थारु÷रानाथारु समुदायके प्रतिनिधित्व सम्बन्धी मुख्यमन्त्रीहे प्रतिवेदन बुझागिल

पहुरा समाचारदाता
कैलाली, २२ कार्तिक । सुदूरपश्चिम प्रदेश निजामती सेवा ऐन (पहिल संशोधन २०८०) मे थारु, रानाथारु समुदायके प्रतिनिधित्व सम्बन्धमे गठित सुझाव समितिसे विफेक रोज मुख्यमन्त्री कमलबहादुर शाहहे प्रतिवेदन बुझैले बा ।
समितिसे सरोकारवाला निकायसंग छलफल कैके पयार पारल उ प्रतिवेदन मुख्यमन्त्री शाहहे बुझाइल हो । समितिके संयोजक एवम् नीति तथा योजना आयोगके उपाध्यक्ष गणेश विकसहित टोली उ प्रतिवेदन मुख्यमन्त्रीहे हस्तान्तरण करल रहे ।
समितिसे विशेष कैके ऐनके धारा १८ मे केन्द्रित रहिके १३ ठो बुँदामे संशोधन प्रस्तावसहित प्रतिवेदन तयार पारल संयोजक विक जानकारी डेलै । समितिसे तयार पारल प्रतिवेदन बुझ्टी मुख्यमन्त्री शाह प्रतिवेदन कार्यान्वयन कैना प्रतिवद्धता जनैले बटै ।
निजामती सेवा ऐन बनल नम्मा समयसम कार्यान्वयनमे समस्या डेखल उल्लेख करटी उहाँ यी ऐन संशोधन करे परठ कहिके सरकारसे उहीहे आघे बढाइल उल्लेख करलै । ऐन वा नियमावलीमे आवश्यक संशोधनके लाग कानुनी रूपमे प्रदेश सरकार आघे बह्रना मुख्यमन्त्रीके कहाई बा ।
सुदूरपश्चिम प्रदेश सभासे सुदूरपश्चिम प्रदेश निजामती सेवा ऐन (पहिल संशोधन २०८०) गत भदौ ४ गते पारित हुइलपाछे समावेशी प्रतिनिधित्वके सवालहे लेके थारु, रानाथारु आन्दोलन करल रहिट । ओकर दुसर दिन प्रदेश सरकारसे ११ सदस्यीय सुझाव समिति गठन करल रहे ।
उ बुँदामे प्रदेश लोक सेवा आयोगके परीक्षामे योग्य हुइक लाग उम्मेदवारके शैक्षिक योग्यतासँग जोरल ओरसे हरेक तहके जनतासे पह्रना अवसरसे बञ्चित नइहुइना अवस्थाके सुनिश्चित हुइना वातावरण निर्माण करके समावेशी नीतिसँगे सशक्तीकरण, सवलीकरण ओ राज्यके मूलप्रवाहीकरणमे जोड डेना आवश्यक डेखल बा ।
प्रदेश लोक सेवा आयोगसे कमाइल निष्पक्षता कायम रख्टी आरक्षण प्राप्त करल व्यक्तिके सशक्तीकरणमे तत्काल जोड डेहे पर्ना बा कलेसे सीमान्तकृत समुदायके व्यक्तिके भारी हिस्सा श्रेणी विहीन समूहमे प्रवेश कैना ओरसे उहीहेफे समावेशीकरणके आधार बनाई परठ । छ । अन्य पदमे एक फेर राजपत्र अनकित ओ एक फेरा राजपत्रांकित पदमे आरक्षण डेना उपयुक्त हुइना डेखल बा ।
एक्के पदमे लगातार १० वर्ष सम काम करल व्यक्तिहे स्वतः बढुवाके व्यवस्था करे परठ मने थारु÷रानाथारु, दलित लगायतके सीमान्तकृत समुदायके हकम ७ वर्ष धारे पर्ना उपयुक्त हुइना सुझाव डेहल बा । यैसिन बढुवा हुइल व्यक्ति उहीसे अघिल्का पदमे बढुवा हुइबेर आवश्यक शैक्षिक योग्यता भर अनिवार्य हुइना व्यवस्था करे कैना कहल बा ।
निजामती सेवाके खुला प्रतिस्पर्धामे खुलाओर ५५ प्रतिशत ओ समावेशीओर आरक्षणहे ४५ प्रतिशत आरक्षणके व्यवस्था हुइलमे खुला ओर ५१ प्रतिशत ओ समावेशीओर ४९ प्रतिशत बनाके राष्ट्रिय जनगणना २०७८ के जनसंख्याके विशेषताके आधारमे प्रदेशके सिट संख्या विभाजन करेबेर सम्बन्धित समुदायमे समानुपातिक समावेशीकरण करे पर्ना डेखल बा ।
समावेशीकरणके लाग छुट्याइल सिटमे पहिल बार पदपूर्ति हुई नैसेमलमे खुल्ला प्रतियोगितामे गाँभन पद्धति रहलमे समावेशी ओर रहना करके दुई चो सम पुन विज्ञापन कैना न्यायिक हुइना डेखल बा ।
कुहीहे बाहुल्यता ओ कुहीहे शून्यता, कहुीहे राज्यके संरक्षण ओ केक्रोप्रति वेवास्ता, कुहीहे अवसर ओ कुहीहे भेदभाव ओ बहिष्करण नैहके राज्यके साधन, स्रोत ओ अधिकारमे समतामुलक पहुँच, पूर्णसहभागिता, विविधताके स्वीकृति, समान व्यवहार कैना समावेशीकरणके आधार बनाई परठ । समावेशी समूहके प्रतिष्पर्धी क्षमता निर्माण नैहुइलसम समावेशीकरण कायम रख्ना उपयुक्त हुइना कहल बा । समावेशीकरणमे न्याय स्थापना कैना हरेक १० वर्षमे समीक्षासहित समावेशीकरणके वस्तुगत सूचक बनैटी जाई पर्ना सुझाव डेहल बा ।
सकारात्मक विभेदके नीति अवलम्बन करसेकलपाछे महिलाके उमेरके हद ४० वर्ष कायम करल जस्टे अन्य समावेशी समूहः आर्थिक रुपमे विपन्न खसआर्य, दलित, थारु÷रानाथारु, आदिवासी जनजाति, मधेशी, मुश्लिम, अपांगता भएका व्यक्ति, पिछरल क्षेत्रक व्यक्तिके उमेरमे हेरफेर करके सक्कु क्षेत्रहे ४० कायम कैना न्यायिक हुइना कहल बा ।
निजामती सेवा रोजगारीके भारी क्षेत्र नैहुइलेसेफे सामाजिक न्याय ओ मर्यादित क्षेत्र हुइल ओरसे समाजके सक्कु जातजाति ओ समुदायके सहभागिता महत्वपूर्ण हुइठ । आरक्षणसे योग्यता प्रणालीहे अक्कमेफे कमजोर नैबनाई बरु केवल अवसरके कमी हुइल ओरसे अवसर पाइल सक्कु जनहनमे उच्च सम्भावना हुइना सत्यहे स्वीकार करटी अवसरके खोजीमे रहल ओ ओझेलमे परल प्रतिभाके मूलप्रवाहीकरणके कार्यक्रमहे सर्वस्वीकार्य महशुसीकरणहे महत्व डेहे पर्ना विल्गाइठ ।
निजामती सेवा ऐन २०४९ से आरक्षण ओ सकारात्मक विभेदके नीति लेहल १७ वर्ष ढेर पूरा हुइल बा । ऐनसे यी नीतिके १०–१० वर्षमे पुनरावलोकन कैना प्रतिवद्धता जनैले बा । प्रदेश सरकारसेफे प्रदेश निजामती सेवाके सक्षमतासँग कौनो सम्झौता नैकरे परठ कना मान्याताके आधारममे अइना १० वर्षके समावेशीकरणके गुरुयोजना अब्बेसे समावेशीकरणके सूचक बनाके लागु कैना उपयुक्त हुइना कहल बा ।
कुहीहे पाछे नैछोरो कना मूल लक्ष्यके साथ कार्यान्वयन हुइटी रहल दीगो विकास लक्ष्य २०३० के कार्यान्वयन कैना जिम्मेवारी प्रदेश सरकारके समेत हुई परठ । समावेशीकरणसे राष्ट्रिय तथा प्रादेशिक एकता कायम कैना, लोकतन्वहे संस्थागत कैना, प्रदेशमे समानुपातिक प्रतिनिधित्व कैना, सन्तुलित विकास कैना प्रदेशके बहुसंख्यक जनताहे शासनमे अधिकाधिक मात्रामे सहभागी करैना, स्रोत ओ साधनउप्पर सक्कुहुनके पहुँच कायम कैना, जातीय तथा सामाजिक विभेद अन्त्य कैना ओ प्रदेश सरकारप्रतिके अपनत्व विकास कैना समावेशीकरण आवश्यक विल्गाइठ ।
प्रदेश निजामती सेवाके हकमे सिंगो प्रदेशहे एक्के पदपूर्तिके इकाइ माने परठ । हरेक १० वर्षके जनगणनापाछे जनसंख्याके समानुपातिक आरक्षण प्रस्ताव ओ संसोधन कैना उपयुक्त हुइना विल्गाइठ ।
खुला तथा समावेशी समुहसे नियुक्त हुके आइल कर्मचारीके गुणस्तर अभिवृद्धिके लाग सक्षमता सम्वन्धी तालिम डेहे परठ ताकि सक्कु जाने न्युनतम गुणस्तर कायम करे सेक्ना कहल बा ।
