थारु राष्ट्रिय दैनिक
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नेत्रहिन वीरबहादुर मुढा बनाके दैनिक गुजरा करटी

पहुरा | ४ पुष २०८०, बुधबार
नेत्रहिन वीरबहादुर मुढा बनाके दैनिक गुजरा करटी

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, ३ पुस ।
कञ्चनपुर जिल्ला पुनर्वास नगरपालिका–३ के वीरबहादुर तमाङ नेत्रहिन हुइट मने उहाँ बेटबाँसके मुढा बनाके दैनिक गुजरा करटी रहल बटै ।

जहाँ इच्छा वहाँ उपाय, खैना मुहहे जुँगाले नइसेकठ कना उखान टुक्काफे बा । वीरबहादुर तमाङ एक ठो नेत्रहिन रहलेसेफे अपनही मुढा बनाके बजारमे अपनही बेचके मासिक १५ से २० हजार रुप्या कमैना सफल हुइट बटै ।

ढेर मनैनके सोच रहठ, यी टे अपाङ (लुल, आँन्धर, हातगोर नइहुइस, बहिर) बा, का करे सेकी कना गलट सोचाई रठिन । मने भगवानफे ओइनहे फरक क्षमता डेके पठाइठ । ओइनमे कुछ ना कुछ करेसेक्ना क्षमता जरुर रहठ । जौन विरबहादुर एक ठो नेत्रहिन हुके सपाङ जस्टे काम कैके सावित करले बटै ।

वीरबहादुर कठै, ‘मै २३ बरससे बेटबाँसके मुढा बनाके बेच्ठु, मोर पेशाफे यिहे हो, जागिरफे यिहे हो, यिहीसे मोर घरपरिवारके गुजारा चलटा ।’

मुढा तयार करेक लाग मै छाम–छुम कैके बाँस चिरठु, उहीहे सिटके कम्ची बनैठु । भँग्ना कामफे अपनही कैना ओ तयार कैना सब मही कैठु उहाँ कहलै ।

एक मुढा बनाइबेर डेढसे दुई दिन लग्न करल बटैटी तयार हुइल मुढाफे अपनही बजारमे जाके विक्री करल वीरबहादुर बटैठै ।
सुरु–सुरुमे पेशा सुरुवाट करेबेर बाँसके मोल ५० रुप्या रहे, अब्बे ओकर मोल दुई रुप्या पुगल बा,’ वीरबहादुर कहलै, गाउँघरमे बाँस किनके मुढा बनाके बेच्ठु, भारी बाँस रहलेसे चार ठो सम बनजाइठ । छोट रहलेसे तीन ठो सम तयार हुइठ । तयार हुइल मुढा बनाके १५ से २० हजारसम आम्दानी हुइठ ।’

वीरबहादुर तमाङसे तयार करल बाँसके मुढा प्रतिगोटा ५ सय रुप्यामे विक्री हुइना करल बा । उहाँ कहलै, ‘घरे बहुट मुढा बनाके धरले बटु विक्रीके लाग अडर हुइल बा । विक्री करे गैलेसे सोचल हस विक्रीफे हुइजाइठ मने सरोकारवाला निकाय बजारीकरण कैदेलेसे डेलेसे ढेर मुढा तयार करटु, घर बैठे विक्री हुजाइट । बनाइल मुढा छामछुम करटी लटठी टेक्की धनगढी, महेन्द्रनगर, बेलौरी बजारमे बेच्ठु । गाउँघरमेफे फाटफुट विक्री हुइठ, उहाँ कहलै ।

वीरबहादुर कहलै, ‘मोर डाई महिहे जलम डेहेबेर सक्कु मजासे रहे । आँखीमे कौनो समस्या नइरहे । छोटसे विद्यालय गैनु । मने विस्तारे आँखीके रोशनी कम हुइना समस्या आइल जस्टे लागे, कक्षा सातमे पुगेबेर झप्प आँखी बन्द हुइलपाछे मै पह्राई छोरनु ।

जन्मघर धादिङ जिल्लाके विकट पहाडके ठाउँ रहल ओरसे आँखीमे समस्या आइबेर ना मजा उपचार कराई पैनु, ना टे नेत्रहिनसे बह्रे पैना स्कूल जाई पैनु । पह्रना इच्छा रहटी–रहटी इच्छा मारे परल उहाँ दुःख सुनैलै ।

वीरबहादुर तमाङ २०५३ सालमे कञ्चनपुरके पुनर्वास झरल रहिट । उहाँक गोसिनीया ओ एक ठो छावा एक ठो छाई रहल बटिन । छाई २४ ओ छावा २० बरस रहल बटिन । बेटबाँसके मुढाके काम करटी करटी उहाँ पाँच कटठा जमिनफे जोरल उहाँ बटैलै । उ जमिनमे खेती किसानी ओ बेतबाँसके काम करके दैनिक गुजारा चलल उहाँ बटैलै । आँखीक रोशनी गुमाइलपाछे पुनर्वासमे रहल नेत्रहिन कल्याण संघसे दुई महिने तालिम पाके बेटाबाँसके काम सुरुवाट करल उहाँ बटैठै ।

ओस्टेक करके घोडाघोडी नगरपालिका वडा नम्बर १२, कोटाका प्रदेशु डंगौरा थारु शारीरिक रुपमे अपांगता रहल व्यक्ति हुइट । मने उहाँ अपनहे अपन उमेरके सग्गे युवाहुकनसे सशक्त रुपमे ठरहयाइना सफल हुइल बटै ।

उहाँक दुनु गोर नइचलठ । उहाँ गाउँमे मोबाइल ग्यालरी सञ्चालन करके महिनाके ५० से ६० हजार रुप्या आम्दानी करटी आइल बटै । मोबाइल मर्मत तालिम लेके १० वर्षसे गाउँक त्रिवेणी बजारमे मोबाइलके एसोसेरिज सामाग्री विक्री ओ मर्मत कैना पसल सञ्चालन करटी रहल बटै । शुरुमे एक लाख रुप्या लगानी करके पसल शुरु करल प्रदेशुके पसलमे अब्बे १० लाख रुप्या लगानी पुगल बा । पसलसे सक्कु खर्च कटाके मासिक १० से १५ हजार रुप्या खुद नाफा हुइना करल उहाँ बटैलै ।

प्रदेशु जस्टे घोडाघोडी नगरपालिका वडा नं. १, सुख्खडके छविलाल चौधरी फे सफल किसान ओ उद्यमीमे परठै । शारीरिक रुपमे अपांग हुइलेसेफे उहाँसंग युवासे उदाहरणीय कार्य करके चर्चित बनल बटै । उहाँ अपने घरमे कस्मिर बेटबाँस फर्निचर उद्योग ओ कृषि फर्म चलैले बटै । उहाँ बेटबाँस फर्निचर उद्योगमे दुई जनहनहे रोजगारी डेहल बटै । फर्निचर उद्योगसे उहाँ टेबल, सोफा, मुडा, कुर्सी, ह्यांगर, फूलदानी, स्ट्याण्ड, र्‍याक लगायतके सामाग्री उत्पादन कैना करल बटै कलेसे कृषि फर्मसे च्याउ उत्पादन कैना करल बटै ।

४ लाख रुप्या लगानी करके सञ्चालन करल फर्निचर उद्योगसे उत्पादित मध्ये दैनिक २ से ४ सेट फर्निचर विक्री हुइना करल छविलाल बटैलै । उहाँ कैलालीके सत्ति सामुदायिक वनसे बेट खरिद करके फर्निचर बनैना करल बटै । पछिल्का आर्थिक मन्दीसे उद्योगके व्यापार सुस्ताइल छविलाल बटैलै । उहाँ कोभिड १९ से पहिले उद्योगमे चार जहनहे रोजगारी डेहल रहिट । विक्री घटलपाछे उत्पादनफे कमी आके दुई जाने केल मिस्त्री धारल उहाँ बटैलै ।

उद्योगसे उत्पादन हुइल सामान विक्री ओ च्याउ फर्ममे उहाँ अपनही काम कैना करल बटै । उहाँ कृषि फर्मसे उत्पादन हुइल अन्य टिना, बेम्टी ओ बदाम खरिद करके भुटके अपनही विक्री कैना करल बटै । उहाँ घुम्ती पसल मार्फत् गाउँ गाउँ जाके सामान विक्री कैना करल बटैलै ।

यी युवा अपांग हुइलेसेफे स्वरोगार उद्यम करल उदाहरण हुइट । ओस्टेक करके, कैयौं युवा उद्यम करके अपने स्वरोजगार केल नइहुके कैयौं युवाहुकनहे रोजगार समेत डेहल राष्ट्रिय अपांग महासंघ नेपालके सुदूरपश्चिम प्रदेश अध्यक्ष मानबहादुर साउँद बटैलै । उहाँ ओसिन युवाहुक्रे करल उद्यमसे उत्पादन सामाग्रीके प्रचारप्रसार तथा बजारीकरण कैना आवश्यक हुइनाके साथे उ युवासे करल उद्यमके विषयमे उजागर करके अन्य युवाहुकनहेफे उद्यममे लग्ना प्रोत्साहित करे पर्ना बटैलै ।

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