नेपाल–भारतके थारुनके रोटी–बेटीके सम्बन्ध

सागर कुस्मी
श्रावस्ती (भारत) २२ फागुन । इ फागुनके महिना । जार घाम बराबर । भोज बियाहफें चल्टी बा । भोजके लाग सबसे निक समय । जिहिसे नेपाल–भारतके थारुनके चेलि लेनाडेनसे सम्बन्ध लस्गर हुइटी गैल बा ।
नेपालके पश्चिम महाकालीसे पूरुवके झापासमके दक्षिणी वेल्टमे आदिबासी जनजाति थारुनके बसोबास बा । ओहोर भारतके सीमा क्षेत्रमेफे आदिवासी जनाजातिके बसोबास रहल बा । कतिपय भेषभुषा, भाषा संस्कृति, कला परम्परासे जोरल कारण रोटीबेटीके सम्बन्धसे जोरटी गैल बा ।
गैल माघ महिनामे कैलाली जिल्लाके कैलारी गाउँपालिका–५, पवेराके वीरेन्द्रबाबु कठरिया भारतके लखिमपुर जिल्लाके मंगलपुरसे भोज करलै । उहाँ केल नाही हुकहिनसे आघे और जानेफे भारतके टमान ठाउँसे पटुहिया नन्ना ओ छाई डेके सम्बन्ध गस्ती आइल हो ।
कैलाली, कञ्चनपुरके नाकासे जोरल भारतके उत्तर प्रदेशके बेलापरसुवा, ढुस्किहा, सुडा, चन्दनचौकी, सडियापडा, पचढक्की, बनकटी लगायत ठाउँमे चेली नन्ना ओ पठैना करल बा । कैलाली कञ्चनपुरके सीमा जोरल भारतमेफे रानाथारु ओ कठरियाहुकनके घना बसोबास रहल ओरसे छाइन लेनाडेन हुइटी रहल प्रदेश सभा सदस्य मालामति राना बटैठी । उहाँ कहली, यी प्रचलन हमार आजाबुदुनके पालासे चल्टी आइल रहे, अब्बेफे चल्टी आइल बा ।
ओस्टेक इहे फागुन २० गते (५ मार्च, २०२२) कंचनपुर जिल्लाके बेलौरी नगरपालिका–८, बिचपुरीके शान्ति चौधरी ओ भारत श्रावस्ती भचकाहीके अनुराग चौधरीके लगन जुरल बटिन । आधुनिक जबानामे इन्टरनेटके सुविधा हुइल ओरसे उहाँ लोगनके लस्गर मैयाँ प्यार बाझल डेखके डुनु ओरिक घरक मनैं मिल्के जोरिया बना डेलिन ।
डुलही शान्ति चौधरी बेलौरी बाबा कालुराम डंगौरा, डाइ चुलियादेवी डंगौराके पेट पोंछ्वा छाइ हुइन कलेसे डुलहा अनुराग चौधरी बाबा प्रेमनारायण थारु ओ डाइ बसन्तीदेवी थारुके एकलौटी छावा हुइँट । उहाँ डुनु जाने एक बरस पहिलेसे सामाजिक संजालके माध्यमसे प्यार कर्टी आइल रहिंट ।
‘मनैं जहाँक् हुइलेसे फेन हम्रे सक्कु थारु एक्के हुइ, हमार सबके रकट लाल बा,’ डुलहिक बाबा कालुराम डंगौरा कहलैं– ‘ओहेमारे हमार चेलीबेटीनके सम्बन्ध लग्गेसे किल नाही डुरसे फेन जोर्ना जरुरी बा ।’ छाइक् भलो ओ प्रगती हुइटी जाए कहटी डुल्हिक घरक मनैं सक्कु जे खुसी होके बढाइ डेटी बिडाइ डेले बटैं ।
ओस्टेके, नेपालके थारुनसे सोरी जोरे पैलकमे डुलहक् घरम खुशियाली छाँइल बटिन । डुलहक् बाबा प्रेमनारायण थारु कहलैं– ‘मोर छावा नेपालके पटुहिया लानके पुन्री करल । जौन हमार लाग सौभाग्यके बात हो, अइसिन मौका हरकोइ नैपाइठ । मोर छावा पटुहियाके भविस्य सडाडिन ओजरार रहे कहटी बढाइ फेन डेलैं ।’
‘हमार भारतमे फेन अभिन थारुनके एकता रहल गाउँ ठाउँ रहल ओरसे नेपालके थारुनसे पहिलेसे मजा ओ बल्गर सम्बन्ध रहल बा,’ उहाँ कहलैं, ‘भारतमे जब जब सांस्कृतिक कार्यक्रम हुइ लागठ टे नेपालसे थारु नाच प्रदशन करक लाग बलैठी, उहिसे साँस्कृतिक पक्ष फेन जोरल बा ।’ शिक्षक प्रताप नारायण थारु बटैलैं । उहाँ फेन कहलैं–नेपालके बर्दिया, बाँके, कैलाली ओ कंचनपुरके थारु चेलीबेटीनसे नाट जोर्टी रहल बटैलैं ।
ग्राम पंचायत भचकाहीके प्रधान ईश्वरदीन चौधरी नेपाल ओ भारतके थारुनसे सम्बन्ध जुरल ओरसे डुलहि ओ डुलहा ओइन सुखी दाम्पत्य जीबनके सुभकामना डेटी कहलैं कि जब दांगमे जिम्दार लोग जब सटाइ लग्लैं टो हमरे ओइनके पीडा सहे नैसेकके यहाँ हमार पुर्खा ओइने रातिरात भाग्के अइली ।
ओस्टेके भचकाही के थारु मोडेल आशिष थारु कहलैं–हम्रे जहाँक रलेसे फेन आब हम्रे सडाके लाग लग्गे हुइल बटि । अइना डिनमे फेन अस्टे आउर गार्ह मैयाँ हुइटी जाए कहटी सुभकामन डेलैं ।
नेपाल ओ भारतके थारुनके रीतिरिवाज, चालचलन, भेसभुसा, खानपिन, बोलिभासा ओ संस्कृति अक्के बाझ टबमारेसे सक्कु थारु एक डोसर हे सहयोग कैके आघे बर्ह्टी जाप कना बात शिक्षक ओ पत्रकार कर्मबीर चौधरी बटैलैं । उहाँ कहलैं– ‘हमार इ बस्ती २०३५/०३६ साल ओर बैठल
बस्ती हो ।’ इहेसे पुराने नाट्पाँट गोटियार अभिन फें दांगमे बटैं उहाँ कहलैं । उहाँ अझ्कल वार्षिक १५ से १६ जानेसम भारतके थारुनसे भोज हुइटी रहल जानकारी डेलैं । यहाँक किल नाही अझ्कल भारत टमान ठाउँके थारु फें नेपालके थारुनसे लेना डेना हुइल उहाँ बटैलैं ।
उत्तर प्रदेशके श्रावस्ती जिल्लाके अन्तरगत थारु बाहुल्य बस्ती बहुत बा । भचकाही, कत्कुइयाँ कला, मोतीपुर कला इ तीन ठो ग्राम पंचायत बा । जहाँ रवलपुर, बनकटी, पुर्वी भचकाही, पश्चिमी भचकाही, मसहा, बनगई, धाठुपुरुवा, रनियाँपुर, गड्डापुरुवा, भोरपुरुवा लगायतके गाउँ बा ।
नेपालगंज सुइया हुइटी भचकाही गाउँ ८ किलोमीटर ओ रुपैडिहासे ७५ किलोमिटर डुर परठ भचकाही गाउँ । जहाँ पूरा विशुद्ध दांग से छारा कैके थारुनके बस्ती बा । भचकाहीसे कंचनपुरके दुरी ३२५ किलोमिटर के दुरीमे बा ।