सिकलसेल सकसः भोज आघे रगत जाँच करेपर्ना

शंकरप्रसाद खनाल
नेपालगन्ज, ९ असार । बर्दिया राजापुरके २४ बरसके रमेश थारू ओ २२ बरसके सुनिता चौधरी (नाउ परिवर्तन) बीच गत वैशाखमे भोजके बात चलल् । मने, निचोडमे पुग्ना पढाइ, धनसम्पत्ति, पारिवारिक स्थिति, आनीबानीसे फेन सिकलसेल/थालेसिमिया रोग रहल/नैरहल बातहे आधार बनागैल । ओकरपाछे भेरी अस्पताल नेपालगन्जमे आके रगत परीक्षण करैलै ।
‘रमेश थालेसिमियाके वाहक रहल पता चलल् । सुनिता स्वस्थ रही । मे भोज करे मिली कहिके पठैनु’, सिकलसेल/थालेसिमिया विज्ञ भेरी अस्पतालके प्रमुख कन्सल्टेन्ट फिजिसियन डा.राजन पाण्डे कहलै । डा. पाण्डेके अनुसार राजापुरके औरे दुई जोडी फेन रगत परीक्षण कैके भोज करे मिली कहलपाछे ढुक्क होके गैलै । इ मध्ये केक्रोमे फेन सिकलसेल/थालेसिमिया नैडेखगैल ।
बर्दियाके बारबर्दियाका २५ बरसके धनीराम थारू ओ २३ बरसके बासमती दहित (नाउ परिवर्तन) के भोज परिवारसे पक्का करलै । उहाँहुक्रे फेन जेठ टिसरा अँठ्वार भेरीमे रगत परीक्षण करैलै । बासमती थालेसिमियाके वाहक रही । धनीराम स्वस्थ रहिट । उहाँहुक्रे फेन भोज करे मिल्ना कहटी खुसी हुइटी घर गैलै । बारबर्दियाके औरे जोडी फेन रगत परीक्षण कराके ढुक्क होके गैल रहिट ।
डा. पाण्डेके अनुसार थारू समुदायके युवायुवती ६ महिनायहोर भोज करक लाग जोडी बनाके सिकलसेल÷थालेसिमिया परीक्षण करे अस्पताल अइना करल बटैठै । बारबर्दिया नगरपालिकाके सक्कु थारू (२० हजार जाने) के सिकलसेल÷थालेसिमिया परीक्षण करेबर ११.३ प्रतिशतमा सिकलसेल एनिमिया डेखल बा । ५ प्रतिशतमे बिटा थालेसिमिया फेला परल बा ।
जिल्ला स्वास्थ्य कार्यालय बाँके कोहलपुरमे १० हजार जनहनके परीक्षण करेबर १५ प्रतिशतमा सिकलसेल पाइल बा । राप्तीसोनारीमे ५ सय जनहनके परीक्षण करल प्रारम्भिक रिपोर्टमे १८ प्रतिशतमा इहे रोग डेखल बा ।
विश्व स्वास्थ्य संगठनसे कुल जनसंख्याके एक प्रतिशतमे रोग पाइलमे जनस्वास्थ्य समस्या हुइना मापदण्ड बनैले बा । बाँके ओ बर्दियाके इ बस्तीमे परीक्षणके १० प्रतिशतसे उप्पर रहल ओरसे इ जिल्लाके थारू समुदायमे सिकलसेल÷थालेसिमिया जनस्वास्थ्य समस्याके रूपमे रहल डा. पाण्डे बटैठै । थारूबाहेक बीसी, योगी, रैदास, अधिकारीलगायत थरके व्यक्तिमे फेन इ रोग भेटल बा । तराईमे औलो लग्ना ठाउँमे बैठल आदिवासी इ रोगके सिकार हुइल बाटै ।
सिकलसेल÷थालेसिमिया रगतके रातो रक्तकोषमे हुइना जैविक वंशाणुगत रोग हो । सामान्य अवस्थामे रातो रक्तकोषिका गोलो ओ चिल्लो रहठ् । सिकलसेल हुइलेसे राता रक्तकोष हँसिया आकारमे परिणत होके १५ से २० दिनसम रक्त सञ्चारमे रहठ् । जिहीसे शरीरमे रगत बनैना रातो रक्तकोषिकाके संख्या घटैटी लैजाइठ् । बनल रक्तकोषके आयु फेन छोट रहठ् । रगत ढिला बनेबर शरीरमे रगतके कमी हुइ जाइठ् ।

सिकलसेल होसेकलपाछे शरीरके टमान महत्वपूर्ण अंग ओ प्रणालीमे यकर प्रभाव डेख परे लागठ् । एकचो शरीरमे इ प्रणाली विकास हुइलेसे एकसे ५० बरससम पले जुनसुके समयमे रोगके लक्षण डेखा परे सेकठ् । थालेसिमिया रोगके अवस्था फेन ओस्टहे हो । नेपालके बाँके, बर्दिया, कैलाली, कञ्चनपुर, दाङ ओ सुर्खेतके थारूनमे सिकलसेल रोग रहल अनुसन्धानसे डेखैले बा । दाङ पूरुबके थारूनमे थालेसिमिया रोगके समस्या ढिउर रहल बा ।
तराईके आदिवासी थारूनहे पहिले औलो नैलागल । थारू समुदायमे औलो रोगके महामारीसँग जुध्न गोलाकार रक्तकणिका बनैना जीनमे प्राकृतिक उत्परिवर्तन होके रोगसे लरे सेक्ना प्रतिरोधात्मक क्षमताके विकास हुइल । ओ, जिहीसे सिकलसेल बनल भेरी अस्पताल नेपालगन्जके मेडिसिन विभाग प्रमुख डा.राजन पाण्डे बटैठै । ओकरपाछे सिकलसेल थारूनके एक पुस्तासे औरे पुस्तामे सरल उहाँ बटैठै । सिकलसेल÷थालेसिमिया औरे जैसिन सरुवा रोग नैहो । मने, बाबा ओ डाइक जिनसे सन्तानमे सरठ् । रोगके समयमे पहिचान नैकरलेसे रोगी दम्पतीसे जन्मना बच्चा या टे रोगी रहठै या रोगके वाहक रहठै । बाबा ओ डाइक डुनहुनसे सिकलसेलके जिन जन्मना बच्चामे फेन सरल कलेसे सिकलसेल÷थालेसिमिया रोगी नै जन्मठै । इहे विस्तार रोक्न डा.पाण्डे भोज करैना पुरोहितजस्टे सिकलसेल/थालेसिमियाके कुण्डली बनाके वितरण कैटी रहल बाटै ।
भोज करे नैमिल्ना अवस्था
सिकलसेल/थालेसिमिया कुण्डलीअनुसार तीन मेरके अवस्थामे विवाह कैना कहलक रोग विस्तार कैन हो । जस्टेः बाबा ओ डाइ डुनु जनहनहे सिकलसेल÷थालेसिमिया हुइल बा कलेसे जन्मना सन्तान फेन रोगी नै रही । सिंगो परिवार नै रोगी रही । बाबाहे सिकलसेल÷थालेसिमिया ओ डाइ वाहक रलेसे फेन जन्मना सन्तान फेन ५० प्रतिशत बिरामी ओ ५० प्रतिशत वाहक जन्मठै । डाइहे सिकलसेल÷थालेसिमिया ओ बाबा वाहक बा कलेसे जन्मना सन्तान फेन ५० प्रतिशत बिरामी ओ ५० प्रतिशत वाहक जन्मठै ।
बाबा ओ डाइ डुनु सिकलसेल÷थालेसिमियाके वाहक बाटै कलेसे जन्मना सन्तान २५ प्रतिशत सामान्य, २५ प्रतिशत बिरामी ओ ५० प्रतिशत वाहक जन्मना सम्भावना रहठ् । अइसीन बेला भोज कैना अपनहे जोखिम मोले पर्ना रहठ् । डा.पाण्डे जोखिम मोलके भोज नैकैना सुझाव डेठै ।
भोज करे मिल्ना अवस्था
डाइबाबा डुनु जनहनहे सिकलसेल/थालेसिमिया नैहो कलेसे सन्तान फेन सामान्य नै जन्मठै । बाबा सामान्य ओ डाइ सिकलसेल/थालेसिमियाके वाहक हो कलेसे सन्तान फेन ५० प्रतिशत सामान्य ओ ५० प्रतिशत वाहक हुइना सम्भावना रहठ् । बाबा सिकलसेल÷थालेसिमियाके वाहक बाटै ओ डाइ आमा स्वस्थ हुइलेसे फेन जन्मना सन्तान फेन ५० प्रतिशत सामान्य ओ ५० प्रतिशत वाहक हुइना सम्भावना रहठ् ।
बाबाके स्वास्थ्य अवस्था सामान्य बा मने डाइहे सिकलसेल/थालेसिमिया बा कलेसे सन्तान सक्कु वाहक जन्मना सम्भावना रहठ् । डाइक स्वास्थ्य अवस्था सामान्य बा मने बाबाहे सिकलसेल/थालेसिमिया बा कलेसे सन्तान सक्कु वाहक जन्मना सम्भावना रहठ् । इ उप्परके ५ अवस्थामे भोज करे मिलठ् ।
राष्ट्रिय जनगणना २०६८ अनुसार नेपालमे थारू जातिके जनसंख्या १७ लाख ३७ हजार ४ सय ७० रहल बा । जौन देशके कुल जनसंख्याके ६.५६ प्रतिशत हो । सक्कु थारूके सिकलसेल परीक्षण करेबर कम्तीमे २ लाखसे ढिउरहे समस्या हुइल हुइ सेक्ना डा. पाण्डेके दाबी रहल बा ।
ओहकान अनुसार टमान स्वास्थ्य संस्थामे करल परीक्षणमे अब्बेसम ३ हजार ८०० हजार जाने थारूनमे सिकलसेल एनिमिया रोेग लागल पुष्टि हुइल बा । बाँके, बर्दिया कैलालीलगायत पश्चिम नेपालके ८९४ जाने भेरी अस्पतालसे सिकलसेलके उपचार सेवा लेटी रहल बाटै । सरकारसे सिकलसेलके बिरामीहे १ लाख रुपैयाँ बराबरके निःशुल्क उपचारके व्यवस्था करले बा । भेरी अस्पतालसे सेवा लेटी रहल बिरामीमध्ये २० जनहनके १ लाख रुपैयाँ ओराइल बा । उहाँहुक्रनके थप उपचार कैना आर्थिक समस्या डेखल बा ।
नेपालमे किल नैहोके । सिकलसेल/थालेसिमिया विश्वका अमेरिका, अफ्रिका, बेलायत, साउदी अरब, भारतलगायतके देशके स्वास्थ्य समस्या हो । साउदी अरेबिया, बहराइन, साइप्रस, माल्दिभ्सलगायतके देशमे सिकलसेल÷थालेसिमिया रोगके विस्तार रोक्न अनिवार्य रगत परीक्षण कैना कानुनी व्यवस्था नै रहल डा.पाण्डे बटैठै । ओहकान सुझाव रहल बा, ‘सिकलसेल÷थालेसिमियाहे एकठो गोत्र मानी । रगत परीक्षणपाछे सिकलसेल÷थालेसिमियाके अवस्था बुझके किल भोज करलसे जन्मना सन्तान फेन स्वस्थ रहीही । रोग विस्तार हुइनासे बची ।’
डा.पाण्डे जन्मल ६ महिनाभिट्टरके सक्कु बच्चाके रगत परीक्षण कैके सिकलसेल/थालेसिमियाके पहिचान करे सेक्लेसे सम्भावित जोखिमहे आउर घटाइ सेकजैना बटैठै । इ रोगके उपचार करटी करटी व्यक्ति घरजग्गा सम्पत्ति सक्कु बेचे पर्र्ना अवस्थामे पुगल ओरसे सरकारसे स्वास्थ्य बिमा कार्यक्रममे अनिवार्य रूपमे सिकलसेल/थालेसिमियाके रोगके औषधिहे समावेश करे सेक्लेसे रोगीहे राहात हुइना रहे ।
एक लाखके निःशुल्क उपचार
सरकारसे विपन्न नागरिक औषधि उपाचार कार्यक्रमअन्तर्गत सिकलसेल एनिमियाके बिरामीहे १ लाख रुपैयाँ बराबरके निःशुल्क उपचारके व्यवस्था करले बा । गरिब नेपाली नागरिकहे गम्भीर स्वास्थ्य अवस्थाके उपचार कैना सामाजिक स्वास्थ्य सुरक्षा खण्डके गरिब नागरिक सेवा योजनासे कोष प्रदान करठ् । देशके आधा दर्जन अस्पतालसे इ सेवा प्रदान करले बावै ।
‘सिकलसेल घटैना ढिउर काम हुइल बा’
दुर्गाबहादुर थारू (कविर), निवर्तमान नगरप्रमुख, बारबर्दिया नगरपालिका बर्दिया
सिकलसेल एनिमिया थारू समुुदायके स्वास्थ्य समस्या हो । हुइना टे इ रोग औरे समुदायमे फेन कम रहल बा । सन् १९९१ अमेरिकन जर्नल अफ ह्युमन जेनेटिक्स, थारूहुक्रनके रगतमे पैना अ–थालसिमिया जिनसे मलेरियासे लरे सेक्ना अनुवांशिक प्रतिरोधात्मक क्षमताके विकास हुइल हो । इहीसे मृत्युदर १० गुणासे घट्ठ् । अनुमान सहजे का लगाइ सेकजाइठ् कलसे थारूहुक्रनके कैयौं पुस्ता प्रचण्ड गर्मीमे बैठ्लै । जहाँ औलोके प्रकोप रहे । सिकलसेल संक्रमित हुइलपाछे इ पुस्ता दरपुस्तामे सर्टी गैल । थारूहुक्रे औलोसे लरलै । उहाँहुक्रनके रोगप्रतिरोधात्मक क्षमता टे सेलमे हुइना हो ।

औलोसे लरेबर सेल नै बाङ्गो हुइल कहिके अनुमान लगाइ सेकजाइठ् । थारूनहे औलो नैलागे नै टे ? थारू औलोहे टे जिट्लै, मने सेल बाङ्गोटिङ्गो हुइल । सिकलसेल रहल थारुनहे औलो कबु फेन नैलागल कना डाक्टरहुक्रनके कहाइ बा । बर्दियाके बारबर्दिया नगरपालिकामे हम्रे थारू समुदायके भोज नैहुइल एक बरससे २९ बरस उमेर समूहके करिब २० हजार ओ सिकलसेल रहल व्यक्तिके तीन पुस्ताके व्यक्तिहे कैके झन्डे २७ हजारजतिके मास स्क्रिनिङ करल रही । जेम्ने सिकलसेल रोगी १२४ ओ एक हजार २०० बाहक भेटल रहिट । जौन बारबर्दियाके थारू समुदायके कुल जनसंख्याके ११.३ प्रतिशतमा सिकलसेल एनिमिया पाइल रहे ।
थारू बाहुल्य रहल हरेक स्थानीय सरकारसे हमार करल जस्टे मास स्क्रिनिङ कैना जरुरी रहल बा । सिकलसेलके सम्बन्धमे बारबर्दियामे हम्रे चारठो काम कैले बाटी । स्थानीय पाठ्यक्रमके रूपमे कक्षा ९ ओ १० मे लागू करले बाटी । इ कक्षामे पहु्रइया विद्यार्थी सिकलसेल कैसिक सरठ् कना पर्याप्त ज्ञान होसेकल । इ विद्यार्थीनसे आब सिकलसेल रोगी बच्चा नैजन्मी । इहीसे सिकलसेल पुस्तामे ब्रेक हुइ । इ हमे्र रणनीतिक महत्वके काम करले बाटी ।
डुसरा हम्रे दुई बरस लगाके नगरके सक्कु थारू समुदायके भोज नैहुइल उमेर (१–२९)हे मास स्क्रिनिङ करली । ओकर लाग हम्रे गाउँगाउँमे पुगल रही । यम्ने ढिउर जनशक्ति परिचालन करल रहे । संघीय सरकारके स्वास्थ्य तथा जनसंख्या मन्त्रालयअन्तर्गतके स्वास्थ्य अनुसन्धान परिषद्से ४ करोड रूपैयाँ लानके काम करल रही ।
टिसरा काम हम्रे आरसी मेमोरियल अस्पताल जयनगरमे उपचार केन्द्र स्थापना करले बाटी । यहाँके रोगी आब उपचारके लाग अन्त जाइ नैपरी । चौथो काममे नवजात शिशुके खोपके लाग डेजैना बाल कार्डमे १५ महिना पुगलपाछे दादुराके खोप अनिवार्य लगाइ पर्ना रहठ् ।
हम्रे उ बेलामे अनिवार्य रूपमे सिकलसेल जाँच कैना कहिके बाल कार्डमे औरे कोलम थप्ले बाटी । यहाँ जन्मना बच्चामे सिकलसेलके अवस्था इहीसे सुरुमे पता हुजाइठ् । इ चारठो काम थारू समुदायके बसोबास रहल सक्कु स्थानीय तहमे लागू कैडेना हो कलेसे सिकलसेल ब्रेक हुइ । लावा पुस्तामे नैजाइ पाइ । अब्बे टे संघीय ओ प्रदेश सरकारसे फेन सिकलसेलहे प्राथमिकतामे राखके बजेट विनियोजन करले बावै । (अन्नपूर्ण पोस्ट)
