लैंगिक विभेदके कारण असुरक्षित गर्भपतन

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, २३ असार । सुदूरपश्चिम प्रदेश सामाजिक विकास राज्यमन्त्री टेकबहादुर रैका जातीय तथा लैंगिक विभेदके कारण असुरक्षित गर्भपतनके घटना हुइटि रहल बटैले बटैं ।
वातावरण, स्वास्थ्य र जनसंख्या कार्यक्रम अनुसन्धान केन्द्र (कृपा) के आयोजनामे बुधके रोज धनगढीमे सुरक्षित गर्भपतन सेवामे प्रभावकारी बनाइक लाग प्रदेशस्तरीय अन्तरक्रिया कार्यक्रममे राज्यमन्त्री रैका सुदूरपश्चिम प्रदेशके ग्रामीण क्षेत्रमे जातीय तथा लैंगिक विभेदके कारण असुरक्षित गर्भपतन हुइटि आइल बा ।
उहाँ असुरक्षित गर्भपतनके घटनाहे व्यवस्थापन करेक लाग नैतिक रूपमे सबजे संवेदशील हुइपरना बटैले रहैं । उहाँ कलैं, “कहुँ अप्ने फेन लिंग पहिचान कैके टे गर्भपतन नैकराइटि ?” लिंग पहिचान कैके गर्भपतन करुइनहे कानूनी दायरामे नाने परना उहाँक कहाइ रहे ।
ओस्टेके, कार्यक्रममे उहाँ स्थानीय तहके भूमिकाहे फेन रणनीतिक बनाइ परनामे जोर करले रहैं । उहाँ प्रदेश सरकारसे नानल सुरक्षित गर्भपतन ऐनसे सेवाग्राहीहे सहज हुइलेसे फेन सुदूरपश्चिमके विकट, दुरदराजहे मध्यनगर कैके ऐन बनाइ परना बटैलैं । “अभिन फेन प्रदेशके कुनाकाप्चामे असुरक्षित गर्भपतन कराइल महिला औषधोपचार पैले नैहुइट,” उहाँ कलैं, “प्रदेशके पहिल प्राथमिकता स्वास्थ्य टब डोसर शिक्षा रलेसे फेन उहाँहुक्रे उचित उपचार पाइ सेक्ले नैहुइट ।” उहाँ प्रदेश सरकार सुरक्षित गर्भपतन ऐन नान्के यकर कार्यान्वयन करनामे प्रतिवद्ध रहल जानकारी करैलैं ।

कार्यक्रममे डा. लक्ष्मीराज पाठक सुरक्षित गर्भपतनहे व्यवस्थित करेक लाग प्रदेशस्तरीय व्यवस्थापन निर्देशिका बनाके आघे बह्रे परना बटैले रहैं । उहाँ सुरक्षित गर्भपतन करुइया दक्ष जनशक्ति नैरहल संस्थाके अनुगमन कैके कारवाही करेपरनामे बटैले रहैं । उहाँ कलैं, “सुरक्षित गर्भपतनके मापदण्ड बनाके अनुगमन करना आवश्यक बा ।” उहाँ सुरक्षित गर्भपतनके व्यवस्थापनके लाग मन्त्रालय, निर्देशनालय, स्वास्थ्य कार्यालय, सेवा प्रदायक संस्था ओ औजार उपकरणके महत्वपूर्ण भूमिका रहना बटैलैं ।
ओस्टेके, कार्यक्रममे स्वास्थ्य कार्यालय प्रमुख लालबहादुर धामी नीति स्वास्थ्य संस्थामे फेन सुरक्षित मातृत्व कार्यक्रम समावेश करना जरुरी रहल बटैलैं । उहाँ गर्भपतनके लाग भारतके पलिया, वनवसालगायतके ठाउँमे जैनाहे फेन रोके परना बटैलैं । कार्यक्रममे धनगढी उपमहानगरपालिका स्वास्थ्य शाखा प्रमुख कृष्णबहादुर बोहरा अधिकारके दुरुपयोग बह्रल कारण असुरक्षित गर्भपतनके घटना बह्रल बटैलैं । उहाँ अइसिन घटनाके अनुगमन कैके कारवाही करेपरना आवश्यक रहल बटैलैं । कार्यक्रममे सहभागी चेतराज फूलारा सुरक्षित गर्भपतनबारे विद्यालयस्तरसे सकारात्मक शिक्षा डेहे परना बटैले रहैं ।
मुलुकी ऐनके एघारौं संशोधन (२०५९) गर्भपतनहे फौजदारी कानूनके परिधिभित्तर ढरल बा । जोन अन्तर्गत गर्भवती महिलाके मञ्जुरीसे १२ हप्तासमके गर्भ, जबर्जस्ती करणी वा हाडनाता करणीसे रहल गर्भ १८ हप्तासम ओ गर्भपतन नैकरैलेसे महिलाके ज्यानमे खतरा हुइना वा निजके शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्यमे असर पर्ना वा विकलांग बच्चा जन्मे सेक्ना सम्भावना रलेसे जबफेन फेन महिलाके मञ्जुरीमे गर्भपतन कराइ सेक्न व्यवस्था बा । कानूनसे तोकल अवधि, प्रक्रिया ओ स्थानमे नैरलेसे महिलाहे समेत सजायके व्यवस्था बा । ओस्टेके, प्रचलित कानून भ्रूणके लिंग पहिचान कैके ओकर आधारमे करना गर्भपतनहे फेन अपराध मन्ले बा ।
स्वास्थ्य निर्देशनालके डोटीके निर्देशक जगदिश जोशी स्वागत करल कार्यक्रममे जनस्वास्थ्य प्रमुख दयाकृष्ण पन्त, महेश गिरीलगायत सुरक्षित गर्भपतनसम्बन्धी जानकारीमूलक कार्यपत्र प्रस्तुत करले रहैं ।
कार्यक्रम सामाजिक विकास मन्त्रालयके प्रदेश सचिव दीपक लामिछानेके अध्यक्षतामे हुइल रहे । कार्यक्रमके सञ्चालन प्रादेशिक स्वास्थ्य प्रवद्र्धन केन्द्रके प्रमुख हेमराज खड्का करले रहैं । कार्यक्रममे स्वास्थ्य क्षेत्रलगायत सरोकारवालाहुकनके सहभागिता रहल रहे । कार्यक्रम सुदरपश्चिम प्रदेश सामाजिक विकास मन्त्रालयके समन्वयमे हुइल रहे ।
