महेश चौधरीक् भासिक योगदान उपर छलफल

पहुरा समाचारदाता
काठमाडौं,४ असार । कीर्तिपुरस्थित ठुम्रार साहित्यिक बखेरीके १०५औं भागमे जेठ ३१गते साहित्यकार महेश चौधरीके भासिक योगदानके उपर विस्तृत छलफल कैगैल बा ।
थारु भासके पहिला पत्रिका गोचाली (२०२८) के संस्थापक प्रधान सम्पादक महेश चौधरीके थारु, नेपाली ओ अंग्रेजीमे दर्जनसे ढेर पोस्टा प्रकाशित बटिन् । २०६२÷२०६३ पाछे हुइल पहिचानके आन्दोलनमे थारु मधेसी नै हुइट कना मेरमेरिक लेखकेसंगसंगे ‘नेपालको तराई तथा यसका भूमिपुत्रहरु (२०६४)’पोस्टा लिख्के प्रतिवाद कर्ले रहिट ।
दाङ, बैबाङके स्थायीवासिन्दा उहाँ २०८२ जेठ २४ गते राप्ती स्वास्थ्य विज्ञान प्रतिष्ठान, घोराहीमा उपचारके क्रममे बिटल रहिट ।
थारु भाषासेवी महेश चौधरीक् बारेम ठुम्रार साहित्यिक बखेरीक संयोजक डा कृष्णराज सर्वहारी बिस्तृत चर्चा कर्ले रहिट । थारु लोकसाहित्यमाँगर, बर्किमार, गुर्वावक् जल्मौटि, झुमरा नाचके गिटलगायत पोस्टा पहिल फेरा छाप्के महेश बरा गुन लगैलक उहाँ बटैलाँ । थारु व्याकरनसे लेके छारा नाटकके लेखनकिल नैहेक नाटक मञ्चनमे समेत उहाँक् योगदान रहल सर्वहारी जनैलाँ ।
कार्यक्रममे डा. रामबहादुर चौधरी महेश चौधरीक् सँग व्यक्तिगत अनुभव साझा कैटि कहलाँ ‘उहाँक् लो ल्याण्ड अफ नेपाल पोस्टाके अंग्रेजी भासामे उल्ठाके लग सहकार्य करेबेर बिहानी ६ बजे मोर डेरामे पुगेबेर उहाँके कामप्रतिके खन्गर झुकाव डेख्के मै छक्क परल बटुँ । विडम्वना मोर सच्याइल सामग्री नै छप्के पुराने सामग्री छपलमे बहुट दुख लागल । उहाँक् सब पोस्टा फेनसे छप्ना चाहि ।’
ओस्टक, शत्रुघन चौधरी महेश चौधरीक् अनुसन्धानके कामके प्रसंसा कैटि कहलाँ, ‘महेशके सबहस अनुसन्धानमे थारु समुदायहे जोरके बहुट गहन अध्ययन बा । उहाँक् सिख्खा अन्य अनुसन्धानकर्ता लोग फेन कैना चाहि ।’
कार्यक्रममे नन्दुराज चौधरी, गणेश वर्तमान, दिलबहादुर चौधरी, सिताराम चौधरी, विवश चौधरीलगायत स्रस्टालोग रचना वाचन कर्ले रहिट ।

