रानाथारु संंग्राहलय निर्माण कार्यहे पूर्णता डेना माग

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, २५ बैशाख । सुदूरपश्चिमके कैलाली ओ कञ्चनपुरमे बसोबास करुइया रानाथारु समुदायसे रानाथारु संंग्राहलयके निर्माण कार्यहे पूर्णता डेना माग करले बटै ।
नेपाल रानाथारु समाजके अगुवाईमे सोम्मारके रोज धनगढी उपमहानगरपालिकाके नगर प्रमुख गोपाल हमालहे ज्ञापनपत्र बुझैटी वडा नम्बर–१३ राजपुरस्थितमे निर्माणधिन अवस्थामे रहल संग्रहालयके कामहे पूर्णता डेना माग कैगिल हो । रानाथारु संग्रहालयसे ओगटल जग्गाहे यी संस्थाके स्वामित्वमे कैके नाप नक्सा करडेना माग धारगिल नेपाल रानाथारु समाजके केन्द्रीय अध्यक्ष कृृपाराम राना बटैलै ।
ज्ञापनपत्र मार्फत रानाथारुके परम्परागत भलमन्सा पधना प्रथाहे परिमार्जित, मर्यादित ओ सुदृढ बनैेना सेवा सुविधा, न्यायिक हक अधिकारसहितके भलमन्सा कार्यविधिके निर्माण, लागु ओ कार्यान्वयन करे पर्ना माग धारगिल बा ।
ओस्टेक करके धनगढी उप–महानगरपालिका भारतके सिमासंग जोरल ओ हाल लागु औषधके बिगबिगीसे खास करके रानाथारु समुदायके युवा ढेर प्रभावित, कुलतमे फस्टी रहल पाइल ओरसे रानाथारु समाज सहित युवा सन्ततीके भविष्यहे मध्यनजर करके विषेश पहलके लाग अनुरोध कैगिल बा ।
संविधान सभा सदस्य तथा पूर्व प्रदेशसभा सदस्य मालामति राना राजपुरमे रहल संग्राहलयहे प्रदर्शनी स्थलसंगे रानाथारु समुदायके समग्र विषयवस्तुके खोज, अन्वेषण, अध्ययन अनुसन्धान केन्द्रमे रुपमे स्थापना कैना माग करल रहिट ।
रानाथारु समुदाय सुदूरपश्चिमके कैलाली, कञ्चनपुरमे बसोबास कैना प्रमुख आदिवासी जनजाति भूमीपुत्र हुइट,’ उहाँ कहली, ‘यी समुदायके मौलिक कला, संस्कृती, भाषा, साहित्य, भेषभुषा, रहनसहनसहितके अलगे पहिचान बा ।’
कला, साहित्य, संस्कृतीके धनी रानाथारु समुदायके परम्परागत कला, सीप, पहिरन, सामग्री प्राचीन औजार, हातहतियार, बाजागाजा, दुर्लभ चित्र, मुर्ती लगायतके विविध पौराणिक चिज हैरैटी गैल उहाँ बटैली ।
उहाँ कहली, ‘रानाथारुके पहिचान मेटटी जैना खतरा बा । रानाथारु समुदायके सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक विकासके अवस्था एकदम कमजोर बा ।’
रानाथारु समुदायके मुल जातिय संस्था नेपाल रानाथारु समाज बि.स. २०५७ सालमे एक ठो पवित्र उद्देश्यके साथ विधिवत रुपमे स्थापना हुके रानाथारु समुदायके संस्कृतिहे परिस्कृत रुपमे आघे बढैटी आइल समाजके केन्द्रीय अध्यक्ष कृपाराम राना बटैलै ।
समाजके कुरुती हटैटी शैक्षिक, सामाजिक सुधारके अभियान संचालन करटी रानाथारु भाषा, संस्कृति, कला, साहित्यके संरक्षण, प्रवर्धन ओ विकासमे रानाथारु समाजके हकअधिकार, माग मुद्धा स्थापित कैना अग्रणी प्रतिनिधी संस्था नेपाल रानाथारु समाज रहल उहाँ बटैलै ।
रानाथारुके लोप हुइटी आइल कला, भेषभूषा, संस्कृति, भाषा, इतिहास, साहित्यके संरक्षण ओ विकास करेक लाग सांस्कृतिक संग्रहालयके निर्माणके माग ओ पहल करटी आघे बह्रल अध्यक्ष बटैलै ।
ओस्टेक ज्ञापनपत्रमे रानाथारु संग्रहालय स्थापना हुइलेसे रानाथारुके कला संस्कृतीके संरक्षण, सम्बद्र्र्धन, विकास हुइना, रानाथारु भाषा, कला, साहित्य, संस्कृति, इतिहास, पौराणिक बस्तुके अध्ययन, अनुसन्धान, शोध, प्रोत्साहन, प्रशिक्षण, प्रकाशन, संकलन, अवलोकन, प्रदर्शनी स्थल बने सेक्ना विश्वास लेहल केन्द्रीय उपाध्यक्ष कमल सिंह राना बटैलै ।
गोष्ठी, सम्मेलनके आयोजना मार्फत युवा पिढीहे देशके सांस्कृतिक विरासतके सम्बृद्धिमे सम्मिलित करेसेक्ना सांस्कृतिक सम्पदाके विषयमे टमान संस्था, विश्वविद्यालय, प्रतिष्ठान, आयोग, सङग्रहालय (राष्ट्रिय, अन्तर्राष्ट्रिय) अभिलेखालयसंग परस्पर सम्बन्ध धाके ज्ञान, सहयोगके आदान प्रदान करे सेक्ना उहाँ जनैलै ।
रानाथारुके शैक्षिक, विशेषज्ञताके दिशा निर्देशमे नेतृत्वदायी भुमिका, पौराणिक खेलहे जिवन्त रख्ना कृयाकलापके आयोजना, संग्रहालयहे पर्यटनसहित आर्थिक उपार्जनसंग जोरे सेक्ना, रानाथारुके जैविक बिबिधताके ज्ञानके अध्ययन, संरक्षण ओ विकास, स्थानीय परम्परागत सीप, प्रविधीके अध्ययन, संरक्षण विकास, रानाथारुके इतिहास सहित भुगोल ओ जनसंख्याके अध्ययन करे सेक्ना उपाध्यक्ष राना बटैलै ।
रानाथारु संग्रहालयसे रानाथारुके ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, कलात्मक पुरातात्विक अवशेषके महत्वहे जिवन्त रख्न, इतिहास, भाषा, कला, संस्कृतिके उत्कृष्टता ओ उपलब्धीके महत्वके ज्ञानके प्रचार प्रसार हुई सेक्ना कहल बा ।
यिहीसे राष्ट्रिय पहिचानमे भुमिका खेल्न, रानाथारुके मानवीय ओ पर्यावरणीय विरासतके संरक्षणके लाग संग्राह, शोध, प्रचार प्रसार, प्रदर्शनी जेकर प्रयोग शिक्षा, अध्ययन ओ मनोरंजन, दुर्लभ इतिहासके जानकारी, ज्ञान प्राप्त करके भावी जीवनशैलीके पथ प्रदर्शकके रुपमे भुमिका खेल्नसहित यी संग्रहालयसे रानाथारुके विस्तृत ओ दिगो विकासके योजनके साथ आघे बह्रना विश्वास लेहल बा ।
