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रैथाने ज्ञान ओ अभ्यासमे कमी

पहुरा | ९ चैत्र २०७८, बुधबार
रैथाने ज्ञान ओ अभ्यासमे कमी

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, ९ चैत ।
पुर्खौली परम्परागत ज्ञान, सीप, कला संस्कृति पुस्तान्तरण करे नइसेकलपाछे रैथाने ज्ञान तथा अभ्यासमे कमी अइटी रहल एक कार्यक्रमके सहभागीहुक्रे बटैले बटै ।

त्रिभुवन विश्वविद्यालय शिक्षा विकास तथा अनुसन्धान केन्द्रके आयोजनामे ‘पारिवारिक साक्षरता, रैथाने सिकाई ओ नेपालमे दिगो विकासके सम्भावना अनुसन्धान प्रवेधिकरण एवं रैथाने ज्ञान तथा अभ्यास सम्बन्ध’ मे मंगरके रोज धनगढीमे हुइल विद्यालयके प्रअ, सामुदायिक अध्ययन केन्द्रके प्रतिनिधि, क्याम्पस प्रमुख, प्राध्यापक, सरकारी तथा गैरसरकारी संस्थाके प्रतिनिधिहुकन बीच हुइल कार्यक्रममे ओसिन कहिगिल रहे ।

सेरिड त्रिविके परियोजना संयोजक डा.कमलराज देवकोटा पारिवारिक साक्षरता, रैथाने सिकाई ओ नेपालमे दिगो विकासके सम्भावनाबारे कार्यपत्र प्रस्तुत करले रहिट । कार्यक्रम प्रस्तुत उहाँ रैथाने ज्ञान तथा अभ्यासमे कमी अइटी रहल बटैलै । बसाई सराईके कारण भाषा, कला संस्कृतिमे असर परटी उहाँ बटैलै । सातु प्रदेशके ४ ठो समुुदायमे स्थलगत अध्ययन करल कहटी यी समुदायमे एक दुसरसे भाषागत, धार्मिक साथै सांस्कृतिक ओ परम्परागत दुष्टिसे फरक रहल मने कतिपय रैथाने ज्ञान ओ अभ्यासमे कमी अइटी रहल उहाँ बटैलै ।

सुर्खेतके ब्राहमन–क्षेत्री समुदाय, कपिलवस्तुके मुसलमान समुदाय, लमजुङके घाले गाउँ ओ खोटाङके चामलिङ राई समुदायके स्थलगत अध्ययन परियोजना संयोजक देवकोटा जनैलै । रैथाने ज्ञान ओ अभ्यासहे समुदायके आवश्यकताके रुपमे ओ विद्यालय समुदायसंग जोरे नइसेकल उहाँ बटैलै ।

सरकारी तवरसे संचालित कार्यक्रम पारिवारिक साक्षरता ओ अन्तरपुस्ता सिकाईके सम्बन्धमे बहुत कम ध्यान डेहल बा,’ उहाँ कहलै– ‘साधारणतय पौढ साक्षरता ओ शिक्षा जिविकोपार्जन स्वास्थ्य मानवअधिकारसंग सम्बन्धित पश्चिमा ज्ञान सीप विषयवस्तु सिखैना केन्द्रित हुई परल । स्थानीय मातृभाषाके कमी प्रयोगमे आइल कमी, बह्रटी रहल बसाई सराईसे रैथाने ज्ञान तथा अभ्यासमे कमी अइटी रहल बा ।’

पारिवारिक साक्षरता, पारिवारिक सिकाई ओ समुदायमे आधारित ज्ञानके एक पुस्तासे दुसर पुस्तामे हस्तान्तरण हुइना क्रम घटल सेरिड त्रिविके परियोजना संयोजक डा.कमलराज देवकोटा बटैलै ।

गैरसरकारी संस्था महासंघके केन्दीय सचिव भवराज रेग्मी रैथाने सीप ओ सिकाई सन्दर्भम गैरसरकारी संस्था महासंघके खेलल भूमिकाबारे जानकारी डेहल रहिट । महासंघसे कला संस्कृतिमे बहु सांस्कृतिक संग्राहलय ओ कला संस्कृतिके संरक्षण करल, ग्रामीण पर्यटनमे होमस्टे प्रवद्र्धन, ¥याफटिङ, रैथाने खाना परिकार प्रवद्र्धन, सीप विकासके क्षेत्रमे परम्परागत सामाग्री निर्माण, कोसेली सामाग्री निर्माण करल, विपत जोखिम न्यूनिकरणके क्षेत्रमे जैविक बाधा निर्माण, पूर्व सूचना प्रणाली, माटीक भाडा प्रवद्र्धनमे कुमालेके भाँडा निर्माणमे सहयोग, जडिबुटी प्रवद्र्धनमे महुरी ओ जडीबुटीमे राजी समुदायहे सहयोग, परम्परागत उद्योगके संरक्षण सम्बद्र्धनमे पानी घट्ट सुधार, सिलाई बुनाई सहयोग करटी केन्द्रीय सचिव रेग्मी बटैलै ।

ओस्टेक करके उहाँ रैथाने सीप ओ सिकाई प्रवद्र्धनके लाग अध्ययन ओ दस्तावेजीकरण करे पर्ना, उत्कृष्ट अभ्यासके पहिचान ओ संरक्षण करे
पर्ना, मजा अभ्यासहे समय सापेक्ष परिमार्जन करे पर्ना, रैथाने स्थानीय स्रोत साधन तथा स्रोत सदुपयोग सीपमे बृद्धि, रैथाने सीप ओ सिकाईके प्रमोशन करे पर्ना, रैथाने सीपहे सूचिकृत करे पर्ना, रैथाने सीप ओ सिकाईहे शिक्षा पाठयक्रममे समावेश करे पर्ना, टमान तालिम पुस्तिकामे समावेश करे पर्ना सुझावफे डेलै ।

कार्यक्रममे धनगढी उपमहानगरपालिकाके शिक्षा तथा यूवा शाखा प्रमुख नरेन्द्रबहादुर खाती सामुदायिक सिकाई केन्द्रलाई आघे बह्रैना स्थानीय तहके भूमिका विषयक कार्यपत्र प्रस्तुतिकरण करल रहिट ।(बाँकी २ पेजमे) सेरिडके सहप्राध्यपक राजु मानन्धरके अध्यक्षतमे हुइल कार्यक्रममे धनगढी उपमहानगरपालिकाके सामाजिक विकास अधिकृत टंकबहादुर विष्ट, कैलाली बहुमुखी क्याम्पसके उपप्राध्यापक मानबहादुर जोरा लगायत मन्तव्य व्यक्त करले रहिट । कार्यक्रमके संचालन कैलाली बहुमुखी क्याम्पसके सह प्राध्यपक प्रयागराज जोशी करले रहिट । सेरिडसे सातु प्रदेशमे रैथाने ज्ञान तथा अभ्यास सम्बन्धी सुझाव संकलन करटी रहल बा ।

रैथाने ज्ञान का हो ?

रैथाने ज्ञान तथा अभ्यास बुझैना टमान शब्द प्रयोगमे बटै । स्थानीय ज्ञान तथा अभ्यास, मौलिक ज्ञान तथा अभ्यास, आदिवासी ज्ञान तथा अभ्यास, जातीय तथा अभ्यास, परम्परागत ज्ञान तथा अभ्यास आदि शब्द प्रयोग करजाई ।

रैथाने ज्ञान ओ अभ्यास कहलेक निश्चित भौगोलिक क्षेत्रमे वा कौनो समूह, जातजाति विशेषसे आर्जन करल ज्ञान तथा अभ्यास बुझजाइठ । अइसिन ज्ञान तथा अभ्यास आधुनिक विज्ञानमे नइसमेटल वा कौनो धर्म धर्मग्रन्थमे आधारित नइरहल मने जीवन सहज बनैना ज्ञान, सीप ओ धारणाके नम्मा अभ्यास हो । यम्ने उ समूहसे प्रयोग करल मौलिम सांस्कृतिक अभिव्यक्ति अर्थात गीत कहाई । उखान टुक्का ओ संकेतफे परठै ।

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