थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत २० बैशाख २६४९, शनिच्चर ]
[ वि.सं २० बैशाख २०८२, शनिबार ]
[ 03 May 2025, Saturday ]

बाहिय संस्कृतिसे मातृभाषा ओ संस्कृति संकटमे

पहुरा | २० बैशाख २०८२, शनिबार
बाहिय संस्कृतिसे मातृभाषा ओ संस्कृति संकटमे

सन्तोष खनाल
घोराही, २० बैशाख ।
नक्कल कैना प्रवृत्तिसे नेपालमे भाषा संस्कृतिके महत्व घटटी गैल ओ लोप हुइना अवस्थामे पुगल कहटी साहित्यकारहुक्रे चिन्ता व्यक्त करले बटै ।

भाषा संस्कृतिके संरक्षण ओ विकासमे सरकारी तथा गैरसरकारी क्षेत्रसे पहल हुई पर्नामे ओइने जोड डेलै । परिषद्के २५ औं वार्षिक साधारणसभा तथा १५ औं अधिवेशनके अवसरमे पुरस्कार वितरण तथा लुम्बिनी प्रदेश स्तरीय भाषिक तथा सांस्कृतिक संगोष्ठी कार्यक्रममे भाषा ओ संस्कृतिके संरक्षणमे सरोकारवालाके भूमिकाके बारेमे चर्चा करल रहे ।

नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानके सदस्य सचिव डा. धनप्रसाद सुवेदी नेपालके भाषा संस्कृति आयातित संस्कृतिके मारमे परल उल्लेख करटी लोप हुइना अवस्था सिर्जना हुइल बटैलै । मोबाइलमार्फत् बाहेरसे आइल बाटसे मौलिक संस्कृति लोप हुइटी गैल, विकृति भित्रटी गैल बा– उहाँ कहलै ‘मातृभाषा केल नाही नेपाली भाषाके भविष्य का कना बेला आइल ।’

भाषा संस्कृति संरक्षणमे विशेष ध्यान डेना बेला आइल बटैटी उहाँ भाषा संस्कृति कला साहित्यके संरक्षण ओ विकास कैना सक्कु जाने मिल्के काम करेपर्नामे जोड डेलै । तीनु तहके सरकारहे अधिकार बाँडफाँडमे भाषा संस्कृतिके संरक्षणमे अहम भूमिका डेहल ओ ओम्नेफे स्थानीय सरकारहे थप अधिकार रहल ओरसे सरकारसेफे यम्ने ध्यान डेहेपर्ना उहाँक कहाई रहे । उहाँ यी क्षेत्रमे राज्यसे लगानी थप करेपर्नामे जोर डेलै ।

राप्ती साहित्य परिषद्के संस्थापक अध्यक्ष नारायणप्रसाद शर्मा नम्मा लडाईंसे प्राप्त करल शान्ति परिवर्तनके रक्षाके लाग साहित्यकारसे कलम चलाई पर्नामे जोर डेलै । ‘राजनीतिक परिवर्तन हाली हुइलेसेफे सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक परिवर्तन विस्तारे हुइठ, यम्ने साहित्यकारके तथा कलमजीवीके भूमिका रहठ– शर्मा कहलै– ‘साहित्यकारके लेखनशैली शुभकामना शैली केल हुइल । पहिले परिवर्तनके लाग लरल साहित्यकारके जैसिन जोश अब्बे नैडेखाइल नैटे ढेर परिवर्तन हुसेकट ।’

उहाँ मानवमे मानवता जगैना ओ शान्ति समृद्धिके लागफे साहित्यकारके भूमिका महत्वपूर्ण हुइना बटैटी सक्कु जाने ध्यान डेहे पर्नामे जोर डेलै । सुशासन ओ भ्रष्टाचारसे नेपाल विश्वमे बदनाम हुइना अवस्थामे पुगल कहटी साहित्यकारसे सुधार ल्यन्ना करके कलम चलाई पर्नामे उहाँक जोड रहे ।

उहे अवसरमे लुम्बिनी प्रदेशके भाषिक अवस्थाके बारेमे डा. कृष्णराज सर्वाहारी ओ लुम्बिनी प्रदेशके सांस्कृतिक अवस्थाके बारमे प्राडा. गितु गिरी कार्यपत्र प्रस्तुत करल रहिट । कार्यपत्रउप्पर डा. प्रेम योगी ओ प्राडा शिवकुमार सुवेदी टिप्पणी करलै । कार्यक्रममे नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानके पूर्वपरिषद् सदस्य प्राडा गोविन्द पौडेल, नेपाल पत्रकार महासंघके केन्द्रीय सचिव सविन प्रियासन, साहित्यकार भुपेन्द्र मल्ल, कर्णबहादुर बुढा, प्राडा बाबुराम आचार्य, डा. कपिलमणि लामिछाने, परिषद्के सल्लाहकार उत्तमकृष्ण मजगैयाँ, जिल्ला शाखाके ओरसे रुकुम पश्चिमके अध्यक्ष मनलाल वली, सर्वोदय पुस्तकालय तथा वाचनालयके अध्यक्ष सुशील गौतम, दाङ साहित्य तथा सांस्कृतिक मञ्चके अध्यक्ष डिल्लीराज श्रीधर, परिषद्के सल्लाहकार एवं पुरस्कार छनोट समितिके संयोजक पुरुषोत्तम खनाललगायत परिवर्तनमे साहित्यकारके भूमिका महत्वपूर्ण रहलमे जोड डेलै ।

उहे अवसरमे प्राडा गोविन्द पौडेल अपन बाबा डाईक सम्झनामे ईश्वरी बिना राष्ट्रिय वाङ्मय पुरस्कारके लाग पाँच लाख रुप्या राशीके अक्षयकोष स्थापना कैना चेक हस्तान्तरण करलै । राप्ती साहित्य परिषद्के केन्द्रीय अध्यक्ष टीकाराम उदासीके अध्यक्षतामे हुइल परिषद्के वरिष्ठ उपाध्यक्ष कमलमणि देवकोटा स्वागत मन्तव्य ओ सहजीकरण महासचिव रमेश सुवेदी करल रहिट ।

२४ ढेर स्रष्टा पुरस्कृत

राप्ती साहित्य परिषद्से २०८१ सालके राप्ती साहित्य पुरस्कार दाङके प्राध्यापक डा. बाबुराम आचार्यहे प्रदान करले बा । २०८० सालमे प्रकाशित १८ थुङगा नामक जीवनी विधाके कृतिके लाग दाङके पद्मप्रसाद शर्माहे राप्ती साहित्य सिर्जना पुरस्कार प्रदान करल हो । ओस्टेक नन्दहरि साहित्य पुरस्कार दाङके सुरेशकुमार पाण्डेयहे, डोमादेवी साहित्य पुरस्कार दाङके शशिधर भण्डारीहे, दीलसरी दल अतिरिक्त साहित्य पुरस्कार रोल्पाके मोहित श्रेष्ठहे पुरस्कृत करल बा । ओस्टेक करके देवीचन्द्र साहित्य पुरस्कार बाँकेके डा. हरिप्रसाद तिमिल्सिनाहे, अपामुकुन्द प्रज्ञा पुरस्कार प्युठानके नारायण गौतमहे, गोपाल चन्द्र प्रज्ञा पुरस्कार दाङके हरिप्रसाद पाण्डेयहे, हरिप्रसाद मीना पाण्डेय कला साहित्य पुरस्कार दाङके केबी चौधरीहे, खोबिलाल हुकुमादेवी छन्द पुरस्कार दाङके गिरिराज खनालहे प्रदान करल बा ।

ओस्टेक करके दाङके अभि क्षेत्री समर्पणहे पद्मप्रसाद रुपसा प्रज्ञा पुरस्कार, बुटबलके प्रा. डा. कपिल लामिछानेहे तिलका तुलसीराम आचार्य स्मृति पुरस्कार, दाङके कपिलकिशोर घिमिरेहे चक्रपाणि लोकेश्वरी छन्द पुरस्कार, प्युठानके सुमन सुवेदीहे नित्यानन्द प्रज्ञा पुरस्कार, दाङ देउखुरीके यादवनाथ योगीहे चन्द्रमधु गीत संगीत पुरस्कार, रुकुम पश्चिमके भुपेन्द्र मल्लहे ओपेन्द्र रत्नशोभा साहित्य पुरस्कार ओ रोल्पाके अमर अधिकारीहे प्रेमनारायण सावित्रा हेमकुमारी प्रज्ञा पुरस्कार प्रदान करल बा ।

ओस्टेक करके रुकुमपूर्वके कर्णबहादुर बुढा मगरहे श्रीबहादुर दीलमाया साहित्य पुरस्कार, बाँकेके महानन्द ढकालहे टेकबहादुर सुवर्ण राजभण्डारी साहित्य पुरस्कार, सल्यानके हिरालाल केसीहे जीवनचक्र साहित्य पुरस्कार डेहल बा कलेसे पं. कपिलमुनि भक्तकुमारी शिवादेवी स्मृति स्रष्टा सम्मान सल्यानके बिनु बुढाथोकीहे डेहल बा । ओटेक करके पश्चिम रुकुमके खेमराज खड्काहे ऋषि लक्ष्मी साहित्य पुरस्कार, दाङके दीपा बुढाहे गोमादेवी स्मृति कला पुरस्कार ओ विष्णुनुमे साहित्य पुरस्कार दाङके मनिषा गिरी ‘ऋतु’हे डेहल बा ।

ओस्टेक करके दाङ साहित्य तथा संस्कृति प्रतिष्ठान तुलसीपुर, कवि धर्मराज बैरागी देउखुरी, साहित्यकार मधुसूदन गौतम दाङ ओ नारी श्रष्टा बसन्ता शाह हापुरहे सम्मान करल बा । राप्ती साहित्य परिषद्के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं छनोट समिति सदस्य कमलमणि देवकोटा पुरस्कृत स्रष्टाके प्रतिभा परिचय डेहल रहिट परिषद्के पुरस्कार प्रतिभा छनोट समितिके संयोजकमे पुरुषोत्तम खनाल रहिट ।

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