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जथाभावी एन्टिबायोटिकके प्रयोगसे महामारीकके जोखिम

पहुरा | ४ असार २०८०, सोमबार
जथाभावी एन्टिबायोटिकके प्रयोगसे महामारीकके जोखिम

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, ४ असार ।
कृषि, पशु ओ मनैनमे हुुइटी रहल जथाभावी एन्टिबायोटिक औषधिके प्रयोगसे नेपाल महामारीके जोखिमओर लम्कटी रहल एक कार्यक्रममे सहभागी बटैले बटै ।

नेपाल सरकार स्वास्थ्य तथा जनसंख्या मन्त्रालयके आयोजना तथा युएसएआइडी मेडिसिन टेक्नोलोजिष्ट तथा फर्मास्विटिकल्स सर्भिस कार्यक्रमके सहयोगमे धनगढीमे अँटवारके हुइल कार्यक्रममे सहभागीहुक्रे विश्वव्यापी रुपमे बह्रटी गैल एन्टिमाइक्रोबिएल रेसिस्टेन्सके असर नेपालममेफे डेखल बटैलै ।

सुदुरपश्चिम प्रदेश स्वास्थ्य निर्देशनालयके निर्देशक डा. जगदीश जोशी नेपाल एन्टिबायोटिक रेसिस्टेन्सके चपेटामे परल बटैलै । उहाँ यिहीहे न्यूनिकरण कैना सक्कु क्षेत्र एक हुके लागु पर्ना बटैलै । एक स्वास्थ्य नीति अवलम्बन करके आघे बह्रना जरुरी रहल उहाँक तर्क बा । जटरा ममनैनमे समस्या बा ओटरे समस्या कृषि ओ पशुमेफे हुइल निर्देशक डा. जोशीके कहाई बा ।

आबके युग एन्टिबायोटिक रेसिस्टेन्स अर्थात एन्टिबायोटिकसे काम नइकैना हुइल बा उहाँ कहलै । एक स्वास्थ्य अवधारणा अनुसार तीन क्षेत्रके सहकार्यमे केल एन्टिबायोटिक रेसिस्टेन्सके न्युनिकरण कैना सम्भव हुइना डा जोशीके कहाई बा ।

युएसएआइडी एमट्याप्स परियोजनाके सिसियर टेक्निकल एड्भाइजर तथा भाइरोलोजिष्ट डा सन्तोष दुलालसे सन् २०१९ के एक अध्ययन अनुसार विश्वमे अनुमानित १२ लाख ७० हजार मनैनके मृत्युमे एएमआर जिम्मेवार रहल बटैलै । उहाँ कहलै, एच.आइ.भी/एड्स ओ मलेरियासेफे ढेर एएमआर ओ ओकरसंग सम्बन्धित रोगके कारण मनैेनके मृत्यु हुइटी रहल स्पष्ट परलै ।

एन्टिबायोटिक औषधिसे काम नइकरल कारण सन् २०३० सम थप २ करोड ४० लाख मनै चरम गरिबीमे पुग्ही । विश्व अर्थतन्त्रमे ०० खरब अमेरिकी डलरके भार परी, उहाँ कहलै । एन्टिबायोटिक औषधिके जथाभावी प्रयोग, मनलाग्दी रुपमे हुइल खरिद, कृषि, पशु लगायत टमान क्षेत्रमे अनावश्यक प्रयोग हुके एन्टिबायोटिकसे काम करे छोरल हो । काम करल औषधिकफे बहुट महंगा ओ गरिब जनताके पहुँचमे नइरहल सहभागी बटैले बटै ।

विश्वके प्रमुख १० विश्वव्यापी जनस्वास्थ्य खतरा मन्से एक एन्टिबायोटिक हो । विश्व स्वास्थ्य संगठनसेफे यी विषय उल्लेख करले बा । हाल विश्वके गरिब देशमे एन्टिबायोटिकसे काम कैना क्षमतामे ह्रास अइटी रहल पाइल बा । अधिकारी कहठै विस्तारे एन्टिबायोटिक औषधिके काम कैना क्षमता शून्यमे पुग्टी गैल ओ उ समयमे देश भारी क्षति ब्यहोरे पर्र्ना अवस्था आइल बा । एन्टिबायोटिकके विकास हुइल ढेर हुसेकल बा । सन् १९८७ मे ‘लिनेजोलिड’ एन्टिबायोटिक अन्तिम चो बनल रहे । ३५ वर्ष यहोर कौनो नयाँ एन्टिबायोटिक बनल नइहो ।

यी सन् २०५० सम वार्षिक ३.८ प्रतिशत कुल ग्राहस्थ उत्पादनमे असर कैना डेखल बा । नेपालमे नेशनल एक्सन प्लान – एएमआर २०२१ – २०२६ लागू हुई नइसेक्केबेर समस्या डेखल बा । स्वास्थ्य तथा जनसंख्या मन्त्रालयसे न्याप एएमआर स्वीकृतके लाग मन्त्रिपषरिषद पठाइल बा ।

एएमआर रोक्न नीति निमार्णमे का कैना

डा दुलालके अनुसार एएमआर नियन्त्रणमे एकताबद्ध हुके लग्ना कुछ नीति निमार्ण करे पर्ना आवश्यकता डेखल बा । उहाँक अनुसार नेशनल एक्सन प्लान–एएमआर २०२१–२०२६ लागु कैना, एएमआर संक्रमणके निगरानी व्यवस्थामे सुधार कैना, नीति, कार्यक्रमके सुधार करके संक्रमण रोकथाम ओ नियन्त्रण कार्यन्वयनहे बल्गर बनैना, औषधिके उत्पादन, उचित प्रयोग ओ विसर्जनहे नियमन कैना ओ शुद्ध खानेपानी, स्वच्छ सरसफाइमे पहुँच बढैना आवश्यक नीति तर्जुमा करे पर्ना डा. सन्तोष दुला बटैलै । उहाँक अनुसार विश्वभर खपत हुइना मध्ये एक तिहाई एन्टिबायोटिक पशुमे प्रयोग हुइना करल बा । आउर गैया भैसीनियाके दुधमे यकर व्यापक असर डेखल उहाँ बटैलै ।

युएसएआइडी एमट्याप्सके एएमआर क्लिनीकल कन्सल्टेन्ट डा. विवेका श्रेष्ठ शरीरके बनावट भिन्न रहल कारण पुरूष ओ महिलामे mरक फरक तवरसे एन्टिबायोटिक औषधिसे काम कैना बटैली । उहाँक अनुसार एन्टिबायोटिक गर्भावस्थामे सबसे ढेर डेना औषधि हो । डा. श्रेष्ठ पेटभिटरके बच्चाहे जोखिम हुइना हुइल ओरसे गर्भावस्थामे एन्टिबायोटिकके प्रयोग अन्यके तुलनामे सीमित हुइना स्पष्ट परली । विकासोन्मुख देशमे गर्भवती डाईक अप्रेशन कैना आघे ओ पाछे एन्टिबायोटिक प्रयोग कैना ओरसे एएमआरके जोखिम ढेर हुइना उहाँक दाबी बा ।

डा श्रेष्ठके अनुसार विश्वव्यापी रुपमे ७० प्रतिशत महिला स्वास्थ्यकर्मी अग्रपङ्तिमे काम करठै जिहीसे ओइनमे एएमआरके जोखिम ढेर रहठ । अधिकारीसे बटाइल अनुसार जहाँ लैगिंक हिंसा बा उहाँ यौन रोग ओ एएमआर सङ्क्रमणके जोखिम उच्च रहठ ।

पुरुषमे एएमआरके जोखिमफे ओस्टे डेखल बा । डा श्रेष्ठके अनुसार पुरुष चिकित्सकके सल्लाह बिना अपनही औषधी किनके खैना करठै । टमान अध्ययन अनुसार ओइने औषधीके पुरा डोज नइखैठै । कतिपय अवस्थामे पुरुष गम्भीर बिरामी नइहुके सामन्य स्वास्थ्य सेवा लेना जरुरी समेत नइठन्ठै । यहोर मद्यपान ओ धूम्रपानसे पुरूषमे एएमआरके जोखिम बढैनना डा श्रेष्ठ बटैठै ।

युएसएआइडी एमट्याप्सके एएमआर मिडिया कन्सल्टेन्ट पत्रकार अर्जुन अधिकारी एएमआरमे खोज पत्रकारीता कैना आवश्यक रहहल बटैलै । एन्टिबायोटिकसे काम नइकरके मृत्युके शैय्यामे पुगलसे औषधिसे काम कैना क्षमतामे गिरावट आइल ढेर घटना हुइलेसेफे ओकर समाचार मिडियासे उल्लखे नइकरल कहटी शक्तिशाली ब्याक्टेरियाके विरुद्धमे एक हुके कलम चलैना आवश्यक रहल बटैलै । उहाँ कुछ बिरामीके एन्टिबायोटिक रेसिस्टेन्स हुके सघन उपचार कक्षमे भर्ना हुइल प्रतिनिधि मुलक पात्रके चर्चा करल रहिट ।

बजारमे प्रसस्ती घटना हुइलेसेफे समाचार नइबनलमे दुखी हुइटी कम्तिमे १५ दिनमे एक दिन एएमआरहे समय लेना अनुरोध करलै । कार्यक्रममे स्वास्थ्य तथा जनसंख्या मन्त्रालसे प्रतिनिधिके रुपमे जनस्वास्थ्य अधिकृत सुस्मिता न्यौपाने सहित ५७ जाने पत्रकारके सहभागीता रहल रहे ।

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