थारु राष्ट्रिय दैनिक
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सुर्खेत, साहित्य ओ सर्वहारी

पहुरा | ११ फाल्गुन २०७८, बुधबार
सुर्खेत, साहित्य ओ सर्वहारी

‘सुर्खेत बुलबुलताल, माया मै सानो हुनाले छुट्यो मायाजाल,’ इ गिट मै छोटहिसे सुनल रहुँ । टब्बेहेसे लागे कसिनहुइ सुर्खेत ? पाछे सुर्खेतके मानबहादुर पन्ना भाइ कौनो काम विसेस मोर डेरा काठमाडौं, कीर्तिपुर अइलाँ, राट बसेरा बैठ्लाँ । ओ, कहलाँ डाजु, सुर्खेत आइल बेला मोर घरक् डुँह्रि जरुर डब्बि । थारु जनसंख्याके हिसाबसे सब्से छोट जिल्ला हो सुर्खेत । इ आलेखमे मै सुर्खेतके डुँह्रि डाबल ठे से लेके आझटकके सम्झना केरैले बटुँ ।

सुर्खेत, पन्ना ओ सन्ना

काठमाडौं, कीर्तिपुरसे डेरा डन्डि लेके बाँकेके नेपालगन्ज ओल्हाइल रहुँ, २०६१ सालमे । थारु प्रौढ शिक्षा सेवा मञ्जसे उत्पादित रेडियो कार्यक्रम ‘हमार सहिडान’के घर गोस्या रहुँ मैं । सुर्खेतके रेडियो नेपाल, घोडाघोडी एफएम, कैलाली ओ दाङके रेडियो स्वर्गद्वारीसे प्रसारण होए इ कार्यक्रम । पन्ना भाइके डाडु नेपालगन्जमे रहल ओर्से उहाँ ट्याम ट्याममे नेपालगन्ज अइटि रहिट । टब्बे कहिंट, ‘डाडु खै टे अवाहि सुर्खेत ? काठमाडौंसे नेउटा डेटि बटुँ । आब ट झनलग्गु आ रख्लि, भौजि ओ नानुन् फे लेके आइ परल सुर्खेत ।’

सुर्खेतमे थारु कल्याणकारिणी सभाके शाखा गठन हुइना हुइल २०६१ सालमे । बर्दियाके प्यारेलाल चौधरी कार्यक्रमके हर्ताकर्ता रहिट । उहाँ कार्यक्रममे जैसिक फेन अइहि परल कहिके झनाझन फोन करे लग्लाँ । महि बर्का पहुना बनाइल खबरले जैहि पर्ना बाध्यता रहल । टब्बे मै थाकसके केन्द्रिय पार्षद किल रहुँ, ओहेसे बर्का पहुना बन्ना अन्खोहर लाग्टेहे । मने आयोजिक टिम कहल, अपनेन पार्षदके हिसाबसे नाहि बरा साहित्यकारके हिसाबसे सम्मानके लग बलाइटि । थाकस केन्द्रसे कोइ नै अइना हुइल ओर्से हजुर अइहि परल ।

थाकसके कार्यक्रमम जा हुइल । पाछे बिहान पत्रिकामे सहकार्य करल शत्रुघन चौधरीसे मोर पहिल भेंट उहे कार्यक्रममे हुइल हस लागठ । कार्यक्रममे उपस्ठिटि लोभ लग्टिक रहे । राट बसेरा पन्ना भाइक घर हुइल । बोटल नै खन्मनैना टे बाटे नै हुइल । सुर्खेतके साँहिजुनके बैठाइ बहुट यादगार रहल । पन्ना भाइसे काठमाडौं भेटके क्रममे करल अर्जि फे डोह्र्या गैल, भाइ अपन सँगसँगे सुर्खेतके आउर जन्हन फेन लेखनमे गोचारे परल । आब टे झन थाकस गठन हो सेकल ।

पन्नाभाइ पाछे स्थानीय एफएममे थारु भासक् कार्यक्रम चलाइल सुन्के फोहि लागल । हुँकार अपन सँपार नै हुइलपाछे लावा लर्कन कार्यक्रम चलैनामे उत्प्रेरिट करलमे झन फोहि लागल । हुँकार चहा जौन पोस्टामें पहिला पाठक बन्के ‘फिडब्याक’ डेके उत्पे्ररिट कर्टि बटुँ ।

पन्ना भाइ माविके स्ठाइ मस्टरवामे नाउँ निकारके बहुट बरस पहाडमे हेरा गैलाँ । टब्बे सुर्खेतके थारु साहित्य बिर्कुल मुरझुरा गैल रहे । उहाँ बेकारमे पहाड अइलुँ कहिके खोब पस्टाइट । उहाँहे गँरखोड्डा लगाइट लगाइट एक गोरुवक् बट्कुहि (२०७५), थारूभासाके हाँस्यब्यग्ंय संग्रह, सहलेखनके जोर्या बन्लि ।

पाँचवा थारु राष्ट्रिय साहित्य सम्मेलनमे पन्ना भाइहे संयोजक बना गैल । उहाँक खटाइ डेख्के मै चिट खा गैलुँ । पहाड हेरैलक, थारु साहित्य सम्मेलनके कौनो कार्यक्रममे नैअइलक सक्कु रिन उहाँ पाँचवा थारु साहित्य सम्मेलनके डौरढुपमे टिर सेक्लाँ । के कहठ, थारु साहित्य सम्मेलनके खास उपलब्ढि नैहो । सुर्खेतमे कार्यक्रमके लगट्टे लखा गिन थारू उत्थान मञ्च गठन होके जिल्ला प्रशासन कार्यालयमे दर्ता हो सेकल । इ मञ्च लखा गिन जर्नल प्रकासन कर सेकल । मञ्च सख्या गिटके डस्टा बेजिकरनसे लेके पुस्तकालय खोल्ना सुरु कैसेकल । जस्टक भाट ओ टिनाले किल खाना नै सट्कठ, ओकर लग डाल या सन्ना चाहठ । पन्ना भाइ सुर्खेतके लग भाट ढकेल्वा सन्ना हुइट ।

सुर्खेत ओ सुशील

मोर मैगर गोचा सुशील चौधरी बहुट रनबन घुम्के आज्कल घरहिं बर्दियाके मन्जोर बस्ती गाउँमे रमैटि बटाँ । सुशीलके पहिलक् घर जो सुर्खेत हुइन् । मैं सुर्खेत जैना होए टे उहाँ हरेक फेरा कहिट, अरे गोचा समय मिलाके मोर घर पातालगंगा टे जैबि । उहाँ मोर काकाके सक्कु परियार बटाँ ।

नेपाल आदिवासी जनजाति पत्रकार संघर (फोनिज) के मुख्य प्रशिक्षक बनके सुर्खेतमे तालिम चलाइ गैल बेला एकफेरा मै सुशीलके काकक् घर पैलैटि गैलुँ । घरक मनै कहलाँ, ‘हजुरके अइना काल्हि सुनगैल रहे । काल्हि टिनाटावन बनैले रहि । आज टे सुखे सराढ बा ।’ मै कहलुँ, ‘कोइ बाट नैहो, अपनअपन भागे, नचुन्या ठरुवा आगे ।’

पाँचवा थारु राष्ट्रिय साहित्य सम्मेलनमे भाग लेना क्रममे सुशीलके सुर्खेती गाउँ जैना जरुर योजना बनि कना लागल रहे । मने उहाँ पहिला रोज चुप्पसे चला गैलाँ । सुशील गोचासे अर्जि बा, अपनेक हँस्लक खेल्लक सुर्खेती गाउँके अंगनामे एक बैठाइ हालि बैठि ओ सुर्खेतके साँझहे यादगार बनैटि उहाँक् ठँरियन गँरखोड्डा लगाइ ।

सुर्खेत ओ सोम

इन्सेकके जागिरके सिलसिलामे, जंग्रार साहित्यिक बखेरीक अग्वा सोम डेमनडौरा भाइके बैठाइ सुर्खेत हुइना हुइलिन । उहाँ सुर्खेत बैठनासे पहिले जो जंग्रार साहित्यिक बखेरीक सुर्खेत शाखा गठन कर सेकल रहिट । महि लागठ, सोम भाइके सँगसँगे इन्सेकके जो करमचारी दिलबहादुर चौधरी सुर्खेत बैठाइ बेला पन्ना भाइहे कार्यक्रमके लग बहुट उर्जा डेहलाँ । टब्बे लेखिका बाबु बालिका फेन सुर्खेतमे जो रहे । इ सब सोम (संघरेन) के कारन फे पाँचवा थारु राष्ट्रिय साहित्य सम्मेलन सुर्खेतमे कैना बल मिलल् रहे ।

सुर्खेत ओ सस्रार

पाँचवा थारु राष्ट्रिय साहित्य सम्मेलन कार्यक्रमके आयोजक सुट्ना व्यवस्ठा टे मिलैले रहिट । मने देउखरके बालगोविन्द चौधरी कार्यक्रममे आइल बहानामे सस्रार जैना हुइलाँ । उहाँ अपने किल नै, पुरे देउखरके टोलिहे अपन सस्रार लैगैलाँ । काठमाडौंके मोर रुम पार्टनर कुन्ननारायण चौधरीसे लेके, हाल म्यानमारमे रहल मितजी बालकृष्ण चौधरीके सस्रार सुर्खेतमे रहलमे महि सुर्खेत कबु काल्ह सस्रार हस फेन लागठ ।
एकबेर पन्ना भाइहे कले रहुँ, मोर छाइन्के सस्रार सुर्खेतमे खोज्डि । उहे बहानम् अपनेनसे हालिहालि भेट हुइ । उ समय जुरल नै हो, मने सम्भावना टरल नैहो ।

सुर्खेत मै कै फेरा गैलुँ, आब गन्ना मन नैहो । काजेकि सुर्खेत जाके इ जिउ अघाइल नैहो । एकबेर कपिलबस्तुके शंकर चौधरीहे लेके एकठो सर्भेके क्रममे सुर्खेत गैल रहुँ । टब्बे मोर गाउँक प्रहरी भाइ गीताप्रसाद चौधरी उहें रहिट । हरिहरपुरके झोलुंग्या पुल नंघले रहि । बाह्रले उ पुल पुहाइल सुन्के मन भोह्र्याइल रहे ।

पाँचवा थारु राष्ट्रिय साहित्य सम्मेलन कार्यक्रमके क्रममे समाजसेवी सनिसरा महतम, कम्युटर, फोटोकपीके डोकानके मल्किन्या सीता चौधरी, गायक भाइ राजु चौधरी, नयाँ गाउँ होमस्टेके जेबी डेमनडौरा ओ पन्ना भाइके पन्नि कना हो कि जन्नि लगायट संघरेन हरडम यादके पोक्रिम रहिहिं । जस्टक सुर्खेतके मोर सब्से पुरान संघरिया कोल डाँडाके यमबहादुर चौधरीहे अभिनमनके एल्बममे ढैले बटुँ । उपरका सुरु करल गिटहे अइसिक गिट गाके छुटनास मन लागल, ‘सुर्खेत बुलबुलताल, मैया मै सर्वहारीक् सुर्खेतसे बाझल मैयाजाल’ ।

ओ अन्टमे जैटि जैटिः

छठवा थारु राष्ट्रिय साहित्य सम्मेलन इहे २०७८ फागुनके १२ से १४ गतेसम कञ्चनपुर जिल्लाके सिंहपुर गाउँमे हुइना बा । थारु भासा, साहित्यमे रुचि लेना सक्कु जाने कार्यक्रममे अइबि कना मैगर अर्जि बा ।

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