थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत २९ बैशाख २६४९, सोम्मार ]
[ वि.सं २९ बैशाख २०८२, सोमबार ]
[ 12 May 2025, Monday ]

सुदूरपश्चिममे गौरा पर्वके रौनक

पहुरा | १० भाद्र २०८१, सोमबार
सुदूरपश्चिममे गौरा पर्वके रौनक

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, १० भदौ ।
सुदूरपश्चिमके मौलिक पर्व गौराके रौनक बह्रल बा । गौरासंगे यी पर्व मनैना घर लौटुइयाके सीमा नाकामे भिडभाड बह्रल बा ।

लम्मा समयसम रोजगारीके सिलसिलामे भारत गैल प्रदेशीहुक्रे घर फिर्ता हुइल बटै । गौराके लाग दार्चुला, बैतडी, कैलाली ओ कञ्चनपुर सीमा नाकासे स्वदेश लौटुइयाके सख््या बह्रटी गैल पाइल हो ।

सोम्मारसे टमान जिल्लाके गौरा मन्दिरमे पूजा आराधनासंगे देउडा खेलहुक्रे सुरु हुइल बटै । खास करके डोटी, डडेल्धुरा, दार्चुला ओ बैतडीमे यी पर्वहे ढेर महत्व डेना करल बा । यी संगे पहाडी जिल्लासे कैलाली ओ कञ्चपुर झरल स्थानीयसे सोम्मारसे टमान ठाउँमे देउडा भार खेल्टी रहल बटै ।

प्रदेशके राजधानी रहल धनगढीमेफे गौराके रौनक बहुट बह्रल बा । धनगढीमे वनदेवी मन्दिर, शिवपुरी धाम, खुला मञ्च लगायतके ठाउँमे पूजासंगे देउडा खेल हुइटी रहल बा ।

यिहेबीच सुदूरपश्चिम प्रज्ञा प्रतिष्ठान ओ डेउडा प्रतिष्ठानसे संयुक्त रूपमे धनगढी खुलामञ्चमे सुदूरपश्चिम गौरा महोत्सव तथा विद्यालयस्तरीय देउडा प्रतियोगिता सञ्चालन करले बा ।

प्रज्ञा प्रतिष्ठानके उपकुलपति डा. टिएन जोशीसे गौराके महत्व ओ सांस्कृतिके जगेर्ना कैना उदेश्यसे महोत्सव आयोजना करल बटैले बटै । उहाँक अनुसार महोत्सव सोम्मारसे ३ दिनसम सञ्चालन हुइना बा । यी बाहेक गौराके अवसरमे सुदूरपश्चिमक टमान जिल्लाके टमान ठाउँमे महिला पुरुषके अलग अलग देउडा ओ सामूहिक देउडा सञ्चालन हुइटी रहल बा ।

भदौ शुक्ल वा कृष्ण पक्षमे मनैना सुदूरपश्चिममे मुख्य पर्वके रूपमे मनैना गौराके अवसरमे बसाइँसराइ करके गैलहुक्रे अपन थातथलोमे लौटना करठै । पहाडी समुदायमे गौराके समयमे देवीदेवताके मन्दिर तथा गौराखालो (मन्दिर परिसर) मे खेल हुइना ओरसेफे बसाइँसराइ करुइयाफे पुर्ख्यौली थलोमे लौटना करल हुइट ।

जनाअवजको टिप्पणीहरू