देशके किसानके अवस्था, उत्पादन ओ बिचौलिया सरकार

नेपाल कृषिजन्य उत्पादनमे आधारित एक कृषिप्रधान मुलुक हो । नेपालके आम–जनताके जीवन निर्वाहके मूल आधारस्रोत कृषिमे आत्मनिर्भर रहल बा । कृषि क्षेत्रहे नेपाली अर्थतन्त्रके मेरुदण्डके रुपमे लेजाइठ । टबमारे कृषिजन्य उद्योगके विकासविना देशके विकास कदापि सम्भव नइहुइ । नेपालके रोजगार, राष्ट्रिय आयके स्रोत तथा मुलुकके निकासी हुइना वस्तुसमेत कृषि रहल स्थितिमे कृषिजन्य क्षेत्रके सन्तुलित विकास विना देशके विकास ढेर असम्भव बा । नेपालमे कृषि क्रान्तिके सम्भावना प्रचुर बटै्, मने दिगो ओ स्पष्ट कृषिनीति तथा कमजोर सरकार एवं कार्यान्वयनके अभावमे कृषि क्षेत्र आघे बह्रे नइसेकल हो । टबमारे यकर लाग कृषि प्रणालीमे पुनः सरचना अपरिहार्य बा । नेपालमे दरो कृषिनीतिके अभावमेफे कृषि उत्पादनमे प्रतिकुल ह्रास आइल बा । देशके मुख्य उत्पादन अन्नबाली ओ धानखेती हो, मने विगत कुछ वर्षसे यकर उत्पादनमे प्रतिवर्ष नकारात्मक असर परटी आइल बा । ओस्टे देशके दुसर महत्वपूर्ण कृषिजन्य उपज विविध प्रकारके समस्त तरकारी बालीके उत्पादन हो, जौन आज दलाली ओ बिचौलियासे आक्रान्त बा, मने सरकार भर केवल रमिते बनल बा । यिहीसे आम उपभोक्तासमेत ठगल बटै । मुलुकमे देश ओ जनताके अहित कैना सरकार हुइलपाछे ओकर नियत, नियति ओ चरित्र सदा ओस्टे अधोगतिओर उन्मुख रही, जौन अब्बे हुइटी रहल बा । खाऔं अपन बारीके नखाऔं सीमापारिके अब्बे यी मौलिक नारा प्रत्येक स्वाभिमानी नेपालीके मन मन्दिरमे गुन्जटी रहल बा । यि नेपाल ओ नेपाली किसानवर्गके स्वाभिमानके अन्तरमनके पुकारहे सहजै छुले बा । । यी ओ यैसिन आवाज निर्वाधरुपमे अन्तरात्मासे प्रस्फुटित हुइना सिर्जना हुइट, जौन राष्ट्र, समाज ओ प्रत्येक नागरिकहे परजीवी हुइनासे रोके सेक्ना बलगर औजार हुइट, जेकरप्रति नेपाली किसान ओ उपभोक्ता वर्गसे सदा गर्व करे सेके परठ ।
म्याग्दी जिल्लास्थित मालिका गाउँपालिकासे अइना आर्थिक वर्ष २०८०÷०८१ के लाग बजेट सन्दर्भमे गत असार ६ गते १३ औं गाउँसभासे पारित हुइल नीति तथा कार्यक्रममे फलफूल, तरकारी तथा अन्नबालीके पकेट क्षेत्र पहिचान करके सघन कृषि क्षेत्र निर्धारण करके व्यावसायिक कृषिजन्य कार्यक्रम सञ्चालन एवं कार्यान्वयन करेक लाग उ गाउँपालिकाके अध्यक्ष वेगप्रसाद गर्बुजासे उप्परके नारा सार्वजनिक करल हुइट । अस्टे सोच ओ चिन्तन सक्कु पालिकाके अध्यक्षमे आइसेक्लेसे नेपालीमेफे आत्मबल अवश्य बह्री ।
कृषि उपजके आयात प्रतिस्थापन कैना ओ स्थानीय उत्पादनके बजारीकरणमे टेवा पुगैना कार्यक्रमहे गाउँपालिकासे प्राथमिकतामे राखले बा । सक्कु प्रकारके कृषिजन्य खेतीहे प्राथमिकतामे धारके कृषि क्षेत्रहे व्यावसायिक बनैटी रोजगारी सिर्जना ओ पालिकावासीहे आत्मनिर्भर बनैना उप्परके नाराके सफलता अपरिहार्य बा । विशेष करके तरकारी ओ फलफूल खेतीहे प्राथमिकतामे धारके देशभर रहल सक्कु स्थानीय तहके यी निकायसे ‘खाऔं अपन बारीके, नखाऔं सीमापारिके’ कना शाश्वत उद्गारहे चिन्तन–मनन कैना हो कलेसे देश कृषिजन्य उत्पादनमे आत्मनिर्भर हुइना दुरके विषय नइरही । हमार सक्कु जनप्रतिनिधिहुक्रे काठमाडौंके मेयर बालेन्द्र साह ओ धरानके मेयर हर्क साङ्म्पाङजस्टे कर्मशील, अठोट, इमानदार ओ दरो आत्मविश्वासके साथ कार्य कैना हो कलेसे देशके विकास दुरके विषय हुइबे नइकरी । देशमे दिनप्रतिदिन घटटी गैल युवा जनशक्तिके अभावमे बाँझ जमिन सदुपयोगके लाग तालिम, औजार, उपकरण व्यवस्थापन, कृषिजन्य उत्पादन ओ प्रविधि हस्तान्तरणसँगसँगे रैथाने उत्पादनहे ढेर प्राथमिकता डेनाफे ओटरे महत्वपूर्ण बा ।
देशके कृषक मनै बचाइक लाग सञ्जीवनी बुटी हुइट, जीवन चलैना संवाहक हुइट मने नेपालके किसान सदा अपहेलित हुके बाँचे परल बा । अन्नदाता किसानके पिरमर्का बुझ्न एक ठोफे गतिलो सरकार अभिनसम देशमे देखा नइपरल हुइट । यी क्षेत्रके तरकारी ओ कृषिजन्य उत्पादनके बाट करेबेर देशके किसानसेफे चितवनके किसानके जस्टे नियति भोगे परल बा । गैल वर्ष केल भक्तपुरमे नेपाली बन्दासे उचित मूल्य नइपाइल कहटी किसानसे तरकारी सडकमे प्रदर्शन करके अपन दुखेसो पोखल रहिट । अस्टे कृषिजन्य उत्पादनके राजधानी मन्ना बनेपा, पनौती, धुलिखेल, पाँचखाललगायत सिङगो काभ्रे जिल्ला क्षेत्रके बहुमत किसानसे बारबार तरकारी ओ दुग्धजन्य पदार्थ सडकमे फेकल बाट कौनो नौलो नइहो, गैल जेठके अन्तिम साता पाँचखालके किसानसे सडकमे गोलभेँडाके अस्टे प्रदर्शन करल रहिट । ओस्टे बाँके, बर्दिया, कैलाली ओ कञ्चनपुरके किसानके हालतफे ओस्टे बा । राजधानीसे लग्गेक जिल्ला नुवाकोट ओ धादिङके अवस्थाफे ओस्टे बा ।
हरेक वर्षजस्टे अपने उत्पादन करल वस्तुके उचित मूल्य नइपाके सडकमे तरकारी फेक्ना बाध्य हुकेफे किसानमारा सरकार कबु गम्भीर नइबनठ । अपने उत्पादन करल वस्तु बिक्रीके लाग बजारके मजा प्रबन्ध नइहुके किसानमे भारी पीडा बा । यिहे क्रममे पछिल्का बार २०७९ माघमे नारायणगढके पुल्चोक बजारमे ‘दलाली सरकार मुर्दावाद, किसानमारा सरकार मुर्दावाद’ के नारा बुलन्द करटी किसान अपने उत्पादन करल उत्कृष्ट तरकारी व्यापक मात्रामे सडकमे फेक्के ओकर उप्पर डोजर चलाईबेर उ दृश्य हेर्ना कौन नेपाली मनसे देशके किसानप्रति दर्दनात्मक पीडाबोध नइकरल हुइही टे ? उ दुःखद घटनाप्रति ओइनके मर्मस्पर्शी भाव अपनही बोल्ठ –
बारीमे जाऊँ भविष्य नइहो,
खाडीमे जाँऊँ उमेर नइहो ।
नेपाली किसान मारे नमिली,
भारतीय तरकारी नइचाही ।
भारतीय तरकारी बजारमे,
नेपालीके तरकारी सडकमे ।
किसान अपने उत्पादन करल यावत् कृषिजन्य वस्तुके बजार व्यवस्थापन सरकारसे करे नइसेक्केृ देशमे यैसिन घटना प्रसस्ते घटल बा, मने सरकार भर कमिसनके आडमे दलालीहुकनहे महत्व डेके भारतीय तरकारी नेपाली बजारमे आयात करके मजाक करटी रहल बा । ‘नेपाली गोलभेँडा सडकमे, भारतीय गोलभेँडा स्टलमे’ कहटी गत असार ३ गते रामकोट, थानकोट, भक्तपुर ओ काभ्रे जिल्लालगायतके किसानसे कालीमाटीस्थित तरकारी बजारमे गोलभेँडा फेक्के प्रदर्शन करल रहिट । नेपाली किसानसे प्रतिकेजी रु. २ फे नइपैना मने दलाली ओ बिचौलियासे प्रतिकेजी रु. ५० सममे बिक्री करके किसान ओ उपभोक्ता दुनुहुे मर्ना काम बिचौलिया सरकार अपनही करटी रहल बा । कालीमाटीमे गोलभेँडा होल्डमे धारके मूल्य बढैना बिचौलियाके नियत सदा आपराधिक रुपमे मौलाइल बा ।
बिचौलियासे अपनहे २० गुना नाफा हुइना करके किसानसंंग तरकारी खरिद कैना परिपाटीहे सरकारसे नियन्त्रण करे नइसेकल अवस्था देशभिटर बा कलेसे आ.व. २०७९÷०८० के पहिल १० महिनामे रु. ५५ करोडके गोलभेँडा भारतसे आयात हुइल बा । नेपालमे २२ हजार ६ सय हेक्टरमे खेती हुइना गोलभेँडा औसतमे ४ लाख ३२ हजार ६ सय मे.ट. उत्पादन हुइठ ।
देशके धानबाली उत्पादनमे सुधार नइुइनाके पाछे ढेर कारण विद्यमान बटै । सरकारी नीति स्पष्ट ओ कार्यान्वयन नइहुइना, मौसममे हुइना गडबडी ओ कमजोर मनसुनके कारण समयमे रोपाइँ हुई नइसेक्ना, पशुपालनमे कमी, कृषिमे जनशक्तिके अभावसे प्रतिवर्ष खेत बाँझ रहन क्रम बह्रटी जैना, रोजगारके खोजीमे युवा जनशक्ति विदेश पलायन हुइना तथा समयमे रासायनिक मलके सहज ढुवानी हुई नइसेक्ना लगायतके कारण हुइट । यकर अतिरिक्त किसानहे डेना सरकारी अनुदानके बजेटसमेत कृषकसे प्राप्त करे नइसेक्के सम्बन्धित सरकारी पदाधिकारी, दलाली ओ बिचौलिया बीचके चलखेलमे कागजी योजना बनाके अपनही खैना प्रवृत्तिके विकास हुइल बा । उ उखु किसानहे डेना अनुदानफे यसिक लुट्न करल बा, अनि कैसिक बह्रे सेकी देशके उत्पादन ओ कृषकके मनोबल ? टिसरा स्थानमे फरना गोहुँ बालीके उत्पादनमेफे ह्रास आइल बा, मने नेपाले गोहुँक खपत खाद्यान्नमे न्यून बा । औसत नेपालीमे दुनु छाक भाटे के खैना प्रवृत्ति ढेर बा यकर कारण मुलुकके जनसंख्याहे थप चामल आयात करे परल बा । ओम्नेफे नेपालीहुकनमे मीठा मसिना चामलप्रति झन मोह बह्रल बा । यी वर्ष नेपालसे रु. एक खर्ब ६० अर्ब हाराहारीमे धान चामलसहित कृषिजन्यवस्तु आयात करले बा । तराईके किसानहुक्रे धानके न्यूनतम समर्थन मूल्य पाई नइसेक्के सिमानासे भारतमे धान निर्यात हुइना करल बा । सरकारसे अपन देशके किसानसंग समयमे उचित मूल्यमे धान खरिद करके भारत जैनासे रोक्न सेकल केल नेपाल खाद्यान्नमे आत्मनिर्भर बन्न एक ठो दरगर आधार बने सेकठ । तराई क्षेत्रसे सस्ता मूल्यमे धान भारत निकासी हुइना अनि महँगा मूल्यमेृ उहे चामल नेपालीसे आयात करे पर्ना विडम्बना आज मुलुकभिटर बा । आजके अनुपातमे देशके जनसंख्या वृद्धि हुइटी गैलेसेफे खेतीयोग्य जमिनमे घडेरी वितरण कैना रोक्न तथा सिंचाई प्रणालीके अधिकतम प्रयोग करके जमिन बाँझ नइरख्न नीति सरकारसे लेना हो कलेसे नेपालहे कबुफे खाद्यान्नके अभाव नइहुई । पूर्वमे झापा, मोरङ, सुनसरी एवं पश्चिममे रुपन्देही, बाँके, बर्दिया, कैलालीमे जस्टे सिंचाइ सुविधा, मधेस प्रदेशके आठ जिल्लमे उपलब्ध हुइना हो कलेसे देशहे आत्मनिर्भर हुइना आवश्यक पर्ना झन्डे १८ लाख मे.टन धान यिहे प्रदेशसे केल उत्पादन हुई सेकी ।
आर्थिक वर्ष २०३७/०३८ सम नेपालमे धान चामल निर्यात कैना ७–८ ठो कम्पनी सक्रिय रहल रहिट,मने आज धान चामल आयात कैना मुलुकके रुपमे देश चिन्हल बा । कौनो राजनीतिक नेतृत्व वर्गके भूमिकामे देशके शासन सत्ता सञ्चालन ठीक नइहुके देश ओ जनतासे सदा अस्टे अवस्था भोग्टी रहनहे किमार्थ सुखद सन्देश नइमानजाई । देशके कृषि विकास ओ कृषिजन्य उत्पादनके क्षेत्रमे विगत नम्मा दशकसे क्रियाशील ओ समर्पित जिल्ला कृषि विकास कार्यालयो भूमिका ओ योगदान आजसे कैयौँ गुना गुणात्मक रहे, मने सङ्घीय सरकारके अवधारणा विकास हुइलपाछे हरेक जिल्लामे रहल जिल्लास्तरीय कार्यालयहे हटैना, खारेज कैना, एक–दुसरसंग गाँभ्न ओ हस्तान्तरण कैना क्रममे जिल्ला कृषि विकास कार्यालय विघटन करके यकर क्षेत्रहे सीमित धारगिल । आज ओकर ठाउँमे कृषि ज्ञान केन्द्र नामकरण करल बा । विगतमे जिल्ला कृषि विकास कार्यालयके क्षेत्र जटरा व्यापक ओ विस्तारित रहे, ममने आजके ज्ञान केन्द्र साधुरल ओ उपेक्षित अवस्थामे बा ।
विगत अर्थात् पञ्चायतकाल ओ ओकरपाछे फे जेटी, जेटीए गाउँ–गाउँमे जाके किसानसमक्ष पुुगके प्रभावकारीरुपमे सेवा प्रवाह करिट । एक मेरके कना हो कलेसे किसान ओ कृषि प्राविधिकहुकनबीचके आत्मीय सम्बन्ध निकट रहे । तत्काल भारी जनशक्तिके रुपमे जिल्ला कृषि विकास कार्यालयमे रहल राष्ट्रसेवक कर्मचारी बहुसं्रख्यामे कृषिमे स्नातक ओ स्नातकोत्तर विज्ञ रहिट, मने आज कृषि क्षेत्रमे उ क्षमतावान् जनशक्ति बह्रैटी जाई पर्नामे कृषिमे उच्च शैक्षिक उपाधि प्राप्त करुइयाके मनोबल गिरल बा । देशके एक ठो केल कृषि विश्वविद्यालय रामपुरसे उच्च शैक्षिक उपाधि प्राप्त करुइया बेरोजगार हुइनाके साथे प्रतिभा पलायनके सूचीमे परल बटै । टबमारे प्रत्येक जिल्लाके कृषि विकासके लागफे जिल्ला कृषि विकास कार्यालयहे यथावत् रख्न सेके परल, जिहीसे जिल्लाके कृषि उत्पादन ओ कृषिजन्य गतिविधिमे गुणात्मक प्रभाव पर्ना सेके परल । जिल्लाभरके किसानहे आजके कृषि ज्ञान केन्द्र ओ जिल्ला कृषि विकास कार्यालयसे डेना सेवाबीचके सम्बन्ध भर आकाश–जमिनके अन्तर बा ।
मुलुकमे खाद्यान्न उत्पादन, उत्पादकत्व ओ तरकारी खेतीमे वृद्धिके लाग सिंचाइके महत्वपूर्ण भूमिका रहठ । नेपालके १५ औं पञ्चवर्षीय योजनाअन्तर्गत आ.व. २०७८÷०७९ सममे कुल २६ लाख ४१ हजार हेक्टर कृषियोग्य जमिनमध्ये १५ लाख ३५ हजार हेक्टरमे सिंचाइ सुविधा पुगैना लक्ष्य राखल रहे, मने उ ओटरा सहज नइहुइल । कृषि तथा पशुपक्षी मन्त्रालयके अनुसार मुलुकभर झन्डे ३९ लाख हेक्टर खेतीयोग्य जमिन बा, मने १५ लाख ३१ हजार हेक्टरमे सिंचाइ सुविधा पुगल दाबा बा उ फे स्पष्ट नइहो । आ.व. २०७९÷०८० मे थप २२ सय हेक्टरमे सिंचाइ सुविधा विस्तार हुइल अर्थ मन्त्रालयसे उल्लेख करले बा । कृषिविज्ञ कृष्णप्रसाद पौडेल कहठै– सरकारसे कृषिमे ध्यान डेहे नइसेकल अवस्था बा । तीन दशकआघे २०४८ सालके नार्कके रिर्पोटमे ३५ लाख हेक्टरमे धानखेती करल आधार बा, मने अब्बे धानखेती घटके १४ लाख हेक्टरमे सीमित हुई पुगल बा कलेसे धान उत्पादनके अवस्थाफे निराशाजनक बा । विविध कारण एवं सरकारके गलत नियतसे ढेर खेतीयोग्य जमिन नाश हुइल बा ओ यी क्रम निरन्तर घट्दोरुपमे बा । अब्बे देशभर एकलाख ५० हजार हेक्टरसे ढेर खेतीयोग्य जमिन बाँझ बा ।
कृषि मन्त्रालयके अनुसार आ.व. २०७९/०८० मे कुल ५४ लाख ८६ हजार ४७२ मे.ट. धान उत्पादन हुइल बा, जबकि देशमे धानके माग ७२ लाख मे.ट. आवश्यक परठ । नेपाल विश्वमे धान उत्पादन कैना मुलुक मध्ये १२ औं स्थानममे परठ । यैसिन अवस्थामे आ.व. २०७९/०८० के ११ महिनामे केल रु. ३३ अर्बके धानचामल आयात हुइल बा । कृषि विभागके अनुसार यी वर्ष असारके अन्तिमसम मुलुकभर ७० से ७५ प्रतिशत रोपाइँ हुइना अनुमान करल बा अति साना, साना, मझौला ओ भारी किसानके बाहुल्यता रहल देशमे सरदर ३३ प्रतिशत जमिनमे केल सिंचाइ सुविधा उपलब्ध बा । चरम भ्रष्टाचार ओ बेथितिके पहाडमे ठरहयाइल यी भ्रष्ट सरकारसे देशमे सुशासन ओ समृद्धिके नारा लेके खाद्यान्न उत्पादनमे वृद्धि करके देशहे आत्मनिर्भर बनाई खोज्न कहल मर्ना बेलामे हरियर काँक्रा कहल जस्टे केल हो ।
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