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धनगढीमे गुरही भव्यताके साथ मनैना

पहुरा | १३ श्रावण २०७९, शुक्रबार
धनगढीमे गुरही भव्यताके साथ मनैना

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, १३ सावन ।
धनगढीमे सावन १७ गते गुरही टिहुवार मनैना हुइल बा । थारु समुदायके टिहुवारके शुरुवातके रुपमे लेना गुरहीहे सखी सञ्जाल ओ थारु कलाकार मञ्च कैलालीके संयुक्त आयोजनामे सावन १७ गते धनगढीके गुरही चौकमे सामूहिक रुपमे मनैना हुइल हो ।

विगत एक दशक यहोर थारु समुदाय आपन हकअधिकार तथा पहिचानके रुपमे मनैटी आइल गुरहीहे इ बरस फेन टरटिहुवार संरक्षण सम्वद्र्धन सहित हकअधिकार तथा पहिचानके रुपमे मनैना हुइल बा ।

थारु समुदायमे ‘गुरही’ मनैनाके अर्थ, नाग बाबाहे पूजा कैके विसहा साप घरम नैअइना, घरमे बाज नै मर्ना, आगलागी नैहुइना, दुःखके बज्रपात नैपर्ना, रोगव्याधी ओ महामारी घरमे प्रवेश नैकैना विश्वास करजाइठ् ।

नागबाबाहे घरके डुवारमे टाँसके पूजा कैनाके आशय दुःख, कष्ट ओ रोगव्याधीहे नागबाबा घरमे प्रवेशसे रोक्ना कना हो । इहीहे नागपञ्चमीके रुपमे फेन मनाजाइठ् । थारु समाजमे ‘गुरही, गुर्या’ कहिके मनाजैना इ टिहुवारहे नेपाली समाज नागपञ्चमी कहिके मनैठै ।

नागपञ्चमीमे विशेष कैके नेपाली नागबाबाके पूजा–आजा करठै कलेसे थारु समाजमे ‘गुरही’ पूजा हुइठ् । थारु समाजमे फेन ठाउँअनुसार ‘गुरही’ फरक फरक ढंगसे मनैठै ।

इ टिहुवार गाउँके युवती गाउँसे डुरके चोकमे जाके कपडासे बनाइल छोट छोट गुरही (गाइने कीराके प्रतीक) असरैना (सेलैना) चलन रहल बा । इ टिहुवारहे बालबालिकासँग सम्बन्धित टिहुवारके रूपमे फेन लेना करल बा ।

गुरही असराइबर छोट छोट बालबालिकामे आँखी पक्ना, जुरी अइना, खटरा अइना, उल्टी हुइना जैसिन रोग चोखैना जनविश्वास रहल बा । यरकसाथे सामाजिक सद्भाव, आपसी मित्रता बह्रैनाके साथे गाउँमे हुइल दुःख, संकटलगायत अन्य विपत्ति भग्ना जनविश्वास रहल बा ।

इहे बिच गुरही टिहुवाके पूर्व सन्ध्यामे गुरही चोक सरसफार्ई, गुरही चोकमे पेन्टिङ, गुरही चोक लिख्ना सखी सञ्जाल कैलालीके कावा अध्यक्ष उन्नती चौधरी जानकारी डेले बाटी ।

फाइल फाेटु

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