ओरेक नेपालसे कानुन आयोगहे ध्यानाकर्षणपत्र
पहुरा समाचारदाता
धनगढी, १७ चैत । सम्बन्ध विच्छेद करल महिला फेरसे भोज करलेसे पहिलेक गोसियासे प्राप्त अंश फिर्ता करे पर्ना करके नयाँ कानुनी व्यवस्थाके लाग संसोधन प्रस्ताव आघे बढैना तयारी हुइटी रहल समाचारप्रति महिला पुनस्र्थापना केन्द्र (ओरेक) के गम्भीर ध्यानाकर्षण हुइल बा ।
संस्थासे नेपाल कानुन आयोगके अध्यक्ष, जागेश्वर सुवेधी, उपाध्यक्ष लक्ष्मी प्रसाद मैनाली ओ प्रतिनिधि सभा कानुन न्याय तथा मानव अधिकार समितिके सभापति माननीय कृष्णभक्त पोख्रेलहे उ विषयमे ध्यानाकर्षण कराइल ओरेक नेपालके कार्यकारी निर्देशक लुभराज न्यौपाने बटैलै ।
बेलाबखतमे महिलाके मानवअधिकार उल्लंघन हुइना करके बाहेर अइना यैसिन सोच, प्रस्ताव ओ अभिव्यक्ति विद्यमान पितृसत्तात्मक सोचके उपज हो,’ कार्यकारी निर्देशक न्यौपाने कहलै, ‘महिलाके श्रमके मूल्याङकन नइकैना, महिलाके शरीरहे नियन्त्रण करे परठ ओ महिलाके अपन अलगे पहिचान नइहुई कना विभेदकारी मूल्य मान्यतासे राज्यके सक्कु संरचना निर्देशित हुके अइना यैसिन खाले अभिव्यक्ति महिलाके स्वतन्त्रता, स्रोत उप्परके पहुँच ओ नियन्त्रण तथा सामाजिक न्यायके अधिकारहे कुण्ठित करले बा ।’
यी प्रस्ताव नेपालके संविधानके धारा १६ के सम्मानपूर्वक बाँचे पैना अधिकार, धारा १७ के स्वतन्त्रताके हक, धारा १८ के समानताके हक, धारा २५ के सम्पतिउप्परके हक, धारा २९ के शोषण विरुद्धके हक, धारा ३८ के महिलाके हक तथा धारा ४२ के सामाजिक न्यायके हक लगायत और मौलिक हकहुकनके विरुद्धमे रहल उहाँ कहलै ।
ओस्टेक करके यैसिन प्रस्तावहुक्रे मानवअधिकारके विश्वव्यापी घोषणापत्र १९४८ के धारा १६ से कानुनी उमेर पुगल कौनोफे व्यक्ति कौनोफे अवरोध ओ सर्तबिना अपने चाहल व्यक्तिसंग भोज करे पैना ओ चाहल अवस्थामे सम्बन्धविच्छेदफे करे पैना प्रावधान ओ महिलाविरुद्घ हुइना सक्कु खाले भेदभाव उन्मुलनसम्बन्धी महासन्धी (सिड)के मर्मके विरुद्धमे बा निर्देशक कहलै ।
ओरेकसे प्रकाशित करल अन्वेषी २०७८ मे अभिलेखिकरण हुइल महिलाउप्पर हुइना हिंसाके घटनामन्से ६३ प्रतिशत घरेलु हिंसा महिलाके घरभिटरके स्रोत साधनउप्पर पहुँच तथा श्रमके मूल्याङकन नइहुके परिणाम हो ओ यदि महिलाके सम्पत्तिउप्परके अधिकार कुण्ठित कैना करके यैसिन प्रावधान अइलेसे महिलाउप्पर हुइना हिंसाके जोखिम झन बह्रना महिला अपनउप्पर हुइल हिंसाहे समेत बाहेर नाने नइसेक्के बाध्यात्मक स्थितिके सिर्जना हुइना विल्गाइठ ।
अब्बेफे महिला अपने जीवनहे कैसिन आघे बढैना कना पुरुषसंगके सम्बन्धसे निर्धारण करे परल अवस्था जगजायर बा । सम्पति आर्जन कैना, कमैना ओ पैत्रिक सम्पतिउप्परके पहुँच ओ नियन्त्रण पुरुषके मात्र हो कना हानिकारक सोच बिषााक्त पुरुषत्वके परिणाम हो जौन संविधानके विरुद्धमे बा ।
सम्पतिके अंकुश लगाके महिलाके यौनिकता, सामाजिक ओ भावनात्मक स्वतन्त्रताउप्परके नियन्त्रण कैना प्रवृत्ति पितृसत्तात्मक सोचके उपज हो । इतिहासके टमान कालखण्डमे महिलाहुकनके सामाजिक ओ राजनीतिक आन्दोलनहे महिलाके पक्षमे कुछ प्रगतिशील कानुन लिखल बा । मने यैसिन प्रस्ताव अभिनसमके महिलावादी आन्दोलनके उपलव्धिहे उपेक्षा करल बा ।
महिला अधिकारहे खण्डित कैना करके आइल यी प्रस्ताव सम्बन्धी गहन अध्ययन अनुसन्धान करके समुदायस्तरसे महिलाके सवालमे काम कैना संघसंस्था, सञ्जाल ओ विषय विज्ञसंग परामर्श कैना सक्कु निकायके ध्यानाकर्षणफे हुइना जरुरी रहल कार्यकारी निर्देशक जनैले बा ।


