता रहल बा’, नगर प्रमुख दिलबहादुर ऐर कहलै, ‘बरघर थारु समुदायके परम्परागत संस्था रहल ओरसे इहीहे संस्थागत कैके कानूनी अधिकार डेहक लाग ऐन बनाके लागू करल हुइटी । थारु समुदायके बषौसे बरघर प्रथाहे कानूनी हैसियत डेहे पर्ना रहे । उ कार्य पूरा करले बाटी ।’

ओहकान अनुसार बरघर प्रथा पुस्ताँैसे पुस्तान्तरण हुइटी आइल बा । यकर नेतृत्व करुइया व्यक्तिके पद फेन बरघर ओ भलमन्सा रहल कारण यकर विकास हुइल पाजाइठ् । थारु समुदायमे बरघर संस्था अति शक्तिशाली रहल पाजाइठ् । नेपाल पक्ष राष्ट्र रहल अन्तर्राष्ट्रिय श्रम सङ्गठन महासन्धि नं १६९ ओ आदिवासीके अधिकारसम्बन्धी संयुक्त राष्ट्र सङ्घीय घोषणापत्र २००७ से प्रथाजनित संस्थाहे मान्यता डेले बा ।

थारु समुदायहे अलग पहिचान ओ पुख्र्यौली भूमिसँगके सम्बन्धहे पुस्तौँपुस्तासम कायम रख्ना बरघर ओ भलमन्सा संस्थाके संरक्षण ओ पुनःस्थापनामे सहयोग पुगैना उद्देश्य ऐन निर्माण कैके जारी करल नगर प्रमुख ऐर बटैलै । ‘सदियौँसे जिम्मेवारी पूरा कैटी आइल गाउँ टोलके सबसे पहिले लोकतान्त्रिक विधिहे संस्थागत करले बाटी’, नगर प्रमुख ऐर कहलै, ‘ऐनसे बरघर ओ भलमन्सा प्रथाहे व्यवस्थित मर्यादित ओ संस्थागत बनैना मद्दत पुगाइठ् ।’

‘थारु समुदायके गाँउ गाउँमे विकास निर्माण, सामाजिक कार्य, विवाह, सांस्कृतिक कार्यके चाँजोपाँजो मिलैना कार्यसँगे झैझगडाके छिनोफानो करक लाग बरघर प्रत्येक बरस चयन हुइट । उहाँहुक्रनके न टे अभिलेख राखजाए । न टे परिचय नै रहे’, नगर सभाके सदस्य नरेन्द्रप्रसाद चौधरी कहलै, ‘इ प्रथा मौखिकरुपमे चल्टी आइल रहे ।

जारी करल ऐनअनुसार बरघर ओ भलमन्साके आबसे अभिलेख रख्ना कार्यसँगे बरघर प्रथाअनुसार चयन हुइना पदाधिकारीके नगरपालिकासे परिचयपत्र उपलब्ध करैना व्यवस्था करले बा । आबसे बरघर ओ भलमन्सा संस्थाके प्रत्येक बरसके कार्य ओ गतिविधिके लेखाजोखा हुइ ओ ओकर विवरण सम्बन्धित वडा कार्यालय ओ टोलमे वार्षिक समीक्षा करजैना बा ओ संस्थासे वार्षिकरुपमे यकर अभिलेख राखे पर्ना व्यवस्था करल बा ।’

ओहकान अनुसार बरघर छनोट करक लाग चौधरी थारु समुदायमे प्रत्येक बरस माघ महिनाके पहिल अँठ्वार तथा माघ मसान्तभिटरे ओ राना थारु समुदायमे असार १ गतेसे मसान्तसम समय सीमासमेत निर्धारण करले बा । जिहीसे इ प्रथाहे व्यवस्थित कैना मद्दत पुगैना ओहकान कहाइ रहल बा ।

‘परम्परागत संस्थाके क्षेत्रअधिकार एक गाउँ एक बरघर ओ भलमन्सा अनुसार आवन एक गाउँमे किल रहना बा ओ निज उहे गाउँके अगुवाई कैना बा’, उहाँ कहलै, ‘एक गाउँभिट्टर ढिउर टोल रहलमे उ टोलके बरघर मध्येसे एकठो मूल बरघर रहना व्यवस्था करले बा ।’ बरघरमे चयन हुइना पदाधिकारीके काम कर्तव्यके बारेम समेत नगरपालिकासे जारी करल ऐनमे व्यवस्था करल बा । जौन अनुसार समुदायके हकहितके संरक्षण ओ सम्वद्र्धन कैना तथा समुदायके सशक्तिकरणके लाग स्वतन्त्र निष्पक्ष ओ इमान्दारिपूर्वक आपन पदिय दायित्व निर्वाह कैना, समाजमे रहल टमान जातजाति, समुदाय तथा सम्प्रदायबीचके सम्बन्ध समुधुर बनैना रहल बा ।

ओस्टके, सम्बन्धउप्पर खलल पर्ना कौनो काम नै कैना, विद्यमान प्रचलित ऐन कानूनके पूर्णरुपमे पालना करे पर्र्ना, शिक्षा, स्वास्थ्यलगायतके टमान सामाजिक सेवाके क्षेत्रमे थारु समुदायके पहुँच राखक लाग कार्य आघे बह्रैना ओ राज्यके सक्कु क्षेत्रमे प्रतिनिधित्व तथा अर्थपूर्ण सहभागिताके अवसर सिर्जना कैना लगायत रहल बावै ।

‘असहज अवस्थामे समेत थारु गाउँमे विकास निर्माणमे योजना बनैना, जनसहभागिता जुटैना गाउँके न्याय निसाफ छिन्ना कार्य कैना ओ जग्गाके साँध सिमानाके विवाद मिलैना कार्य कैना कौनो बाधा अवरोध नैरहे’, नगरपालिकाके प्रमुख प्रशासकीय अधिकृत टिकेन्द्र भट्ट कहलै, ‘इ सक्कु कार्य थारु समुदायसे चुन्ना प्रतिनिधि बरघर गाउँके बासिन्दाहे भेला कराके सहज ढङ्गले सम्पन्न कैटी आइल रहिट ।’

‘परम्परागत रुपमे बरघर गाउँके प्रशासनिक, न्यायिक, विकास निर्माण, योजना तर्जुमा ओ परम्परागत कलासंस्कृतिके जगेर्नाके कार्य सम्पादन कैटी आइल बाटै । उहीहे ऐन बनाके व्यवस्थित किल करल हुइटी’, उहाँ कहलै, ‘बरघरहे जनप्रतिनिधिसँग समन्वय कैके कार्य सम्पादनमे सहजता हुइठ् ।’

बरघर प्रथा लोकतान्त्रिक पद्धतिमे आधारित होके परापूर्वकालसे मौखिकरुपमे चल्टी आइल इ प्रथा अत्यन्त अनौपचारिक तरिकासे सञ्चालन हुइबर ओझेलमे परटी आइल रहे । इहीहे कानूनी मान्यता डेहलपाछे इ औपचारिकता पाइल ओहकान बुझाइ रहल बा ।

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