रोजगारीके पर्खाइमे मुक्त कमैया

कमैया मुक्ति घोषणा हुइल २५ वर्ष पुगल बा । २०५७ सावन २ गते सरकारसे कमैया मुक्तिके घोषणा करले रहे । मुक्ति घोषणा हुइल वर्ष जन्मल मुक्त कमैयाके छावाछाइ लक्का जवान हुइल बटैं, जिहिनहे ओइनके अभिभावक कैसिक जमिन्दारके सास्ती खेपल पटा नैहो । ओइने एकादेशके कथा जस्टे अपन अभिभावकके दुःखके कथा सुन्ठैं । दाङ, बाँके, बर्दिया, कैलाली, कञ्चनपुर यी पाँच जिल्लामे ३२ हजार ५०९ परिवारमध्ये (क) ओ (ख) वर्गमे परल २७ हजार ५७० मुक्त कमैया परिवारके पहिचान करल बा ।
भूमि व्यवस्था, सहकारी तथा गरिबी निवारण मन्त्रालयके अनुसार दाङ, बाँके ओ कञ्चनपुरमे २७ हजार २१ मुक्त कमैया परिवारके पुनस्र्थापना कै सेकल बा । मन्त्रालयके अनुसार बर्दिया ओ कैलालीमे आब ५६९ परिवार किल पुनस्र्थापना हुइना बाँकी बटैं मने मुक्त कमैया समाजके पदाधिकारी मन्त्रालयके यी तथ्य नैस्वीकारठ । मुक्त कमैया समाज दाङके अध्यक्ष हरिशचन्द्र चौधरीके अनुसार (ग) ओ (घ) वर्गमे परल मुक्त कमैया अभिन फेन पुनस्र्थापना हुइना बाँकी रहल तथा १० हजार ढेर मुक्त कमैया लगत लेनासे छुटल बटैं ।
हुइना टे आगामी आव २०८२/८३ के लाग सुदूरपश्चिम सरकार छ करोड २० लाख तथा लुम्बिनी प्रदेश सरकारसे एक करोड रुपियाँ बजेट मुक्त कमैया, कमलरी पुनस्र्थापनाके लाग विनियोजन करल बा । यिहिनसे मुक्त कमैया, कमलरी परिवारके पुनस्र्थापनाके काम बाँकी रहल डेखाइठ । हुइना टे यी शीर्षकके बजेटमे मुक्त कमैया, कमलरीके अलावा सीमान्तकृत, भूमिहीन विपन्न घर परिवारहे आर्य आर्जन तथा लक्षित कार्यक्रमके लाग कलेसे फेन जोरल बा ।
पुनर्स्थापनाके गलपासो
टमान जैसिन मुक्त कमैयाके बस्ती नदी किनारमे होके बर्सेनि बाढसे सटैना ओ पुनस्र्थापनाके विषय समस्याके रूपमे देखा परठ । मुक्त कमैयाके पुनस्र्थापना नैहुइनाके मूल कारणमध्ये बिनागृहकार्य हतारमे मुक्तिके घोषणा करल कना आरोप टमानजे लगैटि आइल बटैं । सरकारउप्पर राष्ट्रिय, अन्तर्राष्ट्रिय गैसस, मानव अधिकारवादीके दबाबके कारण कमैया मुक्त घोषणा करना बाध्य हुइल हो ।
२०५७ सावन २ मे करल मुक्तिके ५ वर्षपहिले २०५२ मे कमैया परिवारके लगत सरकार लेले रहे । उ तथ्यांकमे १५ हजार १५२ कमैया परिवार रहल तथ्य आइल रहे । ओहे आधारमे मुक्तिपाछे लगत लेहलमे १८ हजार २९१ परिवारके पहिचान हुइल मने पहिचानके समस्या अत्रा बह्रल कि उ संख्या एकाएक १० औँ हजारउप्पर बह्रके २७ हजार ५७० घर परिवारमे पुगल ।
सरकारसे मुक्त कमैयाहे चार भागमे वर्गीकरण कैके पुनस्र्थापना करटि आइल बा । २०६३ सावन २२ मे बैठल मन्त्रीपरिषद्के बैठकके निर्णय अनुसार सरकार (क) ओ (ख) वर्गमे परल मुक्त कमैयाहे हाल उहाँहुक्रे बैठल स्थानके आधारमे बजार लग्गे रलेसे प्रतिपरिवार दुई कट्ठा तथा गाउँमे रलेसे पाँच कट्ठा जमिन डेना कहल रहे । पाछे सहरी क्षेत्रमे एक कट्ठामे सीमित करल रहे । घर निर्माणके लाग ५५ हजार तथा काठके लाग एक लाख रुपियाँ नगद उपलब्ध करैटि आइल बा । पहिले घर निर्माणके लाग १० हजार किल तथा ३५ क्युबिक फिट काठ उपलब्ध करैटि आइल रहे । आब काठ नैपाइल ओरसे ओकर सट्टा फेन नगद डेना सुरु करल बा मने (ग) ओ (घ) वर्गमे परल पाँच हजार परिवार अभिन यी सुविधा पाइ नैसेकल अभिन १० हजार ढेर मुक्त कमैया लगत लेनासे छुटल प्रसंग आइल बा ।
कुछ ठाउँमे मुक्त कमैया वन क्षेत्र फेन ओगटले बटैं, टबेमारे उहाँहुकनहे जग्गा डेना वन मन्त्रालय सकारात्मक नैहो । जबकि तत्कालीन भूमि सुधार तथा वन मन्त्रालयबिच कार्ययोजनासहित वन क्षेत्रमे परना मने जंगल नैरहल प्रयोगविहीन जग्गा मुक्त कमैयाहे डेना सहमति हुइल रहे । ओहे अनुरूप २०६७ असार मसान्तभित्रे सब मुक्त कमैया परिवारहे जग्गा डेसेक्ना कलेसे फेन उ निर्णयके डेढ दशक पार होके २५ औँ मुक्त कमैया दिवसके बेलासम फेन कार्यान्वयन हुइ सेकल अवस्था नैहो ।
अप्ने कमैया बैठल जमिन्दारके गाउँके सेरोफेरोमे घर बनैना टमान मुक्त कमैया मन बनैलैं, एक भाइ ओहे ऐलानीमे बैठल । टबेमारे, ओइनहे छुट्याइल जग्गामे औरे भाइ घर बनैलेसे फेन कुछ खाली अवस्थामे रहल । कारण उ फेन अपन खेलल हुरकल औरे गाउँमे जाइ नैरुचाइल । औरे नयाँ ठाउँमे बैठ्लेसे फेन मजदुरी नैपाइल, पुराने ठाउँमे कामके मेलो बैठल । गैल वर्ष यी पंक्तिकार बर्दियाके बारबर्दिया नगरपालिकालगायत कुछ क्षेत्रमे घुमेबेर मुक्त कमैया शिविरके कुछ घर बन्द अवस्थामे देख्ले रहे । घर बन्द हुइनाके कारण पुछेबेर ओइनके औरे ठाउँमे फेन घर रहल स्थानीयवासी जानकारी डेले रहैं । अइसिके पुनस्र्थापना नैहुइल दाबी करनाके सवालमे गहन शोधखोजके अत्यावश्यकता डेखाइठ । यिहिनहे लम्मा समयसम बल्झाइ नैपरल ।
मुक्त कमलरीके परिचयपत्रके लडाइँ
सरकार २०५७ सावन २ गते नेपालमे कमैया मुक्ति घोषणा करले रहे । पाछे जमिन्दार खेती अधियामे लगैलैं । अधिया लगैना प्रायः मुक्त कमैया रहैं मने जमिन्दार मुक्त कमैयाके छाइ कमलरी पठैलेसे किल अधिया डेना सर्त ढरलैं । अइसिके कमैया अप्ने टे मुक्त हुइलैं मने नाबालक छाइ मुक्त हुइ नैसेक्लिन् । जमिन्दारके घरमे जुठा भाँडा ढोइ लग्लिन् । कुछ जमिन्दारके यौन शोषण सहे नैसेक्के आत्महत्या करल समाचारसमेत आइल । अइसिके कमलरी फेन आन्दोलित हुइलैं । कमैया मुक्तिके १३ वर्षपाछे २०७० असार १३ गते बल्ल कमलरी मुक्त घोषणा करगिल ।
कमलरी मुक्त हुइलेसे फेन १३ वर्ष पुगल बा मने मुक्त कमलरीके वास्तविक तथ्यांक शिक्षा मन्त्रालय ओ भूमि व्यवस्था, सहकारी तथा गरिबी निवारण मन्त्रालयसँग नैहो । महिला, बालबालिका तथा समाज कल्याण मन्त्रालयके अनुसार भर मुक्त कमलरीके संख्या नौ हजार चार सय बा । ओहोर शिक्षा मन्त्रालय मुक्त कमलरीहे छात्रवृत्ति उपलब्ध करैटि आइलमे असहाय छाइके साथी (एफएनसी) संस्थाके तथ्यांकहे आधिकारिक मन्टि आइल बा । ओहे तथ्यांकहे ‘अपडेट’ करटि करल बा मुक्त कमलरी विकास मञ्च । मञ्चके केन्द्रीय अध्यक्ष हीरामोती चौधरीके अनुसार पाछेक तथ्यांक अनुसार १२ हजार ७६९ मुक्त कमलरी रहल बटैं । तत्कालीन भूमि सुधार तथा व्यवस्था मन्त्री गोपाल दहित २०७४ भदौके पहिल साता दाङके आठ कमलरीहे पहिलचो परिचयपत्र बाँट्ले रहैं । परिचयपत्र वितरण शुभारम्भ कार्यक्रममे उहाँ चार महिनाभित्रे सब कमलरीहे परिचयपत्र वितरण कैसेक्ना जानकारी डेले रहैं मने हालसम पहिचान हुइल चार हजार ९३४ जाने किल सरकारी परिचयपत्र पैले बटैं ।
तत्कालीन मन्त्री दहित परिचयपत्रमार्फत छात्रवृत्ति, रोजगारी ओ विकासके तालिममे सहभागी हुइना अवसर पैना बटैले रहैं । ओहोर, परिचयपत्र पाइल मुक्त कमलरी अपनसँग रहल परिचयपत्र कागहे बेल पाकल हर्ष न विस्मात् जस्टे रहल बटैठैं । काहेकि परिचयपत्रसँगे कौनो सेवासुविधा पहिचान करल नैहो । खासमे यीबारे कौनो विधेयक, ऐन बने नैसेकल ।
ओस्टे अवस्था रहल हलिया, हरुवा चरुवाके तुलनामे मुक्त कमैया÷कमलरीके पुनस्र्थापना टमान हदसम हुइल माने परि । आब उहाँहुकनके आर्थिक अवस्था उकस्ना कार्यक्रम नाने परल । हाल संघीय सरकारसे उहााहुकनके आर्थिक अवस्था उकासेक लाग प्राथमिकता डेले नैहो । ओहोर, लुम्बिनी ओ सुदूरपश्चिम प्रदेशमे रहल यी समस्या समाधानके लाग प्रदेश सरकार, स्थानीय सरकार फेन खास प्राथमिकता डेले नैहो । अस्टेक हरेक मुक्ति दिवसमे मुक्त कमैया अभियन्ता पुनस्र्थापनाके रोनाधोना करठैं ।
साभारः गोरखापत्र दैनिकसे
