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लोक नृत्य संरक्षण कैना सखिया नाँच सिखैटी

पहुरा | १६ बैशाख २०८१, आईतवार
लोक नृत्य संरक्षण कैना सखिया नाँच सिखैटी

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, १६ बैशाख ।
कैलाली जिल्लाके गौरीगंगा नगरपालिका वडा नम्बर १० मे रहल नुक्लीपु्र सामुदायिक होमस्टेमे शनिच्चरके रोजसे सखिया नाँच सुरु हुइल बा ।

सुदूरपश्चिम प्रज्ञा प्रतिष्ठान धनगढीके आयोजना ओ नुक्लीपुर सामुदायिक होमस्टेके सहकार्यमे १५ दिने सखिया नाँच तालिम तथा सामाग्री वितरण कार्यक्रम सुरु हुइलक हो । परम्परागत लोक नृत्य संरक्षणके लाग सखिया नाँच तालिमके आयोजना कैगिलक नुक्लीपुर सामुदायिक होमस्टेके अध्यक्ष दिनेश थारु जनैलै । उहाँ तालिम पश्चात सहभागी रहल ३० जनहनहे २० ठो थारु लेहंगा, ३० ठो मन्जिरा ओ ३० ठो चोलिया हस्तान्तरण कैना जनैलै ।

बैशाख २९ गतेसम हुइना सखिया नाँचके अगुवाई ६५ बर्षिय गोटियादेवी चौधरी करटी रहल बटी । १५ दिनसम सखिया नाँचके मेरमेराइक खोटमे तालिम करैना अगुनिया चौधरी बटैली ।

सुदूरपश्चिम प्रज्ञा प्रतिष्ठान धनगढीके उपकुलपति डा. टिएन जोशीके अध्यक्षतामे हुइलक तालिम उदघाटनके बरका पहुना सुदूरपश्चिम प्रदेशसभा प्रदेश सदस्य प्रकाशबहादुर बम रहल रहिट । कार्यक्रममे सम्बोधन कैटी उहाँ थारु समुदायके पौराणिक नाँच लोप हुइटी रलक ओरसे पहिचानहे जोगाइक लाग उ मेरिक संस्कृति संरक्षण कैना आवश्यक रहल बटैली ।
कौनोफे समुदायके समुदाय पहिचान ओइनके भाषा, कला, संस्कृति हो,‘ उहाँ कहलै, ‘थारु समुदायके अपन भाषा, छुट्टै कला, संस्कृति बा । कला संस्कृतिमे धनी समुदाय हुइट मने अब्बे बहुट संस्कृति लोप हुइटी रहल ओरसे उहीहे भावी पुस्ताके लाग जोगाई पर्ना जरुरी बा ।’

तालिमके अगुवाईफे बायोवुद्धा ६५ बर्षिय अटियादेवी चौधरीसे करटी रहल ओरसे उहाँ खुशी व्यक्त करलै ।
उहाँ कहलै, ‘हमार पुर्खनथेन ढेर ज्ञान सीप बा । मने लौव पुस्तामे हस्तान्तरण हुई नइसेकठो जेकर कारण पुर्खाहु्क्रे विटके गैलेसे उ ज्ञानसीपफे अपनसंग लेके गैल बटै । परम्परागत लोक नृत्य हस्तान्तरण हुई नइसेक्लेसे विस्तारे विस्तारे पहिचानहे लोप हुइना प्रदेशसभा सदस्य बम बटैलै ।

सखिया नाँच तालिमके उदघाटन कार्यक्रममे गौरीगंगा नगरपालिकाके नगरप्रमुख देवीदत्त कँडेल, उपप्रमुख भोजबहादुर बम, वडा–१० के वडाअध्यक्ष नरसिंह सार्की, नुक्लीपुर गाउँक भल्मन्सा राजु चौधरीलगायत उपस्थिति रहल रहे ।

सखिया नाँच कैसिक नाँचजाइठ ?

सखिया शब्द सखी+आ से बनल हो । यकर अर्थ साधी वा सर्वांगिनी हो । यी शब्द कान्हा (कृष्ण) ओ राधा अथवा राधा ओ उहाँक सगिनी अन्य गोपिनीके सन्दर्भमे आइल बा । डसियाके खुसियालीमे संघरीया आइट कना अर्थमे सखियाके प्रयोग हुइल बा । सखिया थारू लोकभागवत् पुराण हो । यी थारू जातिमे डस्या टिहुवारमे थारू महिलासे पैना बृहत् काव्य कोटीमे परठ । यी सामूहिक नृत्यके साथ गाजाइठ । सखिया वृहत काव्य रहल ओरसे डस्या अइनासे एक महिनाआघेसे सिख्ना सिखैना या यम्ने एक ठो गुरु (मोरिन्या ओ पचान्या)से सिखैठी । उहे मोरिन्यासे औहरूबाट अन्य नर्तकीहरूले सिक्छन् । यो डस्याको नवमी अर्थात् गवल्या टीकाको दिनदेखि सार्वजनिक रूपमा नाच्ने÷गाउने चलन छ । सख्याको आरम्भ समरौटीबाट हुन्छ, जस्तै ः
डानु डाडा डानु री डाडा डानु डरीउना भली र
सखी र डानु री डाडा डरीउना री कहिले
तोही मै समीरौं सरस्वती मैया
सखी र सरस्वती मैया स्यावा री मोरी लेओ

समरौटी कहल मंगलाचरण हो । यम्ने सखिया नाँच सफलतापूर्वक सम्पन्न होए कहिके देवी देउटाके आधाराण करल बा । यैसिन समरौटी बरका नाँच, बरकीमार करेबेरफे गैना चलन बा । सखियाके मूलकाव्य भागवत् पुराण हो । यम्ने ब्रह्माण्डसे कृष्णसे कंसवधसमके आख्यान जाइठ । सखियामे गाउँमे उपलब्ध लउण्डीनके आधारमे दस–बीससे चालीस–पचास जानेसम थारू लउण्डी सहभागी रहठै । लहरमे ठरहयाके नाँच्ना सख्या नाँचके सहभागी बठिन्या चोल्या, गोल्या परम्परागत गरगहनामे सजल रहठै । प्रत्येक नचुनियाके हाथमे रङगीन पताकासा मजिरा रहठ । नचुनियाहुक्रे मडरीयानके मन्डरक तालमे नच्ठै ।

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