थारु राष्ट्रिय दैनिक
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रानाथारु समुदाय चराइँ पर्व मनैलै

पहुरा | ९ चैत्र २०७९, बिहीबार
रानाथारु समुदाय चराइँ पर्व मनैलै

नरेश राना
कञ्चनपुर, ९ चैत ।
सुदूरपश्चिम प्रदेशके कैलाली ओ कञ्चनपुर जिल्लामे स्थायी बसोबास कैना रानाथारु समुदायसे बिफेक रोज चैतके चराइँ पर्व मनैले बटै । हरेक वर्ष चैत्र शुक्ल पक्षके पहिल सोम्मार ओ बिफे मध्ये जौन बार पहिले परठ उहे बार चराइँ पर्व मनैना करल संस्कृतिके जानकार बेलौरीके जानमति राना बटैलै । उहाँके अनुसार, चराइँके दिन रानाथारु समुदायके महिलाहुक्रे निराहार व्रत बैठके गाउँके भुइँया मन्दिरमे अथवा बागबगियामे जम्मा हुइना ओ गुरुवासे दुपहरसे साँझसम सात भगवतीके पूजापाठ ओ हवन कैना चलन रहल बा ।

समाजमे रोग व्याधि, महामारी लगायत प्रभाव न्यूनीकरणके लाग सात भगवतीके पूजा अर्चना कैना ओ पूजाके प्रसाद लेहलपाछे महिलाहुक्रे पिकनिक जस्टे करके मिठामिठा खानाके परिकार खैना ओ नाचगान करके रमाइलो कैना सामाजिक मान्यता रहल लालझाडी–३, नन्दगाउँ बैठना बन्धु राना बटैठै ।

पहिले हम्रे होरी धारी, एक महिनापाछे जराई, ८ दिनपाछे खखडेहरा मनाके चैतमे चराइ खेली, उहाँ कहलै ।
टमान मौलिक सांस्कृतिक कार्यक्रम करके चराइँ पर्व मनैना करजाइठ । यिहे बिचमे रानाथारु समुदायसे भगीरथ लीला समेत गइना करल लालझाडी–३, नन्दगाउँके मुन्नी रानाके कहाई बा ।

लालझाडीके अमर राना चराई पर्व अपने मौलिक कला, संस्कृति ओ परम्परासे मनैटी आइल बटैलै । चराईमे हम्र टमान मौलिक खानाके परिकार बनैठी,’ उहाँ कहलै, ‘महिलाहुक्रे यी दिन होरीके गीत समेत गैना ओ होरीके औपचारिक बिदाइ कैना प्रचलन रहल बा ।

पूजापाठ ओ नाचगान करके घर लौटनासे पहिले पधना वा भलमन्साके हातसे पानीके छिटा छिटना प्रचलन रहल बा । चराइँ तीन मेरिक रहठ । चैतके चराइँ, वैशाखके चराइँ ओ जेठमे पर्ना भजनी चराइँ रहठ ।

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