सुकौराकोट दरवार

परिचय
सुकौराकोट दरवार साविक उरहरी गाँउ विकास समिति वडा नं. ९ हाल तुलसीपुर उपमहानगरपालिका वडा नं. ११ सुकौरा गाँउमे परठ । महाभारत श्रंखलासे बहल पातुखोलाके पूर्वी तट शिवालिक श्रृंखलाके फेदसे बहल बबई नदीके उत्तरी तटमे रहल यी स्थल थारु राज्यके दरबार श्रेत्र हो । थारु राजा दंगीशरणसे स्थापित राज्यके राजधानी मानल यी स्थलके राजनीतिक तथा सांस्कृतिक रुपमे महत्वपूर्ण स्थान रहल बा । थारु राजा दंगीशरणके राजधानी मानल यी कोट एक ऐतिहासिक तथा पुरातात्विक पर्यटकीय क्षेत्र हो । सुकौराकोटमे दरबारके भग्नावशेष अवलोकन करे सेक्जाइ । सुकौराकोट दरवार थारु राजा दंगीशरणसे स्थापित दंग देशके ऐतिहासिक राजधानी हो कना जनश्विास रहल बा ।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
यी कोटके ऐतिहासिकताके सम्वन्धमे सबसे पुरान दस्तवेज इशरदाससे प्राकृत भाषामे रचित स्मृति काव्य हो । नरहरिनाथ योगीसे संकलन करल उ काव्य इतिहास प्रकाश सन्धिपत्र संग्रहमे प्रकाशित बा । उ काव्यानुसार यी कोटमे अथवा दंग देशमे राज्य कैके बैठल थारु राजा दंगी पाण्डव, कृष्णके समकालीन मानजैठैं (योगी २०२२ः४७०—४७७) ।
दंगीशरण थारु राजा अपन तामाके सिक्का प्रचलनमे नानल ओ उ सिक्कामे दंगी शब्द रहल पाइल बा । सुकौराका स्व. नारायाण चौधरीके संग्रहमे रहल दंगी अंकित मुद्र्रा विशेष स्मरणीय रहल । वि.स. १२०० के आरम्भमासे दंगीशरणके नेतृत्वमे सुकौराकोटसे थारु राज्यके जगेर्ना हुइल उल्लेख करठैं (सुबेदी २०६२ः ४२) । सुकौराकोट प्राचीन किम्बदन्तीके आधारमे दंगीशरणके दरवार क्षेत्र किल नैहो, मध्यकालमे दंगीशरणके नामसे दांगके नामकरण हुइल हो (सुबेदी २०६३ः११) । दंगीशरणके पुस्ता लघुदंगी, उपरदंगी, चितलदंगी, अंर्गदंगी, मगरदंगी, सारगंदंगी, उरगसेन, मदलसा रानी, मनीपरिक्षक, रत्नपरिक्षक आदिसे सुकौराकोटमे चालीस पुस्तासम राज्य करल इतिहास बा । ४०औं पुस्ताके थारु राजा मनीपरिक्षकके छावा रत्नपरिक्षक हुइटैं ।
जनश्रुती अनुसार स्वर्गलोकके राजा (देवता) ईन्द्र ओ पाताललोकके राजा दानव विच मृत्यलोकमे के रजाई करल कना विषयमे युद्ध हुइल पाजाइठ । ओकरपाछे स्वर्गके राजा ईन्द्रसे युद्धबारे छलफलके लाग सब देवी देवताहे बैठकमे बोलैलैं । बैठक ओराइलपाछे खानपीनके व्यवस्था (धुम्रपान, मध्यपान) फेन हुइठ । खानपीनके क्रममे नाचगान् रहठ । स्वर्गके अप्सरा मेनकाके नृत्य शुरु हुइठ । उबेला नसाके सुरमे मोहीत हुइटि देवता मेनकाहे अँगालो मरना ओ चुम्बन करना जस्टे कैके हातपात लगैना अवस्था आइठ । उ दृष्य देखके दुर्वासा ऋषि मेनकाहे घोडीके रुपमे (रात सुन्दरी ओ दिनके घोडी बन्ना श्राप) मृत्यलोकमे जाके थारु राजा दंगीशरणसँग बैठ्ना श्राप डेलैं । अइसिके श्रापीत होके स्वर्गके अप्सरा मृत्यलोकमे राजा दंगीशरणसँग दिनके घोडी ओ रातके सुन्दरीके रुपमे बैठे अइलैं । राजा दंगीशरण श्राप पाइल अप्सरा मेनकाहे दिनके घोडी चह्रल ओ रातमे उहाँहे भोग कैके बैठे लग्लैं । राजा दंगीशरणके पद्मावति रानी रहि ओ राजाके घोडी चह्रना ओ युवति भोग करना बानी देखके रिसाइल दरबार छोरके निकरलि । उहाँक एक छावा उपरदंगी रहैं । रानी दरबारसे निक्रल अपन छावा उपरदंगी ओ दरबारमे रहल वफादार कुकुर लेले रहि । दरबारसे निकरके नेंक्के जाँके जंगलमे रात परलपाछे ओडारमे बास बैठ्ली । मिरमिरे ओज्रारमे व्याधा (शिकारी) सिकार खेले आइल ओ सिकारी कुकुरहे जंगली जनावार मान्के वाण मरलैं । बाण कुकुरके गोरमे लागल ओ कुकुर बोले लागल ओ रानी उठके हेरलि टे सिकारीहे डेख्लि । सिकारी भुलवस जंगली जनावर मारल कटि गल्ती हुइल कहिके माफ मग्लैं । रानी अपन कुकुर ओ छावाहे लेके गन्तव्य ओर गैलि । कुकुर जोन ठाँउमे पाइला ढरलि ओहे रगतके ओ गोरके छाप लागे लागल । यिहिनहे कुकुर गौरा (सिमठाना गल्ली होके बबई ओ मलै ओ काठकुवा, थारुवास, पथरतौली होके खोचे कुसुम) डगर कहिके चिन्हजाइठ ओ यी अब्बे फेन प्रसिद्ध रहल बा ।
अइसिके रानी पद्मावति एक ठो किल पुत्र ओ कुकुरसँग अनन्त यात्रामे विलीन् हुइलैं । स्वर्गमे पुणः बैठक हुइल ओ स्वर्गमे अप्सरा मेनका अइलि । ओकरपाछे स्वर्गके राजा ईन्द्र नारद्हे तीन लोक १४ भुवनमध्ये मेनका कहाँ बटि कहिके खोजके पत्ता लगैना आदेश डेलैं । आज्ञाअनुसार नारदजी अपन सितारा बजैना ३ लोक १४ भुवनमे खोज्न शुरु करलैं । खोजी करलेसे नारदसे मेनकाहे मृत्यलोकमे दंगीशरण राजाके सरणमे पाइल ओ ईन्द्रहे जानकारी करैलैं । यीपाछे ईन्द्रसे फेन देवताहे बैठक बैठैलंै ओ जानकारी करैलैं । मृत्यलोकमे दंगीशरणके सरणमे रहल अप्सरा मेनकाहे स्वर्गमे नानल सामथ्र्य भगवान कृष्णसँग किल रहल ठहर हुइल ओ उहाँहे उ जिम्मेवारी डेहल । ईन्द्रके आज्ञा स्वीकार कैके कृष्ण भगवान अपन छावन प्रद्धिग्न सहित स्वर्गसे मृत्यलोकमे अइलैं । शूरुमे अपन दंगीशरण वहाँ नैजाके छावा प्रद्धिग्नहे अप्सरा मेनकाहे मुक्त करना विन्ती करे पठैलि । भगवान कृष्णसे बासुरीके मधुर धुन बजाके मेनकाहे मोहीत परटि स्वर्गमे लैजैना सोच्ले रहि । मने ओइसिन नैहुइल । मोज मस्तीमे मस्त राजा दंगीशरण अप्सराहे फीर्ता करे नैमन्लैं बरु जैसिन फेन युद्ध करना तयार हुइलैं । ओकरपाछे प्रद्धिग्नसे सब खबर पिताभगवान कृष्णहे जानकारी करैलैं । अइसिन खबर पाइलपाछे भगवान कृष्णसे दंगीशरण बध कैडेम कहिके धम्की डेलैं ।
धम्कीसे डराइल दंगीशरण राजा गुहार मागे पाँच पाण्डव वहा पुग्लैं । पाँच भाइमध्ये मझ्ला भीम उबेला वहाँ नैरहैं औरेजे दंगीशरणहे कुछ जवाफ डेहे नैसेक्लैं । दंगीशरण राजा भीमके राज्य हसनापुर जैतापुर गैलैं । वहाँ कौनो छिमेकीहे भीमके वहाँ कैसिक भेटे सेक्जाइ कहिके सोधपुच कैके सिधे दरबारमे उहाँहे जाइ नैमिल्ना बरु अर्जुनके धर्मपत्नी सुभद्रा एकडम विहान यमुना गंगामे स्नान् करे आके ओ उहाँ मार्फत भिमहे भेटे सेक्ना उपाय उ छिमेकीसे प्राप्त करलपाछे । रानी सुभद्राहे सिधे भेटे संकोच मानके दंगीशरण राजा नदीके कीनारमे सल्लाके चिता तयार करे लग्लैं । बिना लासके चिता तयार पारल देखके रानी सुभद्राहे अचम्म लागल । जिज्ञासु होके पुछ्ली टु यी काहे बनाइटो ? सब बाट कहिलपाछे अपन काम पुरा नैहुइल बाट सोच्टि दंगीशरण राजा कहिके टोहान काम पुरा कैडम कहिके बाचा करि मै सब बाट कहम कहिके वचनवद्ध करैलैं । ओकरपाछे दंगीशरणसे भगवाण कृष्णसे अपन ज्यान मरना धम्की डेहल बाट बटैलैं ओ अपन ज्यान जोगाडेना विन्त करलैं । रानी एकोहोरा रोटी नैपक्ना बाट करटि मोर फेन कुछ वचन् बा उहिनहे टु स्वीकारे परि कहिके वाचा करैलि ओ जत्रा जा दुस्मन रलेसे फेन सब देवताके पूजा करेपरना कहिके बाचा करैलि । दंगीशरणसे सबके पूजा करना तयार हुइल बाट बटैलैं । ओकरपाछे रानी सुभद्रा दंगीशरण राजाहे दरबारमे जाइ नैपरना ओ सब व्यहोरा अप्नही ढैडेना बाट आश्वस्त बनैलि । सुभद्रा हरेक दिन लहाके पुजा कैके अपन पतिहे भोजन कराइ मने उ दिन भोजन् नैकराके पलगं मिलाके सुटैलि । अर्जुनहे भोक लागलपाछे भान्सामे हेरलैं टे रानीहे सुटल देखके महिन भोक लागटा टुहिनहे का हुइल सुटल बटो कहिके पुछ्लैं टे रानी कसछ जवाफ नैडेलैं । भीम बाहेक औरे चार भाइसे काम नैहुइना बाट रानी सुभद्राहे पक्का हुइलपाछे उहाँ नैबोल्ली । ओकरपाछे अर्जुन बाहिर निकरलैं दाजु भिमसँग भर टोहान बुहारी मोरसँग नैबोल्ली ओ भोजन् फेन नैखुवाइल बाट करलैं । भिम बुहारीके कक्षम प्रवेश कैके काहे सुटल बाटे भाइ भोकाइल बा ओ भोजन कराउ कहलबेला बुहारी जेठाजुहे मोर एक काम पुरा कैलेसे किल भोजन करैना शर्त ढरलि ।
दंगीशरण राजाके ज्यान भगवान कृष्णसे मरना धम्की डेले बटैं ओकर ज्यान बचाई परल । उहाँ अप्नेक सहित सबके पुजा करना बाट फेन बाचा करल बाट सुनैलि । सामुहिक रुपमे भुईह्यार थान ओ अपन कुल देवताके रुपमे पुजा करना बाट सुनैलि ।
दंगीशरण थारु राजा अपनसहित सबहे देवताके रुपमे पुजा करना बाट सुनलपाछे भीम दंगीशरण राजाहे बचैना वचन डेलैं । समय बिट्टी गैल । एक दिन पाँच पाण्डव जंगल गैल रहैं । भीम भान्सामे रोटी डारके दाजुभाइहे भोजन् ज्युनार करना तयारीमे रहैं । ओहे मौकामे कृष्ण भगवान दंगीशरण राजाकामे युद्ध करे पुग्लैं । भीम १ रोटी किल टावामे ढरले रहैं । पक्टि पक्टि युद्धमे जाइ परल । कृष्ण भगवान ओ भीमके गजा जुध्न सुरु हुइल उ गजासे ३ आगीक झिल्का निक्रल ओ उ झिल्का स्वर्गके अप्सरा मेनकाके छातीमे लागल ओ उहाँक पाइल श्राप मूक्त हुइल ओ उहाँ स्वर्गमे गैलि । भीम ओ कृष्ण लरे लागलपाछे यहोरओहोर हेरके मेनकाहे नैडेख्के उ नैडेखलपाछे केकर लाग लडाई कहिके युद्ध रोकल ओ हात मिलाके गैलैं । अइसिके दंगीशरण राजाके ज्यान फेन बचल । ओकरपाछे भीम रोटी पकैना ठाँउ पुग्लै उ रोटी कोइ फेन बिल्टाइ नैसेकल । भीम अप्नही उल्टाके पकैलैं ओ अपन दाजुभाइहे खवैलैं । टबेमारे थारु जाति भीमके शक्तिहे एकओर पकाइल रोटी डेटि अट्वारी पर्वमे आगीमे आहुती डेटि पुजा करना चलन् रहल बा ।
अप्सरा मेनका स्वर्ग गैल बाट सुनलपाछे पद्मावति रानी पुत्र उपरदंगी ओ वफादार कुकुरसहित दरबार अइलि । राजा मजासँग राजकाज चलाइ लग्लैं । अपन कबुल करल पाँच पाण्डवसहित सक्कु देवीदेवताके घनपत् (देशबन्ध्या) मार्फत सामुहिक देवथानमे ब्रहा, विष्णु लगायत ३३ कोटी देवताहे स्थान डेके अपन कुल देवताके रुपमे पुजा आराधना करे लग्लैं । ओहेबेलासे स्वर्गके अप्सरा मेनकाहे फेन अपन कुल देवताके रुपमे घोडाघोडीके रुपमे पुजा आराधना करे लग्लैं । ओहे चलन् अभिन फेन सब थारु जातिमे माटिक घोडाघोडी बनाके देवताके रुपमे पुजा करल डेखे सेक्जाइठ ।
प्रत्यक युगमे देवताके उदय प्रलय हुइना होके यी जनश्रुति दंगीशरण थारु राजा पाँच पाण्डव, भगवान् श्रीकृष्ण, ब्रह्मा, विष्णु तथा नारदमुनीके समकालीन डेखाइठ ।
अवस्थिति
दंगीशरण थारु राजाके राजदरवार रहल सुकौराकोट साविक उरहरी गाँउ विकास समिति वडा नं. ९ हाल तुलसीपुर उपमहानगरपालिका वडा नं. ११ सुकौरा गाँउमे भग्नावशेषके रुपमे रहल बा ।
पहुँच
तुलसीपुर उपमहानगरपालिकाके तुलसीपुर बजारसे नौ किलोमिटर दक्षिण–पश्चिममे अवस्थित रहल यी स्थलसम पुग्न निजी तथा सार्वजनिक सवारी साधन प्रयोग करे परठ । सार्वजनिक सवारी साधनमे बस, जिप, अटो रिक्सा चह्रके यी स्थलमे जाइ सेक्जाइठ ।
क्षेत्रफल
पहिले सुकौराकोट दरबारके क्षेत्रफल ढेर रलेसे फेन हाल दरवारके जम्मा क्षेत्रफल ३.५ बिघा रहल बा ।
हुलाक टिकटमे लिख्ना विषय
नेपालीः दंगीशरण थारु राजाके दरवार सुकौराकोट
अंग्रेजीः SUKAURAKOT PALACE OF DANGISHARAN THARU KING
