थारु राष्ट्रिय दैनिक
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[ 26 Apr 2025, Saturday ]
‘ सम्पादकीय ’

शिक्षकके मागप्रति सरकार काहे मौन ?

पहुरा | ५ आश्विन २०८०, शुक्रबार
शिक्षकके मागप्रति सरकार काहे मौन ?

शिक्षा विधेयकउप्पर गम्भीर असहमति रख्टी देशव्यापी रूपमे शिक्षक आन्दोलित बटै । एक/दुई बाटमे अतिरिक्त व्याख्या एवं स्वयं शिक्षकसेफे समेत कुछ प्रतिबद्घता जाहेर करे पर्ना ठाउँ बाहेक कुहीहेफे शिक्षकके आन्दोलनमे ऐक्यबद्घता ओ सहभागिता नइजनाइएृ पर्ना कौनोफे कारण नइहो । प्रस्तावित विधेयकमे आम शिक्षकके ओरसे लगभग २० ठो असहमति धारल ओ संशोधन माग करल विल्गाइठ । शिक्षक भिटरफे बाल विकास, राहत, निजी स्रोत तथा अस्थायी लगायत टमान एक दर्जन विभेदकारी प्रकार विद्यमान बा । सरकारसे शिक्षक सेवाहे बहुपक्षीय विभेद करले बा । यकर अन्त्य हुई परठ । प्राज्ञिक स्वतन्त्रताउप्पर राजनीतिक हस्तक्षेप ओ भागबन्डा मार्फत राजनीतिक अभीष्ट पूरा कैना प्रयोगशाला बन्टी रहल बा शिक्षा क्षेत्र ।

सदा औरहे बोले सिखैना शिक्षकहुकनहे आज अपनही बोले पर्ना बाध्यता बा । यी आवाज अभिन बुलन्द हुई परठ । टमान पेशागत विकास ओ अभिवृद्घिके मागसंगे स्थानीय निकायके मातहतमे बैठना अनिच्छा तथा और उप्परफे बहस पेचिलो बन्टी बा । शिक्षकहुक्रे संघीयताके विरोध अथवा केन्द्रीकृत व्यवस्थाके वकालत कैना खोजल अवश्यफे नइहो । स्थानीय निकायके नेतृत्व हम्रहिनहे नियमन कैना योग्य नइहुइट कहल चाहिं पक्के हो । अब्बल, काबिल, योग्य, विज्ञ ओ दक्ष नेतृत्व चाहल कहल निश्चय हो । अपन छावाछाई विदेश पठैना नेता देशके लाग ओ निजी विद्यालयमे अपन सन्तति पढैना कर्मचारी सरकारी शिक्षाके लाग कुछ काम नइकैना केल नइहो, सेकटसम सिध्यइना पहल करठै । यी राज्य विरुद्घके जघन्य अपराध हो ।

यी समस्याप्रति निःसन्देह रहटी विधेयकसे शिक्षकके प्राज्ञिक स्वतन्त्रता ओ पेशागत उन्नयनहे असर पर्ना करके नयाँ प्रावधान थपल विल्गाइठ । शिक्षकहे बन्धक नाही, बौद्धिक बन्न सहयोग करे परठ, सहजीकरण करे परठ यी बाट मन्ना सरकार अभिनफे तयार नइविल्गाइठ । जिहीसे शिक्षा विधेयकके मस्यौदा तयार करल, ओइने अधिकांश शिक्षकके पीडा ओ असहजता बारे जानकार नइहुइट, हुइलेसेफे उहीहे सुधार करे परठ कना नइमन्ठै । अपन विरूद्धमे ऐन नाने लागलप्रति उहाँके विमति हो । औरके भविष्य बनैटी बनैटी अपन भविष्य अन्धकारओर धकेले खोजलपाछे हजारौं शिक्षक कर्मचारी बाध्य हुके काठमाडौंके सडकमे डेखल बटै । संसदमे दर्ता हुइल विधेयक शिक्षक कर्मचारीके बर्खिलाप हुइल कहटी सच्यइना माग ओइनके हो । आन्दोलनके कारण सामुदायिक विद्यालय बन्द रहल अवस्थामे बा । ओहोर आन्दोलनमे उटरल शिक्षक उप्पर प्रहरी ढडपकड करटी रहल बा । आखिर दमन कहे । सरकार हालहाली वार्ता करके शिक्षकके जायज माग सम्बोधन करके बन्द अवस्थामे रहल सामुदायिक विद्यालय सुचारु कैनाओरसे ध्यान जैना जरुरी बा ।

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