नेपालमे मनोसामाजिक अपांगतामे चुनौती ओ व्यवस्थापन
अपांगता हुइल व्यक्तिके अधिकारसम्बन्धी ऐन, २०७४ अनुसार अपांगता रहल व्यक्ति कहलेसे शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक वा इन्द्रियसम्बन्धी दीर्घकालीन अशक्तता, कार्यगत सीमितता वा विद्यमान अवरोधके कारण अन्य व्यक्ति सरह समान आधारमे पूर्ण ओ प्रभावकारी ढंगसे सामाजिक जीवनमे सहभागी हुइना बाधा हुइल व्यक्ति हुइट । अपांगताके यी परिभाषासे मनैनके बहु–आयामिक पक्षहे समेटले बा ।
हमार देशमे ‘मनोसामाजिक अपांगता’ शब्दावली अभिनफे नयाँ बा । यिहीहे गलत तरिकासे बुझ्न एवं कलंकके रुपमे लेना करजाइठ । मनोसामाजिक अपांगता मानसिक बिमारीके समानार्थक नइहो मने यिहीसे मानसिक समस्या अनुभव करल व्यक्तिहुकनहे समेटठ । मानसिक समस्या व्यहोरल जौनफे व्यक्ति दुराग्रह, कलंक, विभेद ओ दुव्र्यवहार भोग्न बाध्य हुइटी रहल बटै । अइसिन नकारात्मक सामाजिक दृष्टिकोण ‘मनोसामाजिक अपांगता’ शब्दावली प्रयोगके आधार बने पुगल हो ।
मानसिक समस्या रहल व्यक्तिहुक्रे, जेकर कारणसे नम्मा समयसम अपन काम, सम्बन्ध ओ सामाजिक जीवनमे अशक्तता पैदा करले बा । ओ जिहीसे भेदभावके साथे बहिस्कारसहित नकारात्मक सामाजिक कारकके अनुभव करले बटै । ओसिन व्यक्तिहे मनोसामाजिक अपांगता रहल व्यक्ति कहिके बुझजाइठ ।
मनोसामाजिक अपांगताके अवस्था ओ चुनौती
मनोसामाजिक अपांगता विश्व भर एक ठो गम्भीर स्वास्थ्य समस्याके रूपमे डेखल बा । टमान अनुसन्धानात्मक लेख ओ विश्व स्वास्थ्य संगठनके प्रतिवेदनसे मनोसामाजिक समस्याहे विश्वभरक बिमारीके बोझके एक ठो प्रमुख कारकके रूपमे औँल्याइल बा ।
नेपालके राष्ट्रिय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण, २०२० के अनुसार १० प्रतिशत वयस्कमे अपन जीवनकालके कौनो न कौनो समयमे ओ ४.३ प्रतिशत वयस्कमे हालके अवस्थामेफे मानसिक समस्या रहल पाइल बा । २.३ प्रतिशत वयस्कमे ओ ०.६ प्रतिशत किशोरकिशोरीमे उदासिनताके समस्या डेखल बा । ६.५ प्रतिशत वयस्कमे ओ ३.९ प्रतिशत किशोरकिशोरीमे हालके अवस्थामे आत्महत्याके सोच रहल बा । १.१ प्रतिशत वयस्क ओ ०.७ प्रतिशत किशोरकिशोरीसे अपन जीवनकालमे आत्महत्याके प्रयास करल तथ्यांकसे डेखाइठ ।
विश्वभर १३ प्रतिशत DALY (disability adjusted life year) मनोसामाजिक अपांगतासे निम्त्याइठ कना बाट टमान अध्ययनसे डेखैले बा । सन् २०२२ सममे DALY मे यकर योगदान १५ प्रतिशतसम पुगठ कना प्रक्षेपण करल बा । एक DALY कना अपांगताके कारणसे स्वास्थ्य–जीवनके एक वर्ष गुमैना कना बुझजाइठ ।
विश्व स्वास्थ्य संगठनके तथ्यांक अनुसार संसार भर हरेक चारमध्ये एक जनहनहे मानसिक समस्या रहठ । यी तथ्यांकहे आधार मन्ना हो कलेसे विश्व जनसंख्याके २५ प्रतिशत मनै कौनो न कौनो मेरिक मानसिक समस्यासे ग्रसित रहठ । नेपालके हकमे कटरा प्रतिशत जनसंख्यामे मानसिक समस्या बा कना तथ्यांक हाल उपलब्ध नइहुइलेसेफे जनसंख्याके ३० प्रतिशतमे कौनो न कौनो मेरिक मानसिक समस्या बा कना अनुमान लगाजाइठ ।
नेपालके राष्ट्र स्वास्थ्य नीतिसे मानसिक समस्याहे प्रमुख स्वास्थ्य चुनौतीके रूपमे लेले बा । ढेर अध्ययनसे नेपालमे मानसिक समस्यासे निम्त्यइना मनोसामाजिक अपाङ्गताके दर अइना वर्षमे बह्रटी जैना आँकलन करले बटै । यी अब्बेक सबसे डरलग्टी बाट हो ।
नेपालमे मनोसामाजिक अपांगताके प्रमुख चुनौतीके रूपमे आत्महत्या विकराल रूपमे आघे आइल बा । विश्व स्वास्थ्य संगठनसे २०१४ मे करल अध्ययन अनुसार, नेपाल जनसंख्याके अनुपातमे ढेर आत्महत्याके दर हुइना देशके सूचीके ७ सातौँ नम्बरमे बा । आत्महत्याके कारणहे केलैलेसे भर ९० प्रतिशत आत्महत्या मानसिक समस्याके उपज डेखल बा ।
विशेष करके युवा वर्ग (१५ से २९ वर्ष उमेर समूह) मे आत्महत्याके दर बहुट ढेर डेखल बा । नेपाल प्रहरीके तथ्यांकहे आधार मन्ना हो कलेसे गत १८ महिना (आर्थिक वर्ष २०७९/८० मे ६ हजार ९ सय ९३ जानेक आत्महत्याके कारणसे मृत्यु हुइल ।
नेपालमे आत्महत्याके कारणसे ह्ुइना मृत्युके सख्याहे ध्यान डेना हो कलेसे यकर संख्या दुर्घटनासे हुइना मृत्युके संख्यासे ढेर हुई आईठ । यी तथ्यांकसे नेपालमे आत्महत्याके जोखिम उच्च डेखल बा । ओ बेलामे सरोकारवालाहुक्रे यम्ने उचित कदम चाले पर्नाफे डेखल बा । आत्महत्या कम करेक लाग सर्वमान्य उपाय कहल मनोसामाजिक अपांगताहे उचित सम्बोधन कैना हो ।
अन्य अपांगता ओ मनोसामाजिक अपांगताबीचके सम्बन्ध
तथ्यांकमे हेर्ना हो कलेसे विश्वभरके १५ प्रतिशत जनसंख्या अपांगता हुके बाँच्टी रहल बटै । नेपालके हकमे भर कुल जनसङ्ख्याके १.९६ से ३.६ प्रतिशत व्यक्तिमे कौनो ना कौनो मरिक अपांगता रहल बाट टमान सर्वेक्षणसे डेखैले बा । अपांगता हुइल व्यक्तिहे सार्वजनिक रूपमे भेदभावपूर्ण व्यवहार ओ उपहास करल नम्मा इतिहास बा तसर्थ अपांगता हुइल व्यक्तिहुकनहे कम आत्मासम्मान, सामाजिकरूपमे बहिस्करण, आर्थिक रूपमे वञ्चित हुइल ओ समुदायमे आफ्नोपनके कमी महशुस हुइना करल पाजाइठ ।
यी बाटसे अपांगता हुइल व्यक्तिहुकनके मानसिक स्वास्थ्यमे प्रतिकूल असर परठै । यदि ओसिन हुइल खण्डमे और अपांगता हुइल व्यक्तिमेफे मानसिक समस्या हुइसेक्ना सम्भावना प्रबल रहठ ओ नतिजास्वरूप मनोसामाजिक अपांगताफे हुई सेकठ ।
अपांगता हुइल व्यक्तिमे मानसिक समस्या भारी चुनौतीके रूपमे डेखल बा । अपांगता हुइल व्यक्तिहुकनके कुल जनसंख्याके ३० प्रतिशतहे मानसिक अप्शब्द हुइना अध्ययनसे डेखाइठ, जौन सामान्य जनसंख्यामे हुइना सम्भावनासे ढेर हो । ओस्टे करके, और मानसिक समस्या ओ मादक पदार्थके दुव्र्यसनके जोखिम अपांगता रहल व्यक्तिमे उच्च डेखल बा । यी कारणसे ओइनमे मनोसामाजिक अपांगता निम्ते सेकठ ।
अन्य अपांगता हुइल व्यक्तिमे मनोसामाजिक अपांगतासे ओइने दोहोरो मारमे परठै । एका ओर अपन अवस्थाके कारणसे ओइने सामाजिक रूपमे बहिष्करण अनुभव करटी रहल बटै कलेसे ओम्ने मनोसामाजिक अपांगतासे थप सामाजिक भेदभाव, उपेक्षा, लाञ्छना खेपे परठ । तसर्थ, सामान्य जनसङ्ख्यासे अन्य अपांगता रहल व्यक्तिमे मनोसामाजिक अपांगताके जोखिम ढेर विल्गाइठ ।
मनोसामाजिक अपांगता रहल व्यक्तिहुकनके मानव अधिकार
विश्वभर मनोसमाजिक अपांगता रहल व्यक्तिहुक्रे अपन नागरिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक ओ सामाजिक अधिकारके उल्लंघन हुइल महशुस करठै । ओसिन समस्या विकसित देशसेफे निम्न ओ मध्यम आय रहल देशमे विकराल बटै । नेपाल लगायत १८ ठो निम्न तथा मध्यम आय रहल देशमे मनोसामाजिक अपाङ्गता रहल व्यक्तिहुकनके मानव अधिकारके बारेमे हुइल एक ठो अध्ययन अनुसार निम्न मानव अधिकारके उल्लङ्घन हुइना करल पाजाइठ ।
सामाजिक बहिष्करण ओ भेदभावपूर्ण व्यवहार
रोजगारीके हक ओ अवसरमे निषेध या प्रतिबन्ध, शारीरिक शोषण/हिंसा, मानसिक स्वास्थ्य सेवाके पहुँचमे समस्या, यौन शोषण÷हिंसा, गैरकानुनी रूपमे हिरासतमे लेना कार्य हुइल बा । बिहेबारीके अवसरसे वञ्चित कैना, स्वतन्त्ररूपसे जीयक लाग साधनके कमी, सामान्य स्वास्थ्य सेवासे वञ्चित कैना, आर्थिक शोषण हुइल बा । ओस्टेक करके कौन कौन परिवेशमे मनोसामाजिक अपांगता रहल व्यक्तिहुकनके उप्पर उल्लेखित मानव अधिकार उल्लंघन हुइठ कना सवालमे निम्न परिवेश पहिचान करल बा ।
दैनिक जीवनमे हुइना सामुदायिक परिवेश, घर ओ पारिवारिक परिवेश, काम कैना ठाउँ, मानसिक स्वास्थ्य सेवा लेना ठाउँ ओ संस्था, अस्पताल, कारागार, प्रहरी ओ कानुनी व्यवस्था, सरकारी कार्यालय, विद्यालय ओ शैक्षिक क्षेत्रमे अपांगता हुइल व्यक्तिहुकनके अधिकार सम्बन्धी संयुक्त राष्ट्रसंघीय सम्मेलनके हस्ताक्षरकर्ता देश हो । नेपालके नयाँ संविधानसेफे अपांगता हुइल व्यक्तिहुकनके अधिकारहे मौलिक हकके रूपमे समावेश करल बा ।
यी संवैधानिक प्रावधान ओ अन्तर्राष्ट्रिय दायित्वके साथे कर्तव्यसे सरकारहे अपांगता रहल व्यक्तिके अधिकार सुनिश्चित करे पर्ना वाध्यता बा । मनोसामाजिक अपांगता और अपांगता जस्टे सहजुले पहिचान कैना गाह्रो हुइना करल कारणसे मनोसामाजिक अपांगता रहल व्यक्तिहुकनके अधिकार सुनिश्चित कैना बहुट चुनौतीपूर्ण काम बा ।
मनोसामाजिक अपांगताके व्यवस्थापन
मनोसामाजिक अपांगता व्यक्ति, समाज ओ राष्ट्रहे भारी बोझ रलेसे फेन यम्ने नगण्य काम हुइल बा । नेपाल सरकार मानसिक स्वास्थ्यहे डेना महत्व सरकारसे मानसिक स्वास्थ्यहे विनियोजन करना बजेटसे स्पष्ट बा, जोन कुल स्वास्थ्य बजेटके १ प्रतिशतसे फेन कम हुइठ । मनोचिकित्सक, मनोविद् ओ मनोविमर्शकर्ता अँग्रीमे गने सेक्ना संख्यामे बटैं । तसर्थ, सर्वप्रथम मानसिक स्वास्थ्य ओ मनोसामाजिक अपांगताहे सरकार प्राथमिकतामे ढरे परल । ओकर लाग जोडतोडसे यीसम्बन्धी नीति, कानून ओ कार्यक्रम नानेपरल । उपलब्ध मानव स्रोतके उचित व्यवस्थापन कैके यीसम्बन्धी पढाइ ओ अनुसन्धानके एकडम खाँचो बा ।
सर्वसाधारणमे यीसम्बन्धी कम ज्ञान ओ कमे मर्म व्याप्त बा, यिहिनसे मनोसामाजिक अपांगताहे मनै पूर्वजन्मके पाप ओ कलंकके रूपमे लेठैं । अइसिन गलत धारणासे समस्याके समाधान हुइनासे फेन बढावा मिल्ना काम करल बा । तसर्थ, व्याप्त अइसिन भ्रमहे चिर्न व्यापकरूपमे समुदायमे जनचेतना फैलैना कार्यक्रम सञ्चालन करे परना टड्कारो खाँचो बा । घर परिवार, छिमेक ओ समुदायके व्यक्ति सम्मिलित समुदायमे आधारित मानसिक स्वास्थ्यके अवधारणाहे सब ठाउँमे कार्यान्यवनमे लैजाइ परठ । अइसिन करलेसे समुदायके मनैन्हे मानसिक स्वास्थ्य ओ मनोसामाजिक अपांगताके बारेमे जिम्मेवार बनाइ सेकजाइठ । मानसिक ओ मनोसामाजिक अपांगता फेन समाधानके साथे व्यवस्थापन करना सहजिल रहठ ।
मनोसामाजिक अपांगताके जोखिम अन्य अपांगता रहल व्यक्तिमे ढेर रहल ओरसे ओइसिन व्यक्तिहुकनके मानसिक स्वास्थ्यहे विशेष प्राथमिकता डेके मानसिक समस्याके सुरु अवस्थामे पहिचान, निदान ओ निवारण करना कार्यक्रम सञ्चालन करेपरठ । अस्टेक, जोखिमयुक्त किशोर–किशोरी, युवा वर्ग, जेष्ठ नागरिक ओ गर्भावती महिलाहे फेन प्राथमिकता डेके मानसिक समस्याके स्क्रिनिंग कैके उपयुक्त कदम चाले परल ।
अन्त्यमे, मनोसामाजिक अपांगता हमार देशमे गम्भीर समस्याके रूपमे आघे आइल बा । अपांगताके बाट करेबेर मनोसामाजिक अपांगताहे फेन प्राथमिकताके साथ स्थान डेहे परल । जनमानसमे यीबारेके छलफल व्यापक बनाके यीबारेके सूचनाहे उचितरूपमे प्रचारप्रसार कैके व्याप्त भ्रमहे चिरे परल ।
सरकारी तवरसे यीसम्बन्धी उचित नीति ओ कानून बनाके ओकर कार्यान्वयनमे तदारुकता देखाइ परल । सामुदायिक ओ व्यक्तिगत तवरसे यीसम्बन्धी उचित सूचना लेके मनोसामाजिक अपांगता रहल व्यक्तिहुकनहे समानुभूति प्रदान कैके उहाँहुकनके पुनःस्थापनामे सहयोग करे परल ।
लेखक खाती कोसिस संस्था कैलालीके पैरवी अधिकृत हुइट ।