थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत १४ बैशाख २६४८, शुक्कर ]
[ वि.सं १४ बैशाख २०८१, शुक्रबार ]
[ 26 Apr 2024, Friday ]
‘ टीकापुर घटनाके सात वर्ष ’

देशमे दुई थरी कानून कहे ?

पहुरा | ८ भाद्र २०७९, बुधबार
देशमे दुई थरी कानून कहे ?

मुलुकके चित्र कैसिन बनैना कहिके देशभर आन्दोलन हुइटी रहे । उ राजनीतिक आन्दोलन रहे । थरुहट/थारुवान राष्ट्रिय मोर्चा यी ठाउँके पहिचान, नाउँ थरुहट/थारुवान प्रदेश हुई परल कहिके आन्दोलन सुरु करल रहे । दुसर पक्ष अखण्ड सुदूरपश्चिम प्रदेश हुई परल कहटी रटिह । दुनु पक्ष राज्यसे आ–अपन माग सुनुवाई करे परल कहटी करल आन्दोलन खोब जमकल रहे । आन्दोलन उत्कर्षमे पुग्टी रहल बेला थरुहट/थारुवान राष्ट्रिय मोर्चाके अगुवाईमे २०७२ भदौ ७ गते टीकापुरके सरकारी कार्यालयके साइन बोर्डमे थरुहट/थारुवान प्रदेश लिख्ना कार्यक्रम तय हुइल रहे । मोर्चाके अगुवाईमे हुइल कार्यक्रममे हजारौं थारु आन्दोलनकारीके सहभागिता रहे । थारु आन्दोलनकारी आघे बह्रटी रहलबेला सुरक्षाकर्मीसे आन्दोलनमे रोक्ना क्रममे भीडन्त हुई पुगल, दोहोरो भिडन्तमे ७ प्रहरीके मृत्यु हुइल, एक बालकके मे गोली लागके मृत्यु हुइल । उ घटना दुःखद हो । भदौ ७ गते भीडन्तमे मारल सक्कु सुरक्षाकर्मीके दोष एकपक्षीय रुपमे थारु आन्दोलनकारी उप्पर थोपरे खोजगिल, जौन बहुट अन्यायपूर्ण बा । भदौ ८ गतेसे थारु जाति उप्पर हुइल दमन ओ बर्बरताके न्यायिक खोजी कैना चेष्टा कोईफे नइकरलै । यिहीसे थारुहुकनहे आत्मिक चोट लागल बा । जौन चोटके असर अब्बे टीकापुर भोग्टी बा ।

घटना भदौ ८ गतेफे हुइल, का टीकापुर घटना केवल भदौ ७ गते केल हुइल हो टे ? यिहे बाट मानवअधिकारवादी, राजनैतिक दल ओ राज्यपक्ष घटनास्थलहे अध्ययन नइकैनामे काहे चुकल टे ? विशेषतः यी घटना मानवअधिकारकर्मी, पत्रकारके काम, कर्तव्य, अधिकार ओ विश्वसनियताउप्पर भारी प्रश्नचिन्ह खडा करले बा ।

टीकापुर घटना भदौ ७ गते केल नाही भदौ ८ गते ८२ जाने थारुहुकनके घर, पसल छानछानके जरैना, लुटपाट कैनाके पाछे कौन राजनैतिक शक्तिके हात बा टे ? भदौ ८ गतेसे सुरु हुइल राज्यके नश्लवादी दमनमे अभिनसम पूर्णविराम लागल नइहो । ७ गतेके घटनापाछे सरकारी पक्षसे कफर्यु आदेश जारी करल रहे । उ कफर्यु थारुहुकनके लाग केल लगाइल रहे टे ? कफर्युमे खटल तीन सुरक्षा घेरा सेना, प्रहरी, सशस्त्र सुरक्षा प्रणालीहे ८ गतेके घटनासे का सन्देश डेहठ ? यिहीसेफे प्रष्ट हुइठ, थारुहुकन उप्पर दमन ओ विभेदके पराकाष्ठा रहे ।

आतंक सिर्जना कैना, सद्भावउप्पर खलल पुगैना, सामाजिक विद्रोह सिर्जना करुइयाहे राज्यसे कार्वाही करे परठ । मने का कार्वाहीके भागीदार केवल थारु केल बने पर्ना हो ? यी देशके कानुन केवल थारुहे केल लग्ना हो ? भदौ ८ गतेके टीकापुर घटनासे पुष्टि करठ कि थारुहे केल यी देशके कानुन, थारुसे केल सामाजिक विभेद ओ दमन सहे परठ । विश्लेषकहुक्रे दुनु दिनके घटनाहे केलाके न्यायोचित पहल करे पर्ना हो । मने ओहोर ओरके न्यायिक मार्ग न राज्यके कानुनसे डेखाइल । न त व्यवहारसे ।

टीकापुर घटनापाछे २०७४ सालके प्रतिनिधिसभा चुनावमे घटनाके आरोपित रेशम चौधरी टीकापुरवासीके जनमतके सहयोग पाके ३४ हजार ढेर मतसे विजयी हुइलै । मने उहाँ अभिनसम जेलमे परल बटै । उहाँ लगायत ७ सात जेल जीवन विटैना बाध्य बटै । टीकापुर आन्दोलन राजनीतिक आन्दोलन हो, माननीय रेशम चौधरी निर्दोश हुइट कहिके प्रधानमन्त्री शेरबहादुर देउवा, केपी शर्मा ओली, पुष्पकमल दहाल ‘प्रचण्ड’ कहटी रहना मने रिहाई नैकैना का रणनीति हो । यिहीसे आघे माओवादीसे कैना आन्दोलनमे हजारौंके ज्यान जैना करके हुइल आन्दोलनमे राजनीतिक आन्दोलन मन्ना थारु आन्दोलनकारीसे पहिचानके लाग कैना आन्दोलन राजनीतिक आन्दोलन नइहुइना, देशमे कैसिन मेरिक कानून हो ।

टबमारे सक्कु नागरिकहे सम्मान अधिकार डेना कलेसे टीकापुर घटनाहे हाली समाधान करे परल, उ घटना अभिन भुसाके आगी बन्के भिटरे भिटर जरटा । समयमे समाधान नइहुइलेसे एकदिन विस्फोट हुके निक्रे सेकठ ।

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