थारु राष्ट्रिय दैनिक
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[ थारु सम्बत ०१ सावन २६४९, बुध ]
[ वि.सं ३२ असार २०८२, बुधबार ]
[ 16 Jul 2025, Wednesday ]

मनभिटरके छाउगोठ भस्काई

पहुरा | ३२ असार २०८२, बुधबार
मनभिटरके छाउगोठ भस्काई

कञ्चनपुरके कृष्णपुर नगरपालिका–१ निगाली गाउँके २८ वर्षीया कमला आउजीके छाउगोठमे सापक कटाईसे मृत्यु हुइल । महिनावारीके क्रममे छाउगोठमे बैठेबेर मृत्यु हुइल यो घटना नयाँ घटना नैहो । सुदूरपश्चिम प्रदेशके नेपाल प्रहरीमे दर्ता हुइल यी मेरिक तथ्यांकहे हेरेबेर वि.सं. २०७३ सालसे हालसम जग्गा ८ जाने महिलाके छाउगोठमे सापनके कटाई, बलात्कार, जंगली जनावरके आक्रमण जैसिन कारणसे मृत्यु हुइल बा ।

छाउपडी प्रथा रोकथामके लाग गृह मन्त्रालयके आदेशपाछे आर्थिक वर्ष ०७५/७६ से ०७७/७८ सम प्रहरीसे ७ हजार ४५४ गोठ भत्काइल तथ्यांक सुदूरपश्चिम प्रदेश प्रहरीसँग रहल बा । मुलुकी अपराध संहिता २०७४ मे महिलाके रजस्वला वा सुत्केरीके अवस्थामे छाउगोठमे धारके वा नैधारके कैना कौनोफे मेरिक भेदभाव, छुवाछूत वा अमानवीय व्यवहारहे कसूर कहल बा । यैसिन कसूर करुइयाहे तीन महिनासम कैद वा तीन हजार रुप्यासम जरिवाना वा दुनु सजाय हुइना व्यवस्था करल बा । मने महिनावारी विभेदहे धार्मिक, सागाजिक, सांस्कृतिक रुपमे स्विकार करल कारणसे करेबेर कानुनमे यी मेरके व्यवस्था हुइलेसेफे समाजमे जर गारल गूल्य मान्यता डगमगाउन सेकल नैहो । अइसिन सांस्कृतिक मूल्य मान्यतासे सृष्टिके आधार वा जग महिनावारीहे अपवित्र ओ पापके संज्ञा डेना अपनमे एक हाँस्यास्पद विषय हो ।

मानव अधिकार एक नैसर्गिक अधिकार हो, जौन प्रत्येक मनै मनै हुके जन्म लेहल आधारमे प्राप्त हुइठ । मानव अधिकारके विश्वव्यापी घोषणापत्रके धारा १ ममे “सक्कु मनै जन्मटी आत्मसम्मान ओ अधिकारमे समान ओ स्वतन्त्र बटै कहिके व्यवस्था करल बा । मने आजफे महिलाहुक्रे महिला हुके जन्मल कारण मुवाजैना ओ मुना तिट यथार्थ हमार आघे बा । हालसमफे महिला दुसरा दर्जाके मानव हुके डर, त्रास, पीडा, उत्पीडन ओ शोषणमे जीवन ओ मृत्युहे अगाले परल वाध्यता बा । कमलाके घटनापाछेफे कृष्णपुर नगरपालिकासे छाउपडी प्रथा अन्त्यक लाग सक्कु वडा कार्यालयहे १५ दिनभिटर छाउगोठ भत्कैना गैल अँटवार निर्देशन जारी करले बा । छाउपडी गोठ नैभत्कैना व्यक्तिहे कानूनी कारवाही सहित रु १० हजार जरिवाना कैना नगरपालिका जनैले बा । महिनावारी विभेद एक सामान्य सामाजिक रुढीवादी प्रथा केल नाही यी एक कानूनी अपराध हो । मने महिनावारी विभेद विरुद्धके गतिविधि भर छाउगोठ भत्कैना काममे केल्ह सिमित हुइल बटै ।

महिलाके लाग मृत्युके कारणफे काहे महिला हुइटै । जबसम महिलाके शरीर उप्पर धर्म ओ संस्कृतिके नाममे राजनीति कैना परिपाटीके अन्त्य नैहुई, टबसम छाउगोठके भौतिक संरचना भत्काके रुपान्तरण सम्भव नैहो । सामाजिक न्याय विपरितके सामाजिक, सांस्कृतिक मुल्य मान्यताके अन्त्य सामाजिक सांस्कृतिक रुपान्तरणसे केल्ह सम्भव बा । जेकर लाग सरकार तथा सम्बन्धित निकायके लगानी लै·िक रुपान्तरणकारी हस्तक्षेपमे हुइना जरुरी बा ।

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