फागुन १३ गतेसे दादुरा–रुबेला विरुद्धके खोप अभियान
पहुरा समाचारदाता
धनगढी, १२ फागुन । कैलाली सहित सुदूरपश्चिम प्रदेशके ९ जिल्लामे दादुरा रुबेला खोप अभियान सञ्चालन हुइ जैटी रहल बा । राष्ट्रिय खोप कार्यक्रम अन्तर्गत इहे फागुन १३ गतेसे चैत ७ गतेसम उ अभियान सञ्चालन हई जैटी रहल हो ।
उ अभियानअन्र्तगत सुदूरपश्चिम प्रदेशमे ५ लाख २३ हजार ३९ जाने बालबालिकाहे दादुरा–रुबेला विरुद्धके खोप लगैना लक्ष्य लेहल बा । जेम्नेसे कैलालीमे किल २ लाख ५ हजार १५६ जाने बालबालिकाहे खोप लगाजैना स्वास्थ्य कार्यालय कैलाली जनैले बा । स्वास्थ्य कार्यालय कैलालीसे शुकके रोज आयोजना करल कार्यक्रममे कार्यालय प्रमुख आशुतोष श्रेष्ठ अभियान बारे जानकारी कराइल हुइट । उहाँके अनुसार नौं सय ६४ खोप केन्द्र ओ २९२ स्वास्थ्यकर्मीहे परिचाल कैना जानकारी डेलै ।
ओस्टके एक हजार ९२८ स्वयंमसेवक ओ ए.ई.एफ.आई. व्यवस्थापन तथा अनुगमनके लाग २० जनहनहे परिचालन कैना जानकारी डेलै । अभियान अन्र्तगत कञ्चनपुरमे १ लाख ६५ हजार ५३२, डडेल्धुरामे ११ हजार २३, डोटीमे १ हजार २९५, बैतडीमे २१ हजार ३२४, दार्चुलामे १० हजार ४१०, बझाङमे १८ हजार ३७६, बाजुरामे १३ हजार ९४२, ओ अछाममे २३ हजार ३७९ बालबालिकामे खोप लगाजैना जनाइल बा ।
दादुरा रुवेला खोप अभियान २०८० फागुन १३ से चैत ७ गतेसम स्वास्थ्य कार्यालय ओ स्थानीय तहसे सेकटसम एक्के चरणमे कार्यक्रम संचालन कैना बा । स्थानीय तहमे ९ दिनभिटर ओ जिल्ला तहमे सेकटसम १५ दिन भिटर खोप लगासेक्ना कहल बा ।
लक्षित जनसंख्या ढेर रहल, आवश्यकता अनुसार कोल्डचेन क्षमताके अभाव रहल, खोप डेना स्वास्थ्यकर्मी आवश्यकता अनुसार प्रयाप्त नइहुके एक चरणमे सम्भव नइहुइलेसे २ चरणमे कार्यक्रम संचालन कैना बा ।
खोप डेना स्वास्थ्यकर्मी ओ कोल्डचेनके व्यवस्था रहल स्थानीय तह–स्वास्थ्य संस्थासे एक्के दिनमे एक से ढेर केन्द्रमेफे खोप केन्द्र संचालन कैना बा । अभियान संचालनके चरण निर्धारण करेबेर नियमित खोपहे असर नइकैना करके योजना बनाई पर्ना बा ।
दादुरा–रुबेला उन्मूलनके लाग रणनीतिक योजनाः २०२०–२०२४ सम नियमित खोपमे दुई मात्रा तथा अभियान मार्फत खोप प्रदान करके सक्कु तहमे कम्तीमे ९५ प्रतिशत प्रगती प्राप्ती तथा निरन्तरता डेके उच्च कभरेजके अवस्था कायम रख्ना, समयमे हरेक दादुरा, रुबेला ओ सीआरएसके सर्भिलेन्स करके सिफारिस करल सुचांक हासिल कैना दादुरा, रुबेला तथा सीआरएस संवेदनशील खोजपडताल प्रणाली विकास ओ दिगोपना कायम कैना कहल बा ।
दादुरा–रुयेला परिक्षणके लाग प्रयोगशाला प्रणाली विकास करके निरन्तरता डेना, दादुरा–रुबेला महामारीके लाग पर्याप्त पूर्वतयारी तथा समयमे व्यवस्थापन÷सम्बोधन कैना, लक्ष्य प्राप्तीके लाग सहयोग ओ सम्बन्ध मजबुत बनैना बहस, पैरवी, सूचना संचार ओ सामाजिक परिचालनमे विशेष जोर डेना बा । स्वास्थ्य तथा जनसंख्या मन्त्रालयके सन २०२२ के तथ्याङक अनुसार सुदूरपश्चिम प्रदेशमे १६ प्रतिशत बालबालिका पूर्ण खोपसे बञ्चित रहल ओ ४ प्रतिशत बालबालिका खोप नइपाइल उहाँ जनैले ।
सक्कु तहमे एकरूपता नइरहल, शून्य खोप तथा ड्रप आउटके संख्या बह्रटी जैना, सुक्ष्मयोजना अद्यावधिक ओ पूर्ण खोप दिगोपना कार्यक्रम प्रभावकारी नइहुइना, खोपसे बचाई सेक्ना रोगके प्रकोप देखा परटी रहना, खोप खेर जैना दर उच्च, सक्कु तहमे खोपके कोल्डचेन व्यवस्थापन ओ गुणस्तर प्रभावकारी नइहुइना, विनियोजित क्रियाकलापके प्रभावकारी योजना, संचालनमे कमि स्वास्थ्य सेवाके कार्यक्रममे स्थानीय सरकारके अपनत्व मे कमि साथे प्राथमिकता नइडेना खोप कार्यक्रमके चुनौती रहल बा ।