भदौ १२ गते अँट्वारी, सार्वजनिक विदाके लाग ज्ञापनपत्र
पहुरा समाचारदाता
धनगढी, ८ भदौ । थारू समुदायके अँट्वारी टिहुवारमे सार्वजनिक विदाके लाग सुदूरपश्चिम प्रदेशके आन्तरिक मामिला तथा कानूनमन्त्री डा. रणबहादुर रावलहे ज्ञापनपत्र बुझाइल बा ।
थारु कल्याणकारिणी सभा कैलालीसे इहे भदौ १२ गते परल अँट्वारीमे सार्वजनिक विदाके लाग ज्ञापनपत्र बुझाइल हो । थाकस कैलालीके कावा सभापति माधव थारुके नेतृत्वमे गैल टोलीले अँट्वारीमे सार्वजनिक विदा डेहे पर्ना माग सहित ज्ञापन पत्र बुझाइल हो ।
सुदूरपश्चि प्रदेश सरकारसे अँट्वारीमे हरेक बरस सार्वजनिक विदा डेटी आइल बा । इ बरस प्रदेश सरकारसे भदौ १९ गते अँट्वारीके लाग विदा डेना निर्णयबारे राजपत्रमे उल्लेख करले बा । प्रदेश सरकार मन्त्रिपरिषदके २०७८ चैत्र २२ गतेके निर्णय अनुसार भदौ १९ गते अँट्वारी टिहुवारके विदा डेना निर्णय करल रहे ।
यहोर थाकस कैलाली प्रदेश सरकारके उ निर्णयप्रति ध्यानाकार्षण जनैले बा । हरेक बरस अष्टिम्की पाछेक डुसरा अँठ्वारके अँट्वार तथा कुशेऔंसी पाछेक पहिल अँट्वारके दिन अँट्वारी मनाजाइठ्् । इ बरस भदौ १२ गते उ दिन परल ओरसे थाकस कैलाली भदौ १२ गते नै सार्वजनिक विदा माग करल हो ।
इहे बिच थाकस कैलालीके नेतृत्वमे जिल्ला भर पालिका स्तरीय सामुहिक तथा संस्थागत रुपमे अँट्वारी मनैना थाकस कार्यावाहक सभापति थारु जानकारी डेलै ।
थाकस जिल्ला कार्यसमिति दाङ फेन इहे भदौ १२ गते अँट्वारी मनैना कहटी ओ नेपाल सरकारके तहगत (संघ, प्रदेश, स्थानीय) तह निकायसे पैना अट्वारीके सार्वजनिक विदा फेन उपलब्ध कराडेना अनुरोध करले बा ।
अँट्वारी मुलतः थारु समुदायके पुरुषहुक्रे मनैना टिहुवार हो । मने, थारु समुदायके महिला फेन अँट्वारीमे व्रत बैठ्ना करठै । दुई दिनसम मनैना अट्वारीमे शनिच्चरके मध्यरातमे दर (भिन्सर्या) खाके थारू समुदायके विधिवत रूपमे शुरुआत हुइना करल बा । अट्वारी मनैनाबारे थारू समाजमे टमान मत एवं धार्मिक विश्वास रहटी आइल बा ।
द्वापर युगमे पाँच पाण्डवमध्येके मन्झला भैया भीम थारू समुदायके एक जाने छाइहे ओहकान उपर हुइटी रहल अत्याचारसे मुक्त करल स्मरणमे अँट्वारके दिनभर भीमके नाउँमे व्रत बैठ्ना ओ पूजाआजा कैना चलन रहल बा । औरे थरि मत अनुसार भीम थारू राजा दंगिशरणहे युद्धमे सहयोग करल कारण ओहकान पूजाआजा, व्रत बैठ्ना चलन रहटी आइल बा ।
भीम नेपालके सुर्खेत जिल्लामे रहल काक्रेबिहार घुमे आइल बेला शत्रुसे राजा दंगिशरण चौधरीउपर आक्रमण हुइल रहे । उ बेला रोटी पकैटी रहल भीम काम छोरके भोकभोके राजा दंगिशरणहे सहयोग करल रहिट ।
दंगिशरण शत्रुउपर विजय प्राप्त करल उहे दिनसे हरेक बरस भीमके पूजाआजा कैना चलन चलल् थारू समुदायके विश्वास रहल बा । अट्वारीमे दादाभैया दिदीबहिनीयाके रक्षाके कामना कैटी पानी समेत नैपिके दिनभर निर्जल, निराहर व्रत बैठ्ना करठै ।
अँट्वारके दिनभर व्रत बैठके दादाभैया साँझके पूजापाठ कैके फलफूल ओ अन्दीक रोटी खैना करठै । वर्त बैठल बर्तालुहुुक्रे फलफूललगायतके पकुवान खैनासे पूर्व आपन खानासे आधा भाग निकारके अलग रख्ना प्रचलन रहल बा । ओइसीक छुट्याइल परिकार विवाहित छाइचेलीहे कोसेलीके रूपमे उपहार डेना चलन रहल बा ।
अट्वारीके डुसरा दिन अर्थात सोम्मारके सकारे पतौला खरिया, खुर्मा, फुलौरी, भात, गब्दा ओ तामासहितके टिनाटान ओ सात मेरके टमान परिकार तयार कैके ब्रतालुहुक्रे नुहाइधुवाइ पूजापाठ कैना करठै । पूजापाठपाछे ब्रताल आपन खानाके परिकारसे आधा भाग दिदीबहिनीयाके लाग छुट्याइलपाछे भोजन कैना चलन रहल बा । सोम्मारके सकारेक भोजनहे थारु भाषामे ‘फ्राहार’ कहिजाइठ् ।
आघेक दिन अँट्वार ओ डुसरा दिन सोम्मारके ब्रतालु दादाभैया आपन खैनासे पहिलेक दिदीबहिनीयाके लाग कहारल फलफूल तथा खानाके परिकार विवाहित छोरीचेलीबेटीहे डेहे जैना चलन रहल बा । छाइचेलीहे बरसभरके सम्झनास्वरूप पठैना कोसेलीहे ‘अग्रासन’ कहिजाइठ् ।
विवाहित छाइचेली दादाभैयाहुक्रे आपन भागसे दिदीबहिनीयाके लाग राखल खानाके परिकारलगायतका पकवानसहितके कोसेली आइ कहिके दिदीबहिनीया दादुभैयनके अस्रा लागके बैठल रहठै । बरसभर लहेर आइ नैपाइल दिदीबहिनीयाहुक्रे इ टिहुवारके अवसरमे दादुभैयनसे भलाकुसारी कैना मौका पैठै । अट्वारी टिहुवार पश्चिम नेपालके कञ्चनपुर, कैलाली, बर्दिया, बाँके ओ दाङ जिल्लाके थारू समुदाय मनैना करल बाटै ।



