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बेचबिखनके जोखिममे परल ३८० महिलाके उद्दार

पहुरा | २३ श्रावण २०८१, बुधबार
बेचबिखनके जोखिममे परल ३८० महिलाके उद्दार

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, २३ सावन ।
सुदूरपश्चिममे मानव बेचबिखन तथा ओसारपसारके घटनामे कमी हुइ नैहो । मानव बेचबिखन रोकथाममे काम करटि रहल माइती नेपाल सुदूरपश्चिमसँग जोरल सीमा नाकासे बेचबिखनके जोखिममे परल महिलाके उद्दार करटि आइल बा ।

४ वर्षके अवधिमे माइती नेपाल धनगढी तीन सय ८० महिलाके उद्धार करले बा । आर्थिक वर्ष २०७७/७८ मे ७६ महिलाके उद्दार करले रहे । उमध्ये २ जाने महिलाके भारतसे उद्दार करल रहे । आर्थिक वर्ष २०७८/७९ मे भर १०४ महिलाके उद्धार करल माइती नेपाल धनगढी जनैले बा । अस्टेक आर्थिक वर्ष २०७९/८० मे ९६ महिलाके उद्धार करले रहे कलेसे आर्थिक वर्ष २०८०/८१ मे १ सय ४ महिलाके उद्धार करले बा ।

मानव बेचबिखनके चपेटामे बालबलिका समेत परना करल पाइल बा । ४ वर्षके अवधिमे १७३ बालबालिकाके समेत उद्धार करल बा । आर्थिक वर्षमे २०७७/७८ मे ३३ बालबालिके उद्धार करल बा । उमध्ये २ जाने बालबालिकके भारतसे उद्धार करल बा । आर्थिक वर्ष २०७८/७९ मे बह्रके ५३, २०७९/८० मे भारतसे एकसहित ४५ ओ आर्थिक वर्ष २०८०/८१ मे ४२ बालबालिके उद्धार करल माइती नेपाल धनगढी जनैले बा ।

माइती नेपाल धनगढीके संयोजक शिवचरण चौधरीके अनुसार पाछेक समय कुछ व्यक्ति मानव ओसारपसार जैसिन आपराधिक गतिविधिमे सक्रिय रहल बटैलैं । भारतमे काम लगाडेना प्रलोभन देखाके लैजैना करल संयोजक चौधरी बटैलैं । फेसबुक, इमो, भाइबरलगायत सामाजिक सञ्जालमार्फत बालबालिका ओ महिलाहे भुलाफुस्लाके सीमानाका कटैना करल समेत पाइल बा ।

सामाजिक सञ्जालमार्फत प्रेममे पारके विवाहके प्रलोभन देखाके भारतमे लैजाके बेच्ना करल उहाँ बटैलैं । गरिबी तथा बेरोजगारीके कारण ढेरजैसिन युवती, महिला तथा बालबालिका मानव बेचबिखनके जोखिमा परना करल उहाँक अनुभव बा । मने पाछेक समय मानव बेचबिखनके घटनामे कमी आइल सुदूरपश्चिम प्रदेश प्रहरी कार्यालय धनगढीके प्रहरी वरिष्ठ उपरीक्षक दिल्लीराज बिष्ट बटैलैं ।

बिटल ३ वर्षके अवधिमे सुदूरपश्चिममे २५ ठो मानवबेचविखनके मुद्दा दर्ता हुइल बा । आर्थिक वर्ष २०७८/७९ मे ५, २०७९/८० मे बह्रके १२ ओ आर्थिक वर्ष २०८०/८१ मे ८ ठो मानव बेचविखनके मुद्दा दर्ता हुइल प्रदेश प्रहरी कार्यालय धनगढी उपलब्ध करैना तथ्याकंमे उल्लेख बा । मानवबेचविखन तथा ओसारपसार सम्बन्धी कसुर करना व्यक्तिहे मानव बेचविखन ओसारपसार (नियन्त्रण) ऐन २०६४ के १५ ९१० के खण्ड (घ), च ओ ज के उपदफा ६ तथा दफा २४ मे ३ वर्षसम कैद तथा ३० हजारसमके जरिवाना हुइना कानुनी व्यवस्था रहल बा ।

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