लोप हुइटी रहल भाषा संस्कृतिप्रति चिन्ता

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, ८ बैशाख । आदिवासी जनजाति थारु समुदायके लोप हुइटी रहल लोक कला, भाषा संस्कृतिप्रति एक कार्यक्रमके सहभागीहुक्रे चिन्ता व्यक्त करले बटैं ।
थारु लेखक संघ, नेपाल धनगढी कैलालीके शनिच्चरके रोज हुइल डुसरा अधिवेशन कार्यक्रमके सहभागीहुक्रे आपन धारणा रख्टी चिन्ता व्यक्त करल हुइट ।
रानाथारु डटकमके सञ्चालक नन्दलाल राना रानाथारु लोक कला भाषा संस्कृति दिनदिने हेरैटी गैल बटैलै । ‘कुछ समय पहिले रानाथारु समुदायके टरटिहुवार चालचलन अनुसार मनाइट, समय अनुसार गीतबाँस ओ नाचकोर फेन करिट,’ उहाँ कहलै, ‘अब्बे लावा पुस्ता उहीहे बिस्रैटी गैल बा, यहाँसम कि अब्बे रानाथारु समुदायके लोकप्रिय टिहुवार होरीमे नाच जैना होरी नाचके लाग डंका बजुइया ओ नचुइया मनै खोज्ले नैमिल्ठै ।’
ओस्टके रानाथारु भाषा फेन हेरैटी गैल प्रति उहाँ चिन्ता व्यक्त करल रहिट । ‘रानाथारु समुदायके जनसंख्या घट्टी गैल बा, उहीसे बोली भाषामे फेन असर परल बा’, उहाँ कहलै, ‘इ समस्याप्रति समयमे ध्यान नैडेलेसे रानाथारु समुदायके लोक कला, भाषा संस्कृति हेरैना समय नैलागी ।’
उहाँ रानाथारु समुदायके बारेम लिखुइया पह्रुइया व्यक्ति फेन कम मात्रामे रहल ओरसे मिडिया सञ्चालनमे फेन समस्या आइल बटाइल रहिट । ओस्टके उहाँ रानाथारु समुदायके लोप हुइटी रहल लोक कला भाषा संस्कृति संरक्षणमे एकजुट होके लागे पर्ना बटाइल रहिट ।
पहुरा थारु दैनिकके सम्पादक प्रेम चौधरी थारु भाषाके पत्रिका चलैना चुनौती रहल बटाइल रहिट । उहाँ थारु भाषाके लेख रचना नैहोके दैनिक पत्रिका सञ्चालनमे चुनौती थपल बटाइल रहिट । उहाँ कहलै, ‘पहिले समय सन्दर्भ अनुसार लेखकहुक्रे पत्रिकाके लाग लेख रचना लिखके पठाइट, मने कुच बरस यहोर लिखुइया व्यक्ति फेन निश्क्रिय जैसिन हुइल लागठ् ।’
पत्रपत्रिका फेन लोक कलाभाषा संस्कृतिहे दस्तावेजीकरण सहित संरक्षण सम्बद्र्धनमे टेवा पुगैना हुइल ओरसे उहाँ सक्कु लेखकहुक्रनहे थारु भाषामे लेख रचना लिखके मिडिया सञ्चालनमे सहयोग कैना आग्रह करल रहिट ।
थारु नागरिक समाजके दिलबहादुर चौधरी आपन रीति रिवाज छोर्टी जैना मने आनकहे अंगल्टी गैल ओरसे थारु संस्कृति लोप हुइटी गैल बटाइल रहिट । थाकस कैलालीके पूर्व कार्यवाहक सभापति माधव चौधरी लोप हुइटी रहल भाषा संस्कृतिहे बचाइक लाग युवा पुस्ता लागे पर्ना बटाइल रहिट ।
थारु लेखक संघ नेपालके केन्द्रीय अध्यक्ष डा. कृष्णराज सर्वहारी थारु लोक कला, भाषा संस्कृति संरक्षण कैना सक्कु जनहनके दायित्व रहल बटाइल रहिट । ‘थारु भाषा संस्कृति संरक्षण सम्बद्र्धन कैना सबसे बरवार जिम्मेवारी थारु समुदायके हो’, उहाँ कहलै, ‘हम्रे आपन समुदायके रीति संस्कृति सम्बन्धी लेख रचना लिखके हुइठ् कि कौनो म्युजिक भिडियो, डकुमेन्ट्री बनाके हुइठ् उ सक्कु हमार जिम्मेवारी हो ।’
