पशु कल्याणके लाग मापदण्ड जारी
पहुरा समाचारदाता
धनगढी, ३ पुस । सुदूरपश्चिम प्रदेश सरकारसे व्यावसायिक फर्म अबलम्बन करे पर्ना पशु (गैया, भैंसिनिया) कल्याण सम्बन्धी मापदण्ड, २०८० जारी करले बा ।
सुदूरपश्चिम प्रदेश कृषि तथा पशुपन्छी व्यवसाय प्रवद्र्धन नियमावली २०७९ के नियम २४ से डेहल अधिकारके मर्म ओ भावना अनुरुप पशु कल्याण सुनिश्चित कैना उद्देश्यके साथ सरकारसे मापदण्ड जारी करल हो । प्रदेशके भूमि, व्यवस्था, कृषि तथा सहकारी मन्त्रालयसे मन्त्रीस्तरीय निर्णयसे मापदण्ड जारी करके लागु करल बा । सुदूरपश्चिम प्रदेशके पशु विकास तथा पशु स्वास्थ्य सेवा ऐन, २०७८ मे टेक्के बनाइल यी मापदण्डमे पशु कल्याण सम्बन्धी प्राविधिक बाट समेटल मन्त्रालयके सचिव डा. मदनसिंह धामी बटैलै ।
पशु कल्याण सम्बन्धी सचेतनात्मक ओ प्रवद्र्धनात्मक कार्य आघे बढाइक लाग मापदण्ड जारी करल मन्त्रालय जनैले बा । “संघीय सरकारसे पशु कल्याणके कानून बनैटी रहल बा,” सचिव धामी कहलै, “संघसे कानून बनासेकलपाछे ओम्ने नइबाझना करके प्रदेशसेफे पशु कल्याण ऐन आघे बढैना बा ।” पशुहितहे ध्यानमे धारके टमान ऐन, कानून बन्लेसेफे पशु कल्याण सम्बन्धी अलगे कानुन अभिनसम नइबनल जनाइल बा । मने, मुलुकी अपराध संहिता २०७४ से पशुके हकमे सबसे ढेर कानुनी व्यवस्था करले बा ।
छाडा पशु चौपायासे समग्र कृषि प्रणालीमे भारी असर परटी रहल अवस्थामे हुइल कानुन कार्यान्वयन हुइलेसे पशु कल्याणमे वृद्धि हुइनाके साथे छाडा चौपायाके समस्या ढेर हद्सम समाधान हुइना पशुपन्छी रोग तथा अन्वेषण प्रयोगशाला धनगढीके प्रमुख डा. नरेशप्रसाद जोशी बटैलै ।
छाडा चौपायाके कारण कृषिमे किसानके खर्च बढटी रहल उल्लेख करटी उहाँ कहलै, “छाडा चौपाया व्यवस्थापनके जिम्मा स्थानीय पालिकाहुकनके हो । पालिकासे यम्ने ढेर ध्यान डेहे परल ।” पशु कल्याणके लाग अलगे ऐन नइबनल अवस्थामे मापदण्डसेफे पशु कल्याणमे कुछ सहयोग पुग्न सरोकारवालाके कहाई बा ।
पशु अधिकारकर्मी एवम् स्नेहाज केयरके अध्यक्ष स्नेहा श्रेष्ठ मापदण्डसे कुछ हद्सम पशु कल्याण हुइना हुइलेसेफे यी सम्बन्धी ऐन आवश्यक रहल बटैली । उहाँ संघीय ओ प्रदेश सरकारहे पशु कल्याण सम्बन्धी ऐन बनैना आग्रह करली ।