एक्के खोरमे ३१० घेटरु ४२ सुवरीया मुलै

चालिस लाखसे ढेर रुप्याके नोक्सान
पहुरा समाचारदाता
धनगढी, १६ कार्तिक । कैलालीके भजनी नगरपालिका वडा नम्बर ३ के स्थानीय जयबहादुर बुढासे पालल एक्के खोरके ३१० घेटरु ४२ सुवरीया मुवल बटै ।
यिहे गैल अँटवारके रोज बुढासे पालल अटरा ढेर सुव्वर मुवल बडीमालिका कृषि प्रवद्र्धन केन्द्र प्रालिके सञ्चालक बुढा बटैलै । अफ्रिकन स्वाईन फिभर रोगके कारण अटरा मात्रमे सुव्वरसंगे मुवलपाछे ४० लाख रुप्या ढेरके नोक्सान हुइल फर्मके संचालन बुढा बटैलै ।
जयबहादुर बुढा २०७३ सालसे पाँच सय रुप्यामे एक ठो बच्चा किनके बंगुरपालन व्यवसायमे लागल रहिट । उहाँक खोरमे घेटवा, घेटिया ओ सुवरीया (डाई) करके चार सय ८२ ठो बंगुर पालन करटी रहल रहिट । अँटवारके रोज उ परिणाममे सुव्वर मरलपाछे उहाँ स्थानीय तहके पशुपन्छी शाखामे जानकारी करैलै ।
उ शाखासेफे बंगुर मुनाके कारण पत्ता लगाई नइसेकलपाछे पशुपन्छी तथा रोग अन्वेषण शाखा धनगढीमे नमुना पठाइल । शाखासे शव परिक्षण करेबेर अफ्रिकन स्वाईन फिभर रोग पुष्टि हुइल । बडीमालिका कृषि प्रवद्र्धन केन्द्र प्रालिके सञ्चालक बुढा कहठै, ‘तीन सय ५२ डाई ओ घेटरु मुसेक्लै । अभिन ९२ ठो बंगुर मुना अवस्थामे पुगल बटै ।’ एक करोड ढेर लगानीमे व्यवसायी करल बुढाके जिविकोपार्जनके आधार बनल रहे बंगुर पालन । मने, बंगुरमे डेखल महामारीपाछे कैसिक जिविकोपार्जन कैना चिन्तामे रहल बटै । उहाँ कहलै –‘रोगके महामारी नियन्त्रण कैना कौनो खोप बनल नइहो । तीन महिनासम ते कारोबार फे करे नइमिली । कैसिक जिविकोपार्जन कैना ?’
२०७८ साल चैत १६ गते नेपालमे कागेश्वरी मनोहरा क्षेत्रके बंगुरमे पहिल चो अफ्रिकन स्वाईन फिभर रोग देखा परल रहे । यी रोग अब्बे नेपालके काठमाण्डौ, ललितपुर लगायत १० जिल्लामे फैल सेकल बा । यी रोगसे देशभर २५ हजारसे ढेर बंगुरके मृत्यु हुसेकल पशुपन्छी तथा अन्वेषण महाशाखा धनगढी जनैले बा ।
बंगुरपालन तीव्र रूपमे व्यावसायिक बन्टी रहल परिवेशमे, कौनो ठोस उपचार तथा खोपसमेत नइरहल भाइरसजन्य रोग प्रमाणित हुइलपाछे कृषक वा व्यवसायीके लाग यी भारी मुरी दुखाइ बनल बा । सुदूरपश्चिम प्रदेशमे ४४ हजार तीन सय आठसे ढेर बंगुर बार्षिक उत्पादन हुइना करल बा ।
बंगुर पालनके कारण प्रदेशहे मासुमे आत्मनिर्भर बनैना सहज हुइना हुइलपाछे अब्बे रोग देखा परेलपाछे असर परटी रहल पशुपन्छी तथा पशु अन्वेशषण धनगढीके प्रमुख नरेशप्रसाद जोशी जानकारी डेलै । उहाँ कहलै – ‘यी रोग देशभरके ४० ठो मुलुकमे देखा परसेकल बा । सबसे ढेर चीनमे बंगुरमे रोग देखा परेबेर ३० खर्ब क्षति व्यहोरल रहे । नेपालमे हालसम १४ सय बंगुर यी रोगसे मरल बटै । यिहीसे अढाई करोडके क्षति हुइल बा ।’
