थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत २७ कुँवार २६४८, अत्वार ]
[ वि.सं २७ आश्विन २०८१, आईतवार ]
[ 13 Oct 2024, Sunday ]

कहाँसे अइली गोचाली कहाँ जाइक लग ?

पहुरा | २२ फाल्गुन २०८०, मंगलवार
कहाँसे अइली गोचाली कहाँ जाइक लग ?

जब घरमे केक्रो मौट हुइठ टब छोटछोट ल्का पुछठैं कि बाबा हमार बुडी या बुडु मुके कहाँ चलगैल कैहके ? टब घरके बुजुर्ग मनै कहठैं कि टोर बुडु या बुडी मुके उप्पर चलगैनै टोंरैंमे । यी बात सुन्के ल्का अचम्म मन्टी चिपचाप होजैठैं । का यी बात, हम्रे लरकन ओस्टे फुस्लाइक लग कैहगैल हो या जात्तिसे हम्रे मुके उप्पर चलजैठी टोंरैंमे ? सवाल गहिर ओ जटिल बा । आब तर्क करि कि मनैनके जनम् कैसिके हुइठ कैहके ? जनमसे पैहले हम्रे कहाँ रहि ? जनमसे पैहले ओ पाछेक बात करि ओ जन्ना कोसिस करि कि यी सवाल हम्रहन ठोंरैंसम पुगाइठ कि नाइ ?

सबसे पैहले एक बच्चाके जनमके बात करि । कोइफें प्राणीके जनम बीजके शुरुवातसे हुइठ । बीज उपयुक्त वातावरणमे जनम लैके बारहठ् पौहरठ् ओ अपन जीवन लिला पुरा कर्टि मरजाइठ । यी बात हम्रे सबजहन पटै बा । आब बात आइल कि, यी बीज आइल कहाँसे ? जवाफ आइठ बीज हमार खानपिनसे बनठ । हम्रे जा जैसिन खैठी पिठी उहेसे हमार बीज (Sperm) बनठ । आब बात आइल हमार खानपीन कहाँसे आइठ टो ? सिधा जवाफ बा हमार खानपिन, धर्तीमे फरल फुलल अनाज पानीसे मिलठ । अस्टेके सवाल कर्टी जैबी टो ढर्टी काँसे आइल कना सवालफं आइठ ? यानिकी मिट्टीके सवाल आइठ । मिट्टी कैसिके बनल कना ?

मिट्टी यानिकी धर्ती हमार लग्गेक टोंरैयाँ, सुरजके एक अंश हो । हमार धर्ती दिन यानिकी सुरजके एक टुकरा हो । हमार धर्ती कौनो समय बर्ठि रहल दिन मसे उछिट्के आइल हो । यी समय अन्सार ढिरेढिरे ठन्डा हुइटी गैल । ठन्डा हुइना दौरानमे पानीक बाफ छोरटी सबसे पहिले खरानी बनल । उ खरानी पाछे माटी बनल । टब जाके उहे माटीमे बनस्पति जगतके जन्म हुइल । उ बनस्पति जगतमे फलफुल खेलल ओ उहे फलफुलहे खाइक लग कीरा काँटीन्के जन्म हुइल । उहे कीराकाँटी मन्सेक हम्रे मनुश्य प्राणीफे एक हुई । कीराकाँटी जाजा खैठैं, हम्रे फे उहे उहे खैठी ओ पिठी । फरक अत्रै बा कि हमारठे हुक्रन्से ढेर चेतना बा । हम्रे अपन दाना पानी जोगाइ जन्ठी ओ कीराकाटीन मारे जन्ठी ।

दिन यानिकी हमार सुरज एक टोंरंैया हो । आकाशमे रहल अरबौं खरबौ टोरैंमन्से हमार दिन, एक मध्यम आकारके टोंरैयाँ हो । उहे टोंरैयाँमसे हम्रहन चहना हरमेरके शक्ति (Energy) मिलठ । पेडपौढाहे चहना पानी, (H2O) यानिकी हाईड्रोजन ओ अक्सिजनके समिश्रण उहे टोरैयामे बनठ ।पेडपौढााहे खाना बनाईक लग चहना प्रकाश उहे दिनमसे आईठ । अपन चहना चीजहे पेडपौधाहुक्रे तोरैमसे लेहठै ओ फलफुलके रुपमे संचित शक्तिहे हम्रे अपन खानाके रुपमे लेहठी । अइसिके हमार आधार शीला टोंरैयमसे शुरुवात हुइल बिल्गठ । उहेमारे अपने हम्रे सबजे टोंरैयाके एक अंश हुइ ।

आइ आब डोसर तर्क करि एक विज्ञान रिसर्ज आर्टिकल का कहठ कि हमार मनैन्के जन्म टोंरंैमसे हुइल हो । आकाशमे रहल दिन, जोनह्याँ, टोंरै टुरुगंन ओ हमार शरीर ९७ प्रतिशत एक जैसे बा । ९७ प्रतिशत हम्रे अक्के चीजसे बनल बाटी । हमार शरीर ६५ प्रतिशत भाग अक्सिजन, १९ प्रतिशत भाग, कार्वन १० प्रतिशत हाईड्रोजन ओ ३ प्रतिशत भाग नाईट्रोजनसे बनल बा । टोंरंै हाईड्रोजन ग्यासके तातुल गोला हो । वहाँ हाईड्रोजन, हिलियम, लिथियम नाउँक हलुक ग्याँस दिन रात बर्टि बटंै ओ हलचल मचैटी बटंै । टोरैमसे निक्रल हलुक ग्याँस ढिरेढिरे ठण्डा हुइटी गरु ग्याँस अक्सिजन, कार्वन, नाईट्रोजन, फस्फोरसके रुपमे बन्टी गैनै ओ जटिल रुप लेहटी हमार शरीरके रचना हुइल । हमार खुनमे चहना आईरन तत्वके निर्माण उहे टोरैन्के गर्भमे हुइठ । फोक्साहे चहना अक्सिजन, मासमे रहना कार्वन, हमार हड्डीमे पाजैना क्यालसियम, यी सब टोरैन्के भिटटर बन्ना चीज हुइटंै । हमार सुर्य टो लोहराके एक गरम भट्ठी जैसिन बा । जैसिके एक लोहरा अपन गरम भट्ठीमे लोहाहे पिघाल्के मेरमेरिक औजार बनाइठ, ओस्टेके हमार सुर्य ओ टोंरैंन्के बीचमे जर्टि रहल आगीमे हमार शरीरहे चहना मेरमेरिक तत्वके निर्माण हुइठ ।

हमार शरीर आगी ओ पानी बीचके एक खेल हो । यी दुई चीजके संघर्षके क्रममे हम्रे उत्पन्न हुइल हुइ । सृष्टिके शुरुवातसे यी दुई तत्व बीच संघर्ष जारी बा । जहाँ जेकर अनुपात ढेर बा वहाँ ओकरे जीत हुइठ । आगीहे पानी बुझाइठ, पानीहे आगी भाप बनाके उराडेहठ । हमार शरीर यी डुनु चीजके सहि सहि मात्रा मिल्के बनल एक मेशिन हो । हमारमे ढेर आगी रही टो हम्रहन जारजुरी आजाइ ओ पानीक मात्रा ढेर रहि टो, हम्रहन सर्दी खोंकी लागके हम्रे बेमार परजाब । पानी आगीएके एक रुप हो । जैसिके आगीके एक अंश भाप बन्टी बुट्जाइठ ओस्टेके हमार सुरजफें एक दिन बुट्जाइ ओ धर्तीके स्वरुप ली । वहाँफें धर्ती हस जीवन लिलाके सिलसिला शुरु हुइ । हमारहस प्राणी, वहाँफें जन्म लिहही । वहाँफे सोनचाँदी, हिरामोती ओ खनिज पदार्थके बरे बरे पहार बनी । वहाँफे जनम ओ मृत्युके सिलसिला शुरु हुइ । सृष्टिके चक्र कबु नाइ ओराइ । आझ धर्तीमे, काल्ह दिनमे ओ परांै औरे टोंरैमे कर्टि जीवन आघे बर्हटि रही । फरक अटरै रहि कि ठण्डा ओ गरमके मात्रा काँहा केकर ढेर बा, उहे अन्सार जीवन चक्र आघे बर्हटि रही ।

ठण्डा ओ गरम बीचके संघर्ष हमार चारुओर बा । एक बर्टी रहल आगी बुटजाइठ । एक गरम चायके गिलास ठण्डा होजाइठ । इ क्रम सृष्टीमे अपने आप चलटी बा ओ लगातार चलटी रही । इहे दुई शक्ति बीचके संघर्षसे यहाँ हमार जीवन लिला चालु बा । हम्रे ताप (Heat) उत्पन्न कर्ना एक मेशिन हुइ । जीवन ताप हो कलेसे मृत्यु ठण्डा । हम्रे जिएटसम गरम रहब, मरजाव टो ठण्डा होजाब । इहे तापके बजहसे यहाँ परिवर्तन बा ओ समय बा । जहाँ परिवर्तन नाइ हो वहाँ समयफें नाइ हो । समय परिवर्तन नप्ना एक ईकाई किल हो । एकर अपन अलग्गे अस्तित्व नाइ हो । परिवर्तन खाली जगहमे (आकाश) हुइठ । विना आकाश समयके अस्तित्व असम्भव बा । आकाश ओ समय अक्के चीजके दुई रुप हुइटैं । उहेमारे एकर नाउँ स्पेसटाइम (Spacetime) ढैगैल हो ।

सृष्टीके विनाश ठण्डासे हुइसेकठ काहेकी जीवन कहल परिवर्तन हो । जहाँ परिवर्तन नाइ हो वहाँ जीवन नाइ हो । तापसे कोइ चीजके विस्तार हुइठ यानिकी परिवर्तन हुइठ कलेसे ठण्डासे संकुचन पैदा हुइठ । माइनस २७३ डिग्री सेन्टीग्रेडके तापमे चीज पुरारुपसे जम्के स्थिर होजाइठ । वहाँ कृया पुरारुपसे रुक्जाइठ । विना कृया जीवनफें रुक्जाइठ ।

परिवर्तन सदा गतिशील बा । परिवर्तनहे कोइ रोकेफे नाइसेकी । यी अग्रगामी चरित्रके बा । एकर तीर सदा आघे बर्हटि रहठ । पाछेओर चलना एकर गुण नाइ हुइस । अण्डा फुट्गैल टो फुट्गैल । उ कभी भी जोटके पैहलेक जैसिन हुइही नाइसेकी । बहटु पानी डुबारा लौटके नाइ आइट । उहे पानीमे डुबारा गोरा ढरे नाइ सेक्जाइठ । कोइ दुखद् घट्ना घट्गैल टो घट्गैल । उहिन डुबारा पैहलेक जैसिन कराइ नाइ सेक्जाइ काहेकी समय कहि या परिवर्तन, ओकर तीर सिर्फ आघे बर्हटि रहठ । उ पाछे मुडके नेगे नाइ जानठ । इहे अग्रगामी परिवर्तनके कारण यहाँ जनम ओ मौट बा । जनम ओ मौट सिर्फ परिवर्तन किल हो । इहे परिवर्तन संसारहे चलैटी बा । हमार शरीर बन्ना तत्व लाखौं बरस पहिले परिवर्तन हुइटीहुइटी आझ यी रुपमे आपहुँचल हो । हम्रे टो अणु ओ परमाणुके एक परिमार्जित रुप हुइटी । हम्रे अपन आदिम स्वरुपहे कैसिके जानेसेकब । पहिली बार छुर्पी डेखना मनै, कैसिके जानी कि यी दुध जैसिन नरम चीजसे बनल हो कैहके ?

एक मजबुत कपडा घाँसपात जैसिन नरम रेशादार बनस्पतिसे बनल हो कैहके उ कैसिके जानी, उ नाइ जानल बुझल मनैहे । हम्रेफें अस्टे हुइ । हम्रे अब्बे अपन वर्तमान स्वरुप किल डेखठी । यी स्वरुप कहाँसे आइल ? यहाँ आपुगटसम कौन कौन रुप लेहल कैहके हम्रे कैसिके जाने सेकब । उहेमारे कोइभी चीजहे न्युनतम आधारभुत तहसम हेरे सेक्लेसे किल हम्रे कोइभी चीजहे मजासे बुझे सेकब । हम्रे सुक्ष्म तहसम हेरेबेर हम्रे सब प्राणी ओ बनस्पति जगत एकही तत्वसे बनल बटी अणु ओ परमाणु तत्व । फरक अत्रै बा कि उहे चीज कोइ नरम, कोइ कडा, कोइ आगी, कोइ पानी, कोइ दाल भात तरकारी टो कोइ, अति संवेदनशील हमार हस मानव प्राणी बनगैल । कोइभी वर्तमान चीजहे बुझेक लग ओकर आघे ओ पाछेक स्वरुपहे बुझे सेकेपरठ ।

हम्रे अपने आपहे बुझेक लग हमार भौतिक शरीर निर्माणके साथसाथे हमार चेतना तत्वके सुक्ष्म रुपहे बुझना जरुरी बा । हमार शरीर ओ हमार चेतना निर्माणके स्रोत का का हुइटंै, उ नाइ जानट सम हम्रे सदा कौवाइल पत्ताइल रहबी, दोधारमे रहबी, सदा अलमलमे जीवन जिटि रहबी । परिवर्तन यानिकी मृत्युहे खुद सृष्टि कर्ताफें रोके नाइसेकी काहेकी ईश्वरफें समयसे बाहेर नाइ हो । उ खुद समय संगसंगे आघे बर्हटि बा । उफें समयके धारहे महशुस करटी बा । ईश्वर सृष्टि करे टो जानठ मने सृष्टिहे भंग हुइसे रोके नाइ सेकठ काहेकी परिवर्तन ईश्वरके हाँठसे बाहेरके चीज हो । ईश्वर खुद परिवर्तनसे जुझटी बा । परिवर्तन (समय) ईश्वरके सबसे भारी खोजके विषय हुइसेकठ । यिहे ईश्वरके सवसे भारी चुनौतिफे (समस्या) हुइसेकठ ।

यदि ब्रम्हाण्डमे ठण्डाके मात्रा ढेर बा कलेसे पुरा ब्रम्हाण्ड एकदिन बीग फ्रीज (Big freez) होके फ्रोजन डेथमे (Frozen death नाइ पुगी कैहके कहे नाइसेक्जाइ ओ तापके मात्रा ढेर ठहरी कलेसे हिट डेथमे (Heat death) सृष्टी नश्ट होजाइ । यी दुई तरीकासे सृष्टीके विनाश अवश्य भावी बा । इहिन कोइ शक्ति रोके नाइसेकी ।

वैज्ञानिकन्के एक तर्क आउर आघे आइठ कि यी ब्रम्हाण्डके रचना बहुत भारी धमाकासे हुइलक होे, जिहिन वैज्ञानिकहुक्रे विग व्यांगके (Big Bang) नाउँ डेले बटैं । जस्तेकी एक शक्तिसाली बम फुटठ टो ओकर भिटटरके चीज छिटराके दुरदुरसम पुगठ ओ दुरदुरसम फैलके विनाश करठ । ओस्टेके हमार ब्रम्हाण्डफें एक शक्तिसाली बमके तरह फुटके फैलटी गैल ओ अपन विस्तारके क्रममे आकाश लगायत सबचीजके सृजना हुइटीगैल ओ यी फैलना क्रम अभिनटक जारी बा । विस्फोटसे निक्रल फोर्स (Force) ढिरेढिरे ठण्डा हुइ लागल । ठण्डा हुइटी हुइटी एक दिन वस्तुके स्वरुप लेहे लागल । उ वस्तु गुरुत्वाकर्षण बलके कारण गोल आकारके भारी भारी पिण्ड बने लगनै । कोइ दिन, कोइ जोनहिँया, टोरंै टो कोइ धर्तीके स्वरुप लेहे लगनै । इ क्रम अभिन जारी बा । टोरंै भिटटर फ्युजन प्रकृया हुइठ जिहिसे हाईड्रोजन, हिलियम, लिथियम, बेरिलियम, अक्सिजन, कार्वन, नाईट्रोजन जैसिन तत्व बनठ जौन चीजसे हमार शरीर बनल बा । यहाँ टककी हमार डिएनएके रचनाफें हाईड्रोजन, अक्सिजन, नाईट्रोजन ओ फस्फोरस जैसिन चीजके समिश्रणसे बनल बा । डिएनए हमार शरीर निर्धारणके शुत्र हो ।

टोरंैन्के मौटके बाड यी सारा चीज, ब्रम्हाण्डमे छोरडेजाइठ ओ अपन आघेक सफर शुरु करठ । हम्रहन लागठ, हमार जनम लेनासेही हमार शरीरके निर्माण शुरु हुइल हो । लेकिन बात कुछ औरे बा । असलमे जौन चीजसे हमार शरीरके रचना हुइल बा, उ चीज, आझसे करोडौ बरस पैहले कोइ ना कोइ टोरैन्के गर्भमे बनसेकल रेहे । उ बस अपन यात्रा कर्टि कर्टि हमारठे आपहुचल किल हो । हमार यी दुनियासे जैनाके बाड, फेनसे उ अपन यात्रापर निकरजाइ ओ डोसर चीजके निर्माणमे जुट्जाइ । पदार्थ कभी नश्ट नाइ हुइठ । उ सिर्फ अपन रुप बदलठ । जस्तेकी हम्रे आझ कोइ टोंरंैन्के अंशसे बनल बटी । एक दिन फेनसे हम्रे अपन रुप बदलके कोइ डोसर टोंरंैन्के अंश बनजैबी । सृष्टिमे यी चक्र निरन्तर चल्टी रही ।

जानकी-२, खर्गौली, कैलाली

जनाअवजको टिप्पणीहरू