थारु पात्रके विषयमे बृहत छलफल

पहुरा समाचारदाता
बर्दिया, ७ अगहन । थारु समुदायके थारु पात्रके विषयमे बाँसगढी बर्दियामे बृहत रुपमे छलफल कर्टी निस्कर्षमे पूगल बा ।
जेम्ने यिहे वर्षमे हुइना आठौ राष्ट्रिय थारु सम्मेलनमे एकठो सेसन थारु पात्रके विषयमे बहस कर्ना हुइल बा । थारु पात्रके सार्वमान्य बनाइक लाग थारु आयोगके अध्यक्ष, थारुकल्याणकारिणी सभाके केन्द्रीय अध्यक्ष ओ थारु बुद्धिजिवीहुक्रनहे प्यानालिष्टमे ढरके छलफल करटी अन्तिम रुप डेना बाट हुइल बा ।
यी बहस करबेर राष्ट्रियस्टरमे फे दवाव परे कना उदेश्यले आठौ राष्ट्रिय थारु सम्मेलनमे थारु पात्रके विषयमे बहस करपर्ना निस्कर्ष निकारल हो । बर्दिया, बाँके, दाङ, कैलाली ओ कञ्चनपुरके पत्रकार, लेखक, बुद्धिजिवहुकन विच बर्दियाके बाँसगढीमे छलफल हुइल हो । रेडियो गुर्वावा एफ एमके आयोजना हुईलक छलफलमे रेडियो गुर्वावा एफ एमके कार्यकारी निर्देशक एकराज चौधरी सहजीकरण करल रहिट । थारु पात्रमे थारु समुदायके टरटिहुवार, रितिरिवाज कौन महिनामे कौन तिथि मितिमे परठ कना समावेश हुइना उहाँ बटैलै । प्रकाशन हुइलेसे यिहीहे अनलाइनसेफे हेरे सेक्ना उहाँ बटैलै ।
थारु समुदायके अपने थारु पात्र नइहुइल कारण जिल्ला पिच्छे एक टिहुवार दुई चो मनैना करल, प्रदेश सरकारसे विदा मग्ना कर्रा रहल थारु नागरिक समाज कैलालीके संयोजक दिलबहादुर चौधरी बटैलै । उहाँ कहलै, थारु पात्र नइहुके कतिपय थारु सस्कृति लोप हुइना, थारु समुदायके टर टिहुवारमे सरकारसे विदा नइडेना करल हो । विदाके लाग प्रत्येक साल ज्ञापनपत्र बुझाई पर्ना बाध्यता बा ।’
थारु बुद्धिजिवी सुशिल चौधरी अब्बेक पुस्ताहुकनहे थारु रिति संस्कृति, थारु शब्दके ज्ञान नइरहल ओरसे थारु पात्र निकर्ना प्रयास हुइना सह्रनिय कार्य रहल बटैलै ।
लुम्बिनी प्रदेश देउखुरीके साहित्यकार पत्रकार छविलाल कोपिला थारु समुदायके छोट–छोट रिति रिवाज डब्टी गैल बटैलै । उहाँ कहलै, थारु समुदाय हरेक महिनामे कौनो ना कौनो रिति संस्कृति, टरटिहुवार मनैठै । भारी टरटिहुवार केल डेखा परटा । छोट–छोट टरटिहुवार, संस्कृति लोप हुइटा । थारु पात्र प्रकाशन करलेसे हमार रिति, संस्कृति, परम्परा दस्तावेजीकरण हुई ।’
थारु पात्र प्रकाशन हुइलेसे हमार संस्कृति लौवा पुस्ताहे हस्तान्तरण कैना सहजुल हुइना उहाँ बटैलै ।
