चुनाव

चुनाव लग्गे अइटि रहे । एसइइ उत्तीर्ण कैके भविष्यके सुन्दर कल्पना बोकके मै सहरओर पह्रे गिल रहुँ । अध्ययनके क्रममे सहरओरके बसाइ फेन लम्मे होसेकल रहे । चुनावके कारण स्नातक दोसर वर्षके परीक्षा स्थगित हुइलपाछे गाउँओर लग्नु । पाँच वर्षमे गाउँमे खासे परिवर्तन हुइल नैडेख्नु । कुछ दिनके बसाइँमे कबु नैडेखल नेता कार्यकर्ताहुकनके चहलपहल एकडम बह्रल रहे । आघेक चुनावमे एकआपसमे बोलचाल बन्द हुइल गाउँक डाडाभैया पुनः मेलमिलापके वातावरण सिर्जना हुइल रहे । सबजे एक मन बनाके मरनि–करनिमे चहना समाज छरछिमेक हो कना सामाजिक एकतामे बैठल काले दाइ, चामे, माने, हरि काका, डाँडाघरे बरापु, पुलामी बुडु, सुशीला डिडी, परोसी सँझंला, भक्ते दमाइ आदि सबजे फेन चुनावके कारण बटल रहैं । सबजे अपनअपन सुरमे रहैं । टमान पार्टीके झण्डा पकरके जुलुस, आमसभा, कार्यक्रममे सहभागी डेखाइठ ।
गाउँक विचरा सोझ डाडाभैया बीच मन फुटल रहे । उहाँहुकनहे कौनो पार्टीके सिद्धान्त, दर्शन, चुनावी घोषणापत्रसँग कौनो सरोकार नैरहे, रहे टे केवल नेतासे डेहल आश्वासन यी, उ, अइसिन ओइसिन बनाडेम, कराडेम कना प्रलोभन । ओहे प्रलोभनके आशमे केन्द्र्रित डाँडाघरे पराबु ओ पुलामी बुडुक बोलचाल बन्द हुइल रहे । परोसी सँझंला ओ भक्ते दमाइ बीच टे ठोरिक्के नै किटिकपिटा हुइल रहे । चुनाव अइना आघेसम पार्टी ओ नेताहे सत्तोसराप करटि एक दिन माने डाडु कहटहैं– “यी चो चुनाव टे आए मै जन्ले बटुँ । यकर लाग मै का नैकरना आज यी गति भोगे परल बा । गाउँमे बहिस्कार करेपरल ।” यी बाट कलेक कुछ दिनपाछे टे माने पार्टीके चिन्हसहितके टिसर्ट पहिरके नेताके पाछेपाछे गाउँ गाउँ अप्नही नेंगे लागल ।
“रामे भैया यी चो गजराज काकाहे जिटाइ परल,” मै कनु– “नाहि भरौसम टे नेता ओ पार्टीहे एकडम गाली गलौज करटहि टे ।” माने जवाफ डेलैें– “का करबे कान्छा दुईचार पैसा कमाइ परल । टोर भौजी दीर्घरोगी बा ओहेउप्पर दम, उच्च रक्तचाप फेन बटिस । उपचार करना सहरमे लैजिम कलेक फेन पाँच वर्ष हुइ लागल । आम्दानी फुटल कौडी नैहो । कम खेटुवाके अन्नपातसे पेट पल्ना मुश्किल बा । छोटछोट लर्कनके सहारा ओहे बा । कथमकदाचित कुछ हुइजाइ कलेसे मोर टे बिल्लीबाँठ हुइजाइ । टबेमारे चुनावमे नैलागके नैहुइना हुइल, कान्छा । रिस टे कम उठल बा । गाउँमे मोटरबाटो पुगल कहिके गाउँले कत्रा खुशी रहैं । गैल वर्खामे पैरोले डगर भस्कल कत्रा हुइल मर्मत हुइल नैहो । खानेपानीके पाइप घरघरमे पुगैना कहिके कैत्रो वडामे गैलि । कुछ सुनुवाइ नैहुइल । गाउँके स्कुलके छट फेर्न कहिके पालिकामे गैलि सिँका नैउठल । यी सब समझके टे नेताहे जिटि जरा डिउ जस्टे लागठ । मने का करबे कान्छा । चुनाउ जिटलपाटे टे कुछ हुइ टे कहिके लागल बटि ।” ठोरचे निरास हुइटि अपन बाट माने दाइ ढैलैं । मै एकचित्त होके सुन्नु ।
“टे कान्छा नेताहुक्रे टोर भौजीहे चुनाउपाछे सहरमे लैजाके उपचारके व्यवस्था मिलाडेब कले बटैं । अत्रासे का चाहल टे हम्रे गरिब मनैन्हे ।” आश ओ प्रलोभनके पाछे दौरटि रहल मानेके विवशता सुनके मै एकडम गहिरके सोच्नु । आखिर नेता कलेक नेते हुइट । गरिब सोझ गाउँलेहे कत्रा सहजिलसे प्रपञ्चके जालमे परठैं ।
दिन बिट्टि गैल । चुनाव ओराइल । गजराज काका फेन संसदमे निर्वाचित हुइलैं । चारुओर हर्षबधाई ओ जय जयकार करटि जिन्दावादके नारा फेन लागल । टमान नेताहुक्रे अपनअपन पाँच वर्षे जागिर पक्का करलैं । मै फेन सहरओर स्नातकके परीक्षा तयारीके लाग नेंग्नु । परीक्षापाछे कुछ समयके लाग गाउँमे फेनसे लौट्नु । धुस्सल पोउँडा लगाइल पुरान सुरुवाल, कच्याककुचुब परल टोपी, डोंगिल जिउ हुइल माने डाडु अपन घरेक अँगनामे गालमे हात ढैके बैठल रहैं । करिब पाँच महिनापाछे गाउँमे माने डाडुसँग मोर भेट हुइल रहे । प्रायः मै गाउँ अएटिकिल होकान घर नैपेलके मन नैमानठ । मै माने डाडुक घरेम सरासर गैनु । मै अभिवादन करटि, “का बा डाडु गाउँघरके नयाँ ताजा खबर, भौजीक उपचार हुइल टे,” कहिके पुछ्नु ।
“का करबे कान्छा, दैवक लीला टोर भौजी यी दुनियामे नैरहल आब । मै एक्लि होगिनु । यी छोटछोट लरकनके बिचल्ली हुइना हुइल ।” कटि होकान आँखी रसाइल । मै शान्त मुद्र्रामे नेतासे उपचार करडेना आश्वासन डेना बाट पुछ्नु ।
“का करबे कान्छा, उ मुर्दार चुनाव जिटलपाछे टे गाउँमे कबु लौटके नैआइल । टमानचो सहरमे जाके भेट्न प्रयास करनु । महिनौ दिनसम भेट फेन नैहुइल । उपचार करना रुप्या नैहोके मोर होकान ज्यान गैल । अस्टे हो कान्छा, गरिबके व्यथा । जोन शासन अइलेसे फेन जत्रा चुनाव अइलेसे फेन हम्रिहिनहे हेरुयया कोइ नैहो ।” उ चुनाव ओ शासन प्रति विश्वास पूर्ण रुपसे गुमासेकल रहे । काल्हके दिनमे कैसिक छावाछाइ पल्ना ध्याउन्नमे रहैं । मै फेन वहेसे निराश होके लौटनु ।
