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‘ लोप हुइटी थारू मौलिक लोक संस्कृति ’

थारू अगुवा चिन्तित

पहुरा | १७ माघ २०७९, मंगलवार
थारू अगुवा चिन्तित

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, १७ माघ ।
मौलिकता गुमाइट जैटी रहल थारू भाषा, लोक कला संस्कृति तथा रीतिरिवाज प्रति थारू समुदायके अगुवा चिन्तित बनल बाटै ।

मंगरके गोदावरी नगरपालिका–८, मजगाउँमे हुइल थारू जातिके इतिहास सम्बन्धी अन्तरक्रिया कार्यक्रमके सहभागीहुक्रे मौलिक टरटिहुवार, रीतिरिवाज, भाषा, धर्म, कला संस्कृति नै लोप हुइटी गैलमे चिन्ता व्यक्त करल हुइट ।

थारु कल्याण कारिणी सभा गोदावरी नगर समितिके सभापति तथा थारु इतिहास बारे जानकार रहल जनकलाल चौधरी दिनदिने मौलिकता गुमैटी गैल थारू भाषा, लोक कला संस्कृति तथा टरटिहुवार, रीतिरिवाज प्रति चिन्ता व्यक्त करलै ।

उहाँ कहलै– ‘मौलिक टरटिहुवार, रीतिरिवाज, भाषा, धर्म, संस्कृति नै हमार पहिचान हो । यदि हमार टरटिहुवार, रीतिरिवाज, भाषा, धर्म, कला संस्कृति नै मौलिकता गुमैटी जाइ अथवा लोप हुइटी जाइ कलेसे हमार पहिचान का रही ?’

उहाँ अपने जन्नासुन्ना हुइटसे थारू भाषा, धर्म, संस्कृति, टरटिहुवार, चालचलन तथा रीतिरिवाज जोगैना ओर लागल बटैलै । उहाँ आघे कहलै– ‘मै आपन घर गोतियारमे अपने धर्म संस्कृति अथवा संस्कार अनुसार भोजविहा तथा अन्य कर्म कैटी आइल बाटुँ । मै अपने धर्म संस्कृति ओ संस्कारहे विश्वास करठुँ ।’

सभापति चौधरी एकजे किल जर्गेना कैलेसे किल उ समुदायके भाषा, कला, धर्म संस्कृति संरक्षण नैहुइना कहटी उहाँ ओकरलाग सबजे लागे पर्ना औँल्याइल रहिट ।

थारू अगुवा यज्ञराज चौधरी थारू भाषा, धर्म, संस्कृति तथा टरटिहुवार पुस्तान्तरण नैहुइ सेकल कारण लोप हुइटी गैल बटैलै । उहाँ कहलै– ‘हम्रे अन्य समुदायके धर्म संस्कृतिबारे आपन लर्काबच्चन हाठ पकरके सिकैना करठी मने आपन धर्म संस्कृतिबारे मतलबे नैरख्ठी, जिहीसे औरेक धर्म संस्कृति हमार समुदायमे लड्टी गैल बा डोसर ओर हमार समुदायके भाषा, कला संस्कृति लोप हुइटी गैल बा ।’

समाजसेवी मनिराम चौधरी थारू युवा पुस्ताहुक्रे अपने धर्म संस्कृति प्रति विश्वास नैहुइनाके कारणसे फेन थारू समुदायके भाषा, लोक कला, धर्म संस्कृति हेरैना मुख्य कारण रहल बटैलै ।

उहाँ कहलै– ‘हमार युवा पुस्ताहुक्रनमे अपने धर्म संस्कृति प्रति विश्वाश नैहो, जिहीसे हमार मौलिकता लोप हुइनाके साथे संरक्षणमे चुनौती थपल हो ।’

थारू कल्याणकारिणी सभा कैलालीके कार्यवाहक सभापति माधव थारू आपन मौलिकता बचाइक लाग लोक कला, भाषा, धर्म संस्कृति बचैना ओर अग्रसर हुइ पर्ना बटैलै ।

साथे उहाँ आपन गाउँठाउँके नाउँ तथा पहिचानके लाग थारू भाषामे गाउँठाउँके नाउँ उल्लेख करे पर्नामे जोड डेहल रहिट ।

कार्यक्रममे त्रिभुवन विश्व विद्यालयके इतिहास विभागके अनुसन्धानकर्ता डा. कृष्णराज सर्वहारी थारू इतिहासबारे दस्तावेजीकरणके लाग थारू अगुवा तथा थारू वुद्धिजीवी, समाजसेवी, बरघर भलमन्सासे थारू इतिहास बारे जानकारी लेहल बटैलै ।

थारू आयोगसे थारू समुदायके ईतिहास बारे अभिलेखीकरण करे लागल हो । जेकर लाग उहाँ थारूहुक्रनके थर, मौलिक टरटिहुवार, रीतिरिवाज, चालचलन, भाषा, कला, धर्म, संस्कृति बारे अनुसन्धान करे लागल हुइट ।

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