टिना खेतीसे मीनाके जिविकोपार्जनमे सहजता

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, ९ बैशाख । कैलाली जिल्लाके कैलारी गाउँपालिका वडा नम्बर ४ स्थित सुन्दरपुर मुक्तकमैया बस्तीके मीनादेवी चौधरीहे टिना खेतीसे जिविकोपार्जनमे सहजता ल्यानल बा ।
केयर नेपाल, आइडिइ नेपाल, म्याप इन्टरनेशनलके आर्थिक सहयोग ओ याक नेपालसे पोषण परियोजना अन्र्तगत सामुदायिक सिकाई केन्द्रके स्थापना करके जलवायु अनुकुलन कृषि प्रविधि मार्फत टिना खेतीमे सहयोग करलपाछे मीना चौधरी उ टिना आपन आयस्रोतके माध्यम बनल बटैठी ।

घरमे हिरगरके कमुइया मनै कोइ नै होके आर्थिक स्रोतके कौनोफे डगर नैहो,’ मिना कहली– ‘घर गुजारा चलैना कर्रा बा । दुई ठो कन्या जेठुवा बटै । ओइने आँखी नैडेख्ना अपाङता बटै । ओइनहे लर्काहस सहरे परठ । आपन एक ठो छावा, एक ठो छाई बटै ओइनहे पह्राई परठ । गोसिया खासे काम नैजानठ ।’
याक नेपालसे सामुदायिक सिकाई केन्द्रके स्थापना करके जलवायु अनुकुलन कृषि प्रविधि मार्फत टिना खेतीमे सहयोग करलपाछे उ दैनिक जीवनहे आघे ढकेल्ना आधार बनल मीना बटैठी ।

उहाँ कहली, ‘पहिले व्यवसायिक रुपमे टिनाके कबु नैकरले रहु । याक नेपालसे सर÷मेडमहुक्रे आके टिना खेती कैना तरिका सिखैलै, प्लाष्टिक घर बनैना, विउ विजन खरिद कैना सहयोग करलै । ओठेहेसे व्यावसायिक रुपमे टिना लगैना सुरुवाट कैनु । पहिलेक लटमे लगाइल टिना बेचके घरगुजारा चलैना, घर परिवारके औषधीउपरके सहयोग पुगल ।’
घरेक सुन्दरताके लाग फुला मै सुकुवारीमे लगाउ, याक नेपालसे सहयोग पाइलपाछे यी बरस मै प्लाष्टिक टनेलमे ढेर फुला लगैनु उहीहे विक्री करके मै ६ हजारके आम्दानी कमैनु मिना कहली ।
उहाँ कहली, ‘बर्षापाछे हिउँदे टिना लगाके विक्री कैनु, उहीसे जो मै आपन लर्कनके पह्राई खर्च बेहोर्नु । अपाङता रहल दुई जेठुवनके उपचारफे करैनु । अब्बेक लगाइल टिना भर्खर फरल बा ।’ मुक्तकमैया परिवारके रहल उहाँ जग्गा जमिन ओटरा ढेर नै रहल ओ और सीपफे नैरहल ओरसे व्यावसायिक टिना खेतीहे निरन्तरता डेना उहाँ बटैठी ।

पोषण परियोजना अन्र्तगत सामुदायिक सिकाई केन्द्र व्यवहारिक रुपमे करके सिख्ना ओ डेखके विश्वास कैना मुल उद्देश्यके साथ जलवायूमैत्री कृषि प्रविधिहे जोरल याक नेपालके पोषण परियोजना कृषि तथा बजारीकरण अधिकृत जनक खनाल बटैठै । उ परियोजना अन्र्तगत छापो खेती प्रविधि, केच्ना (गन्यौला) मल प्रविधि, भर्मिङ वास्क, वायोचार, जलवायूमैत्री कृषिमे एकिकृत शत्रुजीव व्यवस्थापनहे जारके काम करटी आइल उहाँ बटैलै ।
कैलारी गाउँपालिका वडा नम्बर ४ मे मीना चौधरीके घरमे सामुदायिक सिकाई केन्द्र स्थापना करले बटी,’ उहाँ कहलै, ‘जिहीसे यहाँके स्वास्थ्य आमा समुहके सदस्यहुक्रे यहाँ आके लौवा प्रविधि सिखिट ओ डेखके विश्वास करिट, आपन घर या और ठाउँ जाके यकर लागु करिट कना वातावरण बनल उहाँ बटैलै ।

पोषण परियोजना अन्र्तगत कैलारी गाउँपालिकाके वडा नम्बर ४ ओ वडा नम्बर ७ मे २५ ठो स्वास्थ्य आमा समुह संग काम करटी रहल ओ ओम्ने ५ सय जाने सदस्य बटै । यी पोषण परियोजनासे कृषि सम्बन्धी, स्वास्थ्य सम्बन्धी, स्वास्थ्य प्रणाली सम्बन्धी सुदृद्धिकरण, खानेपानी स्वच्छता ओ सरसफाईमे काम कैनाके संगसंगे महिला शसक्तीकरणमे काम करटी रहल उहाँ बटैलै ।
यी परियोजनाके कृषि क्षेत्रमे हेर्ना हो कलेसे पोषण बगैचा बनैना एक जाने स्वास्थ्य आमा समुहके सदस्यहे १० हजार बराबरके उहाँके खाता खोलके किसान कार्ड मार्फत आपनहे चाहल कृषि सामाग्री खरिद कैना व्यवस्था मिलाइल अधिकृत खनाल बटैलै । अब्बे स्वास्थ्य आमा समुह कृषि कार्डके व्यवस्था ओ आर्थिक सहयोग पाइलपाछे पोषण बगैचा मजा बनाइल उहाँ बटैलै ।
ओस्टेक करके उहाँ केयर नेपाल, आइविइ नेपाल, म्याप इन्टरनेशनलके आर्थिक सहयोग ओ याक नेपालसे पोषण परियोजना अन्र्तगत स्वास्थ्य संस्थाहे स्वास्थ्य सामाग्री हस्तान्तरण ओ स्वास्थ्यकर्मीहुकनहे क्षमता अभिवृद्धिके लाग तालिमके व्यवस्था करल उहाँ बटैलै ।
सामुदायिक सिकाई केन्द्रमे का का प्रविधि बा टे ?

नर्सरी गुम्बोज प्रविधिः जेकर प्रयोग जारयाममे व्याडमे छिटल विउ ओ जामल टेलुवाहे सुहैना तापक्रम कायम रख्ना प्लाष्टिकके गुम्बोज उपयूक्त रहठ ।
माटी निर्मलीकरण प्रविविधिः सौर्य उर्जाके प्रयोग करके माटीक तापक्रम बढाके माटीमे रहल हानिकरक जीव आदिके नियन्त्रण कैना सरल तरिका सिखाइल बा ।
प्लाष्टिक घर प्रविधिः प्लाष्टिक घरके प्रयोग करके प्रतिकुल मौसममे फे विरुवाहे अनुकल वातावरण सिर्जना करके वेमौसमी टिना उत्पादन करे सेक्जाइठ ।
थोपा सिचाई प्रविधिः पानीके समस्या रहल ठाउँके सिचाई कैना प्रयोग हुइना प्रविधि जिहीसे पैसा, समय ओ पानीके बचत करके जारके वृद्धिफे घटाइठ ।

छापो प्रविधिः यी प्रविधिमे छापोके रुपमे पैरा, पाटपटिङगर तथा मल्विङ प्लाष्टिकके प्रयोग करजाइठ । यी प्रविधिके प्रयोगसे झारपात कम अइना, माटीक चिस्यान कायम हुइना ओ सतहवाज मलगर माटी पुहके जैनासे रोकथाम करठ ।
केच्ना (गडयौला) मलः केच्ना (गडयौला)से प्राङगरिक कच्चा पदार्थ जस्टे गोवर, सागसब्जी, घाँसपात, फलफुल आदि खाके पचाई निकरल मल प्रयोग करके उत्पादन बह्राई सेक्जैना हुइल बा ।
झोलमल–१ः यकर प्रयोग १६ लिटर गैयक मुट, १६ लिटर पानी, १७ किलो गोवरके प्रयोग करके झोलमल–१ हे विरुवाके फेद, वारपार माटीक प्रयोग करे परठ । यिहीसे विरुवाहे पोषणतत्व प्रदान कैनाके साथे माटीमे रहल रोग किराके समेट नियन्त्रण करठ । झोलमल विरुवा लगाइल १५÷१५ दिनके फरकम ४÷५ चो प्रयोग करे परठ ।
झोलमल–२ ः यकर प्रयोग २४.५ लिटर गैयक मुट, २४.५लिटर पानी, १ लिटर जिवातुसे बनाजाइठ । झेलमल–२ मे गैयाभैसक पिसाव रहल ओरसे यिहीहे विशेष करके रोग किरा नियन्त्रण करेक लाग जैविक विषादीके रुपमे प्रयोग करजाइठ । विरुवामे लग्ना कीराहे गैयाभैसक पिसावके गन्ध ओ स्वाद मन नैपर्ना ओरसे यिहीसे कीरा नियन्त्रण करेक लाग मद्दत करठ ।
झोलमल–३ ः यकर प्रयोग २० लिटर गैयक मुट, २० लिटर पानी, १० किलो टरो, पिरो, तिट वनस्पतिके भाग मिलाके बनाजाइठ । झोलमल–३ से खास करके बोटविरुवाहे हानी नोकसानी पुगैना टमान खाले किरा ओ रोग नियन्त्रण करठ । ओ विरुवाहे पोषणतत्वफे प्रदान करठ । लेदोके रुपमे रहल झोल मलहे कपरासे छाने परठ । छानल झोलके १ भाग पानीमे मिलाके विरुवाके सक्कु भागमे भिज्ना करके छिटे परठ ।

रासायानिक मल तथा विषादीके कारण मानव स्वास्थ्यमे भारी असर परटी रहल बा । हम्रे जैविक विषादी ओ जैविक मल प्रयोग करके जलवायु अनुकुलन कृषि प्रविधि मार्फत आर्गनिक उत्पादनहे छोरके एक÷पैसाके लालचमे रासायानिक मल ओ विषादीके प्रयोग करके उत्पादन करल टिना फलफूल खैठी । मने उहीहे पारल असरमे ध्यान नैडेहल हुई ।
