स्थानीय सेवा गठन विधेयक पारित

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, २० जेठ । सुदूरपश्चिम प्रदेश स्थानीय सेवाके गठन, सञ्चालन ओ सेवाके सर्तके सम्बन्धमे व्यवस्था कैना बनल विधेयक सोम्मारके बैठल प्रदेश सभाके बैठकसे पारित करले बा । विधेयक पारित हुइना क्रममे प्रतिपक्षी दलके प्रदेश सभा सदस्य भर सभासे बाहर हुइल रहिट ।
विधायन तथा प्रदेश मामिला समितिमा विधेयकउपर दफावार छलफलपश्चात तयार हुइल प्रतिवेदन नैहोके सत्तापक्षके दुई माननीयसे बोलल् बातहे सदनसे पारित करे खोजल कहटी प्रतिपक्षीसे आपत्ति जनाइल रहिट । नेकपा (माओवादी केन्द्र) के प्रदेश सभा सदस्य अक्कलबहादुर रावल माननीयसे बोलल् बात पारित कैना कहटी खेद प्रकट करल रहिट ।
विधेयक पारित कैनासे आघे विधायन तथा प्रदेश मामिला समितिमे दफावार छलफलपश्चात् प्रस्तुत समितिके प्रतिवेदनसहित विधेयकउपर छलफल करल रहे । छलफलमे भाग लेटी नेपाली कांग्रेसके प्रमुख सचेतक विक्रमसिंह धामी गम्भीर छलफलपाछे किल विधेयक पारित करे पर्ना बटैलै । नेकपा (माओवादी केन्द्र) से प्रतिनिधित्व करल प्रदेश सभा सदस्य अक्कलबहादुर रावल स्थानीय सेवा ऐन बनलपाछे स्थानीय तहके सेवा प्रवाहमे सहयोग पुग्ना बटैलै ।
ओस्टके नेकपा (एमाले) के प्रमुख सचेतक चक्रबहादुर मल्ल समयमे आइ पर्ना विधेयक आघे बह्रैना कुछ विलम्ब हुइल बटैलै । प्रतिपक्षी दल नेकपा (एकीकृत समाजवादी) के प्रमुख सचेतक नरेशकुमार शाही विधेयकउपर महत्वपूर्ण ढंगसे छलफल करे पर्ना बटैलै । उहाँ स्थानीय तहके काम प्रभावकारी बनैना, कर्मचारीके मनोबल बह्रैना त्रुटिरहित बनाके विधेयक हाली पास कैना जरुरी रहल औँल्याइल रहिट । छलफलके क्रममे उठल विषयमे जवाफ डेटी आन्तरिक मामिला तथा कानुनमन्त्री हिरासिंह सार्की विधेयकहे थप परिष्कृत बनैना सुझाव आइल ओ सरकारके ओम्ने ध्यानाकर्षण हुइल बटैलै ।
विधेयक पारितपाछे सुदूरपश्चिम प्रदेश स्थानीय सेवा (गठन तथा सञ्चालन) ऐन, २०८० बनल बा । स्थानीय तहसे कैना सेवा प्रवाहके लाग आवश्यक कर्मचारीके व्यवस्था कैना तथा स्थानीय सेवा प्रभावकारी, सक्षम, सुदृढ, सेवामूलक ओ उत्तरदायी बनैना तत्काल सेवाके गठन, सञ्चालन ओ सेवाके सर्तसम्बन्धी कानुनी व्यवस्था कैना स्थानीय सेवा ऐन बनाइल हो ।
इहे बिच प्रदेश सभामे सुदूरपश्चिम प्रदेश सभाके सचिव ओ सचिवालय व्यवस्थापनसम्बन्धी ऐन, २०७५ हे संशोधन कैना बनल विधेयक टेबुल हुइल बा । आन्तरिक मामिला तथा कानुनमन्त्री सार्की उक्त विधेयक सभामे टेबुल करल हुइट । ओस्टके विषयगत समितिके सदस्यके नाउँ हेरफेर कैना प्रस्ताव सदनसे सर्वसम्मतसे पारित हुइल बा ।
