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‘ परम्परागत प्रथा संरक्षणके लाग भल्मन्सन तालिम ’

भल्मन्सा ऐनहे आघे बह्राबः मन्त्री रावल

पहुरा | ४ असार २०८१, मंगलवार
भल्मन्सा ऐनहे आघे बह्राबः मन्त्री रावल

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, ४ असार ।
सुदूरपश्चिम प्रदेश सरकारके विना विभागिय मन्त्री अक्कलबहादुर रावल प्रदेश सरकारहे बुझागिल भल्मन्सा ऐनके मस्यौदाहे गम्भीरता पूर्वक लेहल ओ आघे बह्रैना बटैले बटै ।

सुदूरपश्चिम प्रज्ञा प्रतिष्ठानके आयोजनामे पहुरा मिडिया प्रालिके सहजीकरण ओ गोदारी÷गौरीगंगा नगरस्तरीय भल्मन्सा समितिके समन्वयमे परम्परागत प्रथा संरक्षणके लाग कैलालीके गोदावरी नगरपालिका ओ गौरीगंगा नगरपालिकाके बरघरहुँक्रन सोम्मारके रोज चौमालामे डेगिल एक दिने तालिम उदघाटन कार्यक्रममे उहाँ उ बाट बटवाइल रहिट ।

तालिमके बरका पहुना रहल उहाँ सुदूरपश्चिम प्रदेश सरकारमे पेश हुइलक बडघर÷भल्मन्सा ऐनके मस्यौदाहे आघे बह्राइक समन्वय कैके आघे बह्रना बटैलै ।

थारु समुदायके पहिचान घर ओ चुल्हासे सुरु हुइना कहटी मजा परम्पराहे संरक्षण कैना ओ नैमजा परम्पराहे परिमार्जन कैना जरुरी रहल मन्त्री रावल बटैलै । थारु समुदायके मजा पक्ष मिलजुलके काम कैना, संयूक्त परिवार रहना, ठोरचे खैनाचिजहेफे बाँटचुटक खैना ओ जा बाट कहना उ काम इमान्दारी पूर्वक कैना समुदाय रहल बटैलै ।

भल्मन्सा प्रथामे सिङगो समाजके इतिहाससे जोरल बा,’ मन्त्री रावल कहलै, ‘यिहीहे प्रदेश सरकारसे जोगैही पर्ना हो । सरकार यिहीहे सम्पतिके रुपमे लेले बा । भल्मन्सा चयन कैना प्रणाली लोकतान्त्रिक सुन्दर संस्कार बा, उहीहे सरकारसे कानूनी मन्याता डेना परल ।’

उहाँ कहलै, ‘थारु समुदायके अलग पहिचान, कला संस्कृति बा, घरके बनावट फरल बा, मने सुरक्षाके नाउँमे पक्की घर बन्ना क्रममे पौराणिक घर हेराई लागल बा, पहिचानहे बचाइक लाग उहीहे जोगैना जरुरी बा ।’

तालिम उदघाटन कार्यक्रमके विशिष्ट पहुना सुदूरपश्चिम प्रदेश सरकारके माननीय गीता चौधरी समाजमे भल्मन्साहुँक्रे निशुल्क सेवा डेटी आइल बटैली । उहाँ कहली, ‘भल्मन्सा मार्फत ढेर विवाद मिलजाइठ, मेरमेह्याइक सामाजिक कार्य वेगारी, कचहरीके लाग मनै जुटा डेहक लाग भल्मन्साहुकनहे प्रयोग हुइना मने उहाँहुकनके करल कामहे कानूनी मन्यता नैडेहल हो ।’

समय अब्बे ढयार फडको मारस्याकल कटी भल्मन्साहुकनहे विचार कैके निर्णय कैना उहाँ आग्रह करली । मस्यौदा समितिके सदस्यसमेट रलक उहाँ सुदूरपश्चिम प्रदेश सरकारहे बरघर/भल्मन्सा ऐनके मस्यौदा बुझासेकल कहटी उहीहे पारित करक लाग अपने सदनमे आवाज उठैटी रहना बटैली ।

सुदूरपश्चिम प्रज्ञा प्रतिष्ठानके उपकुलपति डा. टिएन जोशीके अध्यक्षतामे हुइल कार्यक्रममे ऐन संशोधनके लाग प्रदेश सरकारमे पेश करल उ पास हुइलेसे सक्कु जात जातीके विभाग हेर्ना अलग अलग मनैके व्यवस्था हुइना, भाषा, कला, संस्कृतिलगायत टमान विभाग रना बटैलै ।

अपनहे सुदूरपश्चिम प्रदेशके पहिल उपकुलपति डेहल ओरसे अपन कर्म बचनसे भ्याइटसम नैतिकतामे रहिके काम कैना उहाँ बटैलै ।

उहाँ कहलै, ‘थारु समुदाय प्राचिन उ समुदाय हो, बरघर/भल्मन्सा प्रथा परापूर्वकालसे चल्टी आइल हो । सुदूरपश्चिम प्रदेशमे थारु समुदायके अलग धारके बहस कैना हो कलेसे अपूर्ण रही । यी क्षेत्रके प्राचिन पुरान आदिबासी हुइट थारु समुदाय हुइट । कैलाली कञ्चनपुरमे उहाँहुकानके बसोबास स्वामित्व ढेर बा ।’

बरघर÷भल्मन्साके अधिकार कुण्ठित कैना, अधिकारहे पहिचान करे नइसेक्लेसे सरकारके दायित्व ओ कर्तव्य पुरा हुई नइसेक्ना डा. उपकुलपति जोशी बटैलै ।

हमार संस्कृति लोप हुइटी बा, मौलिकता गुम्टी रहल बा, हमार पहिचान ओ परम्परा गुम्टी रहल बा । बरघर/भल्मन्सा प्रथा बैदिक सभ्यताहे उजागर करले बा । सेनामे रना चेन अफ कमाण्ड थारु समु्दायमे बा । भल्मन्सासे करल निर्णय सक्कु मन्ना प्रचलन बा ।’ वरघर/भल्मन्साह्ुकन तालिम पहलमानपुर ओ जोशीपुरमे डेसेकल कहटी यकरपाछे कञ्चनपुरके गुलारियामे कैना उहाँ बटैलै ।

तालिममे सहजीकरण थारु समुदायके विज्ञ डा. गोपाल दहित, पहुरा मिडिया प्रालिके अध्यक्ष स्माइल चौधरी, गौरीगंगा नगरपालिकाके कानून अधिकृत जयन्द्र ठकुल्ला करल रहिट ।

तालिममे गोदावरी नगरपालिका ओ गौरीगंगा नगरपालिकाके ८५ जाने बरघरहुँक्रनके सहभागिता रहे । तालिम उदघाटनके संचालन पत्रकार दिनेश दहित करल रहिट ।

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