माघ मनइना कि माघी !
माघ लहैली
सुरिक सिकार खैली रे हा
सखिय हो
माघक पिली गुरीगुरी जार ।
माघ (पर्व) मे थारु समुदाय यि गितसे गुञ्जयमान रहठ । ‘सखिय हो, माघक पिली गुरीगुरी जार’ परम्परासे चल्टि आइल थारु लोक भाका हो । थारुहुक्रे नेपालमे कहियासे बसोबास करलै कना बाट किहुहे पटा नइरहल बाट लेखक डोरमणी विष्ट आपन किताबमे उल्लेख करल बटै । थारुनके आपन कौनो लिखित इतिहास नइ हो । थारुहुक्रे मनइनाटरटिहुवारके बारेमे फेन लिखत नइ मिलठ । टबेमारे थारुहुक्रे मनइना विभिन्न टरटिहुवारके सवालमे पूर्खाहुकनसे सुन्टि आइल काठा वाकिवदंतीमा हम्रे विश्वास करठि ।
पश्चिम तराईकेप्रत्येक थारु घर ओ प्रत्येक थारु बस्तीमेमनाजाइठ माघ । पुसके अन्तिम दिन गाउँभरिक मनैन पुग्ना जिटा मरना, रातभर थारु पुरुषहुक्रे जम्मा होके डफ बजइटि ढमार (गीत) गइना, डोसर बिहान माघ १ गते बिहन्ने लग्गेक लडियामे जाके लहइना, लहाइबेर पानी भिट्टर बुरे परना, घरे आके ढकियामे ढारल चाउर, नोन छुना, जोन पाछे भोज हुइल दिदिबहिनियनहे निसराउ डे जाइठ, ओ घरेक सबसे बुरहाइल मनैन ढोग लग्ना, गोटियार ओ छिमेकी सक्कुहुनके घरे जाके सेवाढोग लग्ना ओ ढिक्रि सिन्किक चटनि लगायत परिकार खइना, मघौटा नाच नच्ना — परम्परा अनुसार मनइना माघ यिहे होे पश्चिमा थारुनके ।
माघ २ गते खिच्रहुवा मनाजाइठ । यि दिन बजार खेले जइना दिन हो । बजार खेले जाइक लाग लग्गे गाउँमे माघ मेला लग्ना चलन रहे । या टे लग्गेक बजार खेले जइना चलन व्यापक रहे । छिटफुट रुपमे अभिन बा । ‘बजार खेले जैना कलक, मोर बुडि कठि, माघ पठैना हो ।’ अर्थात बजार खेले जइना कलक माघहे बिदाइ करना हो ।
अइसिक थारुहुक्रे मुख्य रुपमे तीन दिन माघ मनइठै । मने पुरा माघ महिना थारुहुकन लाग विशेष रहठ । थारु गाउँमे भलमन्सा रबरघर, चिरक्या, गुरुवा आदि चुन्ना काम माघ महिनमे करजाइठ । गाउँमे का का काम करे परना बा, ओकर योजना बनाजाइठ । टबेमारे थारु माघ महिनाभर माघ मनइठै कहिके फेन कहिजाइठ । ओम्ने फे जार पिउइयनके लाग टे खानपिन करक लाग फेन ‘थारुन्के माघ— महिनाभर चलट‘ अकहठै ।
थारु घर ओ गाउँमे किल सिमित माघ,पहिल पटक वि.स.२०५९ मे औपचारिक कार्यक्रम करके मनागिल रहे । काठमाण्डौके नेपाल टुरिज्म बोर्डमे थारु कल्याणकारीणी सभा ओ थारु विद्यार्थी समाजके संयुक्त आयोजनामेकार्यक्रम करगिल रहे । औपचारिक माघ कार्यक्रमहे निरन्तरता डेटि डोसर वरष बानेश्वरके सहकारी भवन, टिसर वरष राष्टिय सभा गृह, चौठा वरष प्रज्ञा भवन, ओकरपाछे २०७२ मे रंगशालाओ ओकरपाछेक प्रत्येक वरष टुडिखेलमे माघी महोत्सव आयोजना करजाइठ । काठमाण्डौंके कार्यक्रमसे जिल्ला स्तर हुइटि अब्बे स्थानीय तहसम माघ कार्यक्रम करना हौसला ठपगिल बा ।
माघबारे बहस
पहिचान ओ संस्कृतिप्रेमी थारु वृतमेबहसके सतहमे आइल विषय हो थारुहुक्रे माघ मनइठै कि माघी । वास्तवमे पश्चिम थारु समुदायम मनइना माघ हो । मध्य तराई क्षेत्र (नवलपरासी चितवन) मे माघ १ गतेहे खिचराकहठै । पूर्वी तराईके थारुहुक्रे तिला संक्राइट कहठै । थारु विद्यार्थी समाजकेअध्यक्ष चन्द्र प्रसाद चौधरीके अनुसार यि दिन तिलके लड्डु खइना हुइकल ओरसे तिला संक्राइत कहगिल हुइ । (नेपाली) कहजिना पर्वाती समुदायमाघ १ गतेहे माघे रमकर संक्रान्ति कहठै ।
पश्चिम तराई (दांग से कञ्चनपुर) के थारु पूर्खाहुक्रे कहठै ‘हम्रे माघ लहइठी, माघ खइठी, माघ मनइठी ।’ बाँचल पुर्खाहुक्रे माघी मनाइल जिकिर कबु नइ करठै ।
पश्चिम थारुहुकनक माघहे माघी नामाकरण करगिल ढेउर समय नइ हुइल हो । ढेउर जहन लागे सेकठ, माघ टे महिनाके नाउ हो । माघ महिनामेपर्ना हुइकल ओरसेटिहुवार पर्व भर माघी हो ।मने अइसिन नइ हो ।
पश्चिमके थारुहुक्रे माघ मनाइबेर अउरे ठाउँमे तिलारमाघे वा मकर संक्रान्ति मनइठै । एकहोर थारुनके माघ,डोसरओर अउरे जहनके माघे वा मकर संक्रान्ति हो कलेसे माघी केकर हो ?बुझ्टि गइलेसे टे माघीकेक्रो नइ हो । माघी शब्द प्रयोगमे आइल ढेउर समय फेन नइ हुइल हो । यि बिल्कुल नयाँ शब्द हो । अइसिक कहे सेकजाइ कि माघी थारुहुकनके माघकेभर्खरे करगिलनेपाली रुपान्तरण हो । अब्बे आके माघी शब्द अइसिन राष्टिय शब्द हुसेकल कि थारुहुक्रे माघी नाइ, माघ मनइठि हम्रे कहलेसे अराष्टिय हुइना बेर नइहुइ ।
माघे संक्रान्ति उच्चारण करकलाग नम्मा हुइना हुइलक ओरसे फेन पाछे सर्टकटमे माघी कहगिल हुइसेकठ । एकठो नेपाली गीत ‘हर साल आउँछ माघी, माघी जान्छ आफ्नै सुरमा’ से फेन माघी शब्द स्थापित कराइल । माघ महिनामे रेडियो, एफएम यि गानाले गुञ्जायमान रहठ । यकर प्रभावले फेन थारुनके माघ, माघीमे रुपान्तरित हुइल हुइसेकठ ।
पहिलो पटक औपचारिक रुपमे आयोजना करगिले कार्यक्रममे माघी उल्लेख करगिल रहे । ओकरपाछे निरन्तर आयोजना हुइना कार्यक्रममे प्रधानमन्त्री, सभामुख लगायतके उच्च ओहदाके व्यक्तित्वसे सम्बोधन करजिना कार्यक्रममे सञ्चारमाध्यमकके चासो बहरटि गैल । केन्द्रसे गाउँसम माघी लेख्ना ओ कहुइयनके बगाल बहरटि गैल । ओकरे प्रभावमे अब्बे जहाँजहाँ माघके कार्यक्रम करजाइठ, माघी महोत्सव वा माघी मेला लेखल डेखपरठ । माघी लेख्टिकिल ओ कहटिकिल ढेउर कुछ बिग्रना टे नइ हो । नेपाली भाषा सड्ड डोमिनेन्ट ओ राष्टिय भाषाके दर्जा पइलकमे, थारु शब्दके नेपालीकरण करलेसे राष्टिय होजाइठ कि कना मानसिकतासे सिमान्तकृतहुक्रे आपन मौलिक शब्दके नेपालीकरण स्विकार करल हुइहि साएद ।
आपन भाषा, संस्कृति ओ पहिचानके संरक्षण ओ सम्बद्र्धन करकलाग वकालत करुइया बगाल अब्बे माघ ओ माघीबारे बहस चलाइटै । माघ वा माघे संक्रान्ति मनइना समाजमे माघी कहाँसे पेलल, सोचनिय विषय बा । थारुहुक्रे प्रयोग करना मैलिक शब्द नेपालीकरण करगिल यि पहिल चो नइ हो । यि पुराने परिपाटी हो ।
थारुहुकनके मौलिक शब्दके गाउँके नाउँ व्यापक परिवर्तन करगिल बा । जस्टे थारुगाउँके नाउँ घोरीघोराहे घोडाघोडी बनागिल । पिर्ठीपुरहे पृथ्वीपुर, रानामुराहे रानामुडा, खोनपुरहे सोनपुर, भर्रिहे भड्री बनागिल । अइसिन बहुट उदाहरण बा । ओस्टके थारुहुकनके बरघरहे बडघर कहना ओ लिख्ना डोसर उदाहरण हो । डुखक बाट टे का हो कि परहल लिखल हमारे समुदायके कुछ मनै बड्घर कहठा ओ लिखठा । ओक्रे निरन्तरता हो माघहे माघी बनइना । अइसिक ठेट ओ मौलिक शब्द परिवर्तन करटि जइना कलक थारु भाषा ओ थारु समुदायप्रति बरवार प्रहार हो । हेरेबेर सामान्य लागठ, माघहे माघी कहना, बरघरहे बडघर कहना । मने यि शब्द केवल शब्द किल नइ हो । यि शब्द कलक थारुनके पहिचानसंग जोरगिल विषय हो । यि शब्दसंग थारुनके इतिहास जोरगिल बा ।
माघ पश्चिमके थारुनके लौव वरष हो । माघसे थारुहुक्रे ढेउर लौव चिजके सुरुवात करठै । प्रत्येक माघमे थारु गाउँलौव भलमन्सा चुन्ठै । चिरक्या, गुरुवा, भर्रा यिहेबेला चुनजिठै । गाउँके विकासके योजना बनइठै । कहाँ पुल बनइना, बढ्वा बँढ्ना, कुल्वा कोरना जइसिन योजना बनइठै । कमैया कम्लरही प्रथाके बेला कोइ कमैया बैठल घर छोरे सेकिट ओ लौव मलिक्वा रोजे सेकिट ।
सक्कु अवस्थामेअइसिन सम्भव नइरहे । विशेष करके किसानके घरेम कमैया बैठुइयन सहज रहे । जमिन्दारहुक्रे किसानके तुलनामेढेउर दमनकारी हुइलक ओरसे कमैयाहुक्रे कैंयो पुस्ता एक्के जिम्डरवकमे कमैया लागे परना बाध्य बनाइट ।
कुछ मनै माघहे मुक्ति दिवसके रुपमेफेन व्याख्या करट सुनमिलठ । जोन कि बिरकुल गलत बाट हो । नेपाल सरकार १७ जुलाई २००० मे कमैयाहुक्रे मुक्त हुइल घोषणा करल रहे । पूर्व कमैयाहुक्रे उ दिनसे प्रत्येक वरषके १७ जुलाईमे मुक्ति दिवस मनइटि आइल बटै । सरकार कमैया मुक्ति घोषणा करना पहिले कमैयाहुक्रे केक्रो ना केक्रोमे कमैया लागे परिनर््े जीविकोपार्जनके लाग । अनि माघहे मुक्ति दिवसके रुपमे मनइना कउनो सवाले नइ हो ।
फेरिगिल माघ
समयसंगै टरटिहुवार मनइना शैली फेन परिवर्तित हुइटि जाइठ । यकर एकठो बरवार उदाहरण हो माघ । माघ अब्बे माघी महोत्सवमे सिमित हुइ पुगल बा । भलै गाउँघरकेथारुहुक्रे मौलिक रुपमे माघ मनइठै । माघके मौलिकताके चर्चा संचारमाध्यम ओ सामाजिक संजालमे कमे मात्र हुइठ । सहि मानेके माघ बुझ्ना, बुझइना ओअब्बेके माघहेप्रचार करना तरिकामेबहुट ढेउर भिन्नता बा । माघमे थारु समुदायमे चुनजिना बरघर, विवाहित दिदीबहिनीयनहे डेजिना निसराउ, डाडाभैया ओ गोचालिन बिच करजिना उँकुवार भेट, रातभर डफ बजइटि गाजिना ढमार के बारेमे नगन्य मात्रामे चर्चा हुइठ । माघक गुरीगुरी जारके प्रचार अट्रा ढेउर करजाइठ कि माघमे खइना नमक्वा ढिक्रीक बाट काहु नै सुन मिलठ ।
थारुहुक्रे निराशा मिश्रित माघ मनाइटै, आपन राजनीतिक, सांस्कृतिक अधिकारबारे चेतनशिल हुइलपाछे । नेपालके जनसंख्याकेबरवार हिस्सा रहल थारुहुकनक मुख्य पर्व माघमे सरकारसंग २ दिनके बिदा माग करल ढेउर होसेकल । थारुनके माग सुनुवाई करना टे कहाँ हो कहाँ, उल्टे माघके बिदा फेन कटौती करना काम हुइल । आदिबासी जनजातीहुक्रे बिदा पुनस्र्थापनाके लाग दबाब डेहल पाछे पुनः माघ १ गते बिदा डेना निर्णय केन्द्र सरकार करल रहे ।
प्रदेश ५ मे १५.१८ प्रतिशत थारु बटै । गइल वरष वहाँके प्रदेश सरकारसे माघ के लाग २ दिनके बिदा घोषणा करल । थारुहुक्रे खुशी हुइलै । सुदूरपश्चिम प्रदेशम १७.२१ प्रतिशत थारु बटै । २ दिनके बिदा माग करेबेर प्रदेश सरकारसे माघ १ गते किल एक्के दिनके बिदा डेहठ । ढेउर जहनके बुझाई बटिन कि, यि बिदा माघ के लाग नइ हो, माघे संक्रान्तिके लाग हो ।‘अउरेजे माघे संक्रान्ति नइ मनइटै कलेसे’, सुदुरपश्चिमके थारुहुक्रे प्रश्न करठै, थारुहुकनके माघ के लाग यि एक दिन फेन बिदा नइ मिल्ना रहे कि?’ कमसेकम थारु बाहुल्य हुइल क्षेत्रमे माघ जइसिन थारुनके महत्वपूर्ण पर्वमे २ दिनके बिदा डेहे परठ कना थारु अगुवाहुकनके बुझाईबा । अब्बे फेन थारुहुक्रे पुस अन्तिममे जिटा मरना ओ माघ १ गते धुमधामके साथ माघ मनइठै ।
थारु अगुवा माधव चौधरीके अनुसार, सुदुरपश्चिम सरकार बिदा डेनामे विभेदकारी बा । थारुनहे टिहुवारके लाग बिदा चाहल कहिके जबफे ज्ञापनपत्र बुझाइ जाइ परना । टबो फेन सरकार बिदा नइ डेहठ । यि विभेद नइ हो ट का हो ? उहाँ प्रश्न करठै ।
माघके एकओर रौनक, डोसरओर आक्रोश रहठ । थारु भाषाप्रतिके प्रहार ओे माघके बिदाके विषयहे लेके थारुनमे निराशा ओ आक्रोश डुनु बा । यिहे पिरा ओ आक्रोशकेबीचमे थारु गाउँमे डफ बजठ, ढमार गाजाइठ, मन्डरा ठोकजाइठ, मघौटाके नचुनियाहुक्रे फिनफिनसे घुमठै । टब लागठ पिराके बिचमेफेन राहरंगि करे सेक्ना समुदाय थारु हो ।
मकर संक्रान्तिके नाउँमे एक दिन सरकार बिदा डेहठ । माघके नाउँमे अभिनसम थारुहुक्रे बिदा पाइल नइहुइट । मकर संक्रान्तिके नाउँमे डेगिल बिदाहे आपन माघ के नाउँमे बिदा डेगिल कना भ्रममे बहुसंख्यक थारुहुक्रे बटै । अनि लागठ भ्रममे परके हुइलेसे फेन रमाइ सेक्ना समुदाय थारु हो ।