सुदूरपश्चिममे ओल्के पर्व मनागिल

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, १ भदौ । सुदूरपश्चिम प्रदेशमे ओल्के पर्व मनागिल बा । सावनिया झरी सेकलपाछे प्राकृतिक प्रकोपसे बाँचल खुसीयालीमे ओल्कोके रूपमे फलफूल, सागपात, अन्न, दूध, दही, घिउ, गूड, पक्वान्न आदि मान्यजन ओ आफन्तके ठेन पठाके पर्व मनैना चलन बा ।
भदौ संक्रान्तिके दिन अर्थात बुधसे सुदुरपश्चिममे मनैना ओल्के पर्वमे अपनसे भारी, मान्यजन तथा जेष्ठ नागरिकहे सम्मान कैना चलन रहल संस्कृति विद पदमराज जोशी बटैलै । आजके दिन मान्यजनसे टिका ग्रहण करेबेर वर्षायाममे लागल धुरमैला जैना धार्मिक विश्वास बा । वर्षायाम सुरु हुइटीकी टमान मेरिक प्रकोप, सरुवा रोग जैसिन महामारीसे जौनबेलाफे मनैनके मृत्यु हुई सेकठ कना विश्वासके साथ बिंशु पर्व मनाजाइठ कलेसे यैसिन महामारीसे बाँचगिल कहिके खुशीयाली सट्ना भदौ संक्रान्तिके दिन ओल्के पर्व मनैना विश्वास बा ।
अपनसे भारी, मान्यजन ओ जेष्ठ नागरीकहे सम्मान स्वरुप ओल्को डेके, मिठ मसिना खाके ओ अन्य फरक फरक मौलिक तवरसे मनोरंजन करके ओल्के मनाजाइठ ।
ओल्को कहलेक ओलक अर्थात सौगात, उपहार वा कोसेली कना बुझजाइठ । स्थानीय भाषामे पींडालु ( घुइया, गब्डा)के भिटरके पोँकी डेहे, मान्यजनहे हरियर साग ओ फलफुल डेना चलन बा । नयाँ पुस्तासे अचकल अपन मान्यजनहुकनहे लुगाकपडा, पैसा वा अस्टे अन्य उपहार समेत ओल्को स्वरुप डेहे लागल बटै ।
वर्षायाम भर कामके व्यस्ततासे चेलीबेटी लैहर नइअइना ओ आजके दिन अइना हुइल ओरसे डाई छाईके पहिल भेटके रुपमेफे लेना चलन बा । ओस्टेक करके सुदूरपश्चिम प्रदेश सरकार शुकके रोज ओल्के पर्वके अवसरमे सार्वजनिक विदा डेहल रहे ।
