‘रानाथारु समुदायमा प्रचलित लोककथा र मिथक’ नामक किताब सार्वजनिक
पहुरा समाचारदाता
काठमाडौं, २८ असार । रंगकर्मीके छवि बनाके पत्रकारिता करटी रहल इन्द्र चौधरीके प्रकाशनमे आइल बा । उहाँक लिखल ‘रानाथारु समुदायमा प्रचलित लोककथा र मिथक’ नामक किताब नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानसे प्रकाशन करल हो ।
नेपालके सुदूरपश्चिम प्रदेशके कैलाली ओ कञ्चनपुरमे मुख्य बसोबास रहल रानाथारु समुदायमे रहल प्रचलित लोककथा ओ ओकर मिथकबारे किताबके मुख्य विषयबस्तु रहल बा ।
‘लोक समुदायसे रचना करल ओ मौखिक परम्परामे जीवित परम्परित कथा नै लोककथा हो । यम्ने लोक आस्था, लोक विश्वास, लोकसंस्कृति ओ सामाजिक प्रत्यक्ष प्रभाव रहठ’, लेखक चौधरी कहठै–‘लोक समुदायको मनोरञ्जन ओ शिक्षाके मूल माध्यम फेन लोककथा नै हो ।
एक पुस्ताके ज्ञान, अनुभव ओ कल्पना शक्तिहे औरे पुस्तामे हस्तान्तरण कैना काम फेन इहे मार्फत हुइठ् । ओहेमारे मानव सभ्यता वा लोक समुदायके अस्तित्व जोगाइक लाग इहीहे लिपिवद्ध कैके संरक्षणके आवश्यक रहल बा ।’
उहाँ डगौरा थारु परिवारमे जन्मलेसे फेन रानाथारु क्षेत्र बाहुल्य रहल ओरसे अपने ओक्रे प्रभावमे बह्रल उल्लेख करलै । ‘छोट्टेसे रानाथारु समुदायके संस्कृति, परम्परा, चालचलन, रीतिरिवाज फेन सुक्ष्म ढंगसे नियाल्ना ओ बुझ्ना मौका पैनु मने वर्तमान समयमे आधुनिकताके प्रभावसे उ लोकपरम्परा ढिरेसे लोप हुइटी गैल डेखके महिन यकर संरक्षण करे परठ् कना लागल ओ लोककथा संरक्षण करे लग्नु । कुछ फुटकर कथा टमान पत्रपत्रिकामे प्रकाशित फेन हुइल’, उहाँ कहलै ।
किताबमे रानाथारु समुदायमे प्रचलित ‘करमुआ और सपनो’, ‘सदासुर्का और सदाबिर्छ’, ‘सेराकी निसाफ’, ‘राजा नल’, ‘सोरठ’ लगायत लोककथा समावेश रहल बावै । कितावके मुल्य १८५ रहल बा ।


