थारु समुदायके संस्कृतिके सम्मान

कैलालीके ११ स्थानीय तहसे आज गुरही टिहुवारके स्थानीय विदा
पहुरा समाचारदाता
धनगढी, १३ सावन । थारु समुदाय आज गुरही टिहुवार भव्यता कार्यक्रम करके मनाई लागल बटै ।
पहिलेक पुर्खाहुक्रे आ–आपन गाउँमे आपन मौलिकता अनुसार मनैना करलेसेफे अब्बे गुरही मनैना तरिका आधुनिकता गैलेसेफे स्थापित हुइटी गैल हो ।
सावन शुक्ला पञ्चमी (नाग पञ्चमी)के दिन मनाजैना गुरही टिहुवारके थारु समुदाय फरक तरिकासे मनैना करल थारु कल्याणकारिणी सभाके केन्द्रीय उपाध्यक्ष प्रभातकुमार चौधरी बटैलै । उहाँ कहलै, ‘पहिले गुरही टिहुवारमे सरकार चासो डेहल नैरहे । संघीयता आइलसंगे स्थानीय सरकारसे थारु समुदायके संस्कृतिके सम्मान करल बा ।’
कैलाली जिल्ला ओसिकफे थारु समुदायके बाहुल्यता रहल जिल्ला हो । यहाँ १३ ठो स्थानीय रहल बा । जहाँ ११ स्थानीय तहमे थारु समुदायके बाहुल्यता रहल बा । थारु समुदायके टरटिहुवार होए वा गैरथारु समुदायके टरटिहुवार होए यहाँ बसोबास करुइया सक्कु समुदाय एक दुसरके संस्कृतिके सम्मान कैना परिपाटीके विकास हुइल बा जौन सामाजिक सदभाव बह्रटी जैना मजा पक्ष हो ।

कैलालीमे रहल १३ स्थानीय तह मन्से ११ स्थानीय तहसे थारु समुदायसे मनाजैना गुरही टिहुवारके सम्मान करटी आज एक दिन स्थानीय विदा डेले बा । जेम्ने कैलारी गाउँपालिका, धनगढी उपमहानगरपालिका, जोशीपुर गाउँपालिका, भजनी नगरपालिका, जानकी गाउँपालिका, टीकापुर नगरपालिका, गोदावरी नगरपालिका, गौरीगंगा नगरपालिका, घोडाघोडी नगरपालिका, लम्कीचुहा नगरपालिका बर्दगोरिया गाउँपालिका रहल बा । कैलालीके पहाडमे पर्ना चुरे ओ मोन्याल गाउँपालिकामे थारु समुदायके बसोबास नैहो ।

परम्परागतसे आधुनिकता ओर गैल गुरही टिहुवार
थारु समुदायसे मनाजैना गुरही टिहुवारके पहिले पहिले खासे चर्चा नैहुइलेसेफे अब्बेभर गाउँ गाउँमे भव्यता कार्यक्रमके विच मनाजैटी बा । पहिले भोज नैकरल लउण्डीन आपन पहिरनमे गुरही अस्रैना लुगरक गुरही बनाके, टमान मेरिक भुजा ढकुलीमे लेके ओइनसंगे लउण्डाहुँक्रे सोटा लेके गाउँक दख्खिन जाईट । गुरही अस्रैना ठाउँमे पुगलपाछे लउण्डा मनै चुरकीमे विना सास लेहल गाँठी पारलपाछे लउण्डीहुक्रे आपन लैगिल गुरही ओ भुजा अस्राइट, लउण्डा मनै सोटाले ठडाइट ।
अब्बे भर गुरही टिहुवार औपचारिक कार्यक्रम करके मनैना सुरुवाट हुइल बा । एक ओर हमार संस्कृति स्थापित विश्वव्यापी करल हुइटी गैल बा कलेसे दुसर ओरसे परम्परा अनुसार मनैना चलन हेराई लागल बा ।
कैसिक मनाजाइठ् गुरही ?
थारु समाजमे यी टिहुवार ओ पूजाहे कुछ फरक मेरिक लेजाइठ् । खेतीपाती उसारके सबजे घरम् फुर्सटसे बैठल बेला अइना यी टिहुवार साउन शुक्ल पञ्चमीमे पर्ना टिहुवार हुइलक ओरसे यी नागपञ्चमीके दिन परठ । थारु समाजमे ‘गुरही, गुर्या’ कहिके मनैना गैरथारुहुक्रे नागपञ्चमीके पूजा कैठै ।
वरष दिनके खैना जुटाइक् लाग खेतीपातीमे पेलल थारु समाज जब हिलाकिंचासे निकरके अइठैं टब्बहीं गुरही टिहुवार आइठ । साँझके समयमे जब गोरु बछरु गयरवन आपन–आपन घारीमे करयइठैं टब गाउँक् अघरिया (चौकीदरवा, चिरकिया) के पहलमे गाउँक डादुभैया ओ डिडीवहिनियाहुक्रे लावा–लावा लुगरा लगाके टठियामे मेरमेराइक भुजा, डुब्बा घाँस, रंगी बिरंगी लुग्रक गुरही लेले गुरही–गुरहा ठटैना ठाउँमे गैल रठैं ।
प्रायः कैके गाउँक् चौराहामे ठटैना गुरहीमे सक्कु गाउँभरिक लउण्डा लउण्डी ओ बुह्राइल मनैफेन गुरहीक भुजा मागक लाग चौराहाओर जम्मा रठैं । जब गाउँक् अघरिया एक संस्सु डुब्बा घाँसम् गाँठ पारट अथवा एकठो गुरही बनाइल चिरकुटमे गाँठ पारके गुरहीगुरहा ठटैैना आदेश डेहठ् टब उपस्थित हुइल सक्कु लौंरा लर्का आपन–आपन रंगीचंगी सोंटा ओ लम्मा–लम्मा भांगक, बेरसरमक् ओ और चिजसे बनल सोंटासे “घुघरी डेउ” “घुघरी डेउ” कटि ठटैना काम कर्ठैं । ऐसिक गुरही ठटैलसे पुरान गाउँमे रहल रोगव्याधी सब नास हुइठैं ओ गाउँहे रोगव्याधि ओ दुःखसे छुटकारा मिलठ् कना बाटके हमार थारुसमाजमे गहिंर जनविश्वास रहल बा ।
गुरही ठटाके सेकके सक्कुजाने जम्मा हुइल चौराहामे डिडीवहिनिया हुक्रे गुरही ठटैना ठाउँमे भुजा छिटकर्ना ओ सक्कु जम्मा हुइल लर्कापर्का ओ बुरहाइल मनैनफे आपन टठिया मनिक् बोकके नानल मेरमेराइक भुजा जस्टे– मकैक भुजा, चना, केराउ, भरठर आदिके भुजा सक्कुहुन एक–एकचुटि प्रसादके रुपमे बँट्ना काम कर्ठैं ।
जवसम टठियक भुजा नै ओरैैठिन टबसम लरकाहुक्रे “भुजा डेउ, भुजा डेउ” कर्टि पाछे–पाछे लागल रठैं । ऐसिक ठटाइल गुरही ओ रंगी विरंगी चिरकुट ठटाइल ठाउँसे उठाके आपन घरक डुवारीम् बन्धबो कलसे ओ गुरही ठटाके बचल डुब्बा ओ भुजागुडा आपन घरक छपरम लबडैलसे घरम रहल दुःख चिन्ता दूर हुइना ओ घरक भित्तर रहल साँप गोजर फेन घरसे बाहर निकरके भग्ठै ओ घरम शान्ति सुख हुइठ् कना हमार थारु समाजमे पुरान जनविश्वास कायम बा ।
